अध्याय 106

जो मेरे वचनों को नहीं जानते, जो मेरी सामान्य मानवता को नहीं जानते और जो मेरी दिव्यता का अनादर करते हैं, उनका अस्तित्व मिटा दिया जाएगा। इससे किसी को भी छूट नहीं दी जाएगी, ये मानक सभी को पूरे करने होंगे, क्योंकि यह मेरा प्रशासनिक आदेश है और अभ्यास में लाने के लिए यह सबसे गंभीर आदेश है। जो लोग मेरे वचनों को नहीं जानते, ये वे लोग हैं जिन्होंने उन बातों को सुना तो है जो मैंने स्पष्ट रूप से बतायीं हैं, फिर भी उन्हें इनका कोई ज्ञान नहीं है; दूसरे शब्दों में, ये वे लोग हैं जिनमें आध्यात्मिक समझ नहीं है (चूँकि मैंने इसके लिए कोई मानवीय गुण नहीं बनाया, इसलिए मैं उनसे अधिक अपेक्षा नहीं करता; मैं केवल इतना ही चाहता हूँ कि वे मेरे वचनों को सुनकर उनका अभ्यास करें)। वे मेरे घर के लोग नहीं हैं, न ही वे मेरे प्रकार के हैं; वे शैतान के क्षेत्र के हैं। इसलिए मुझे इन लोगों में से एक भी ऐसा व्यक्ति नहीं चाहिए जिसमें आध्यात्मिक समझ न हो। पहले तुम लोगों को लगता था कि मेरा व्यवहार बहुत अनुचित है, लेकिन अब तक तुम्हें समझ में आ जाना चाहिए। संभवतः जानवर परमेश्वर से कैसे बातचीत कर सकते हैं? क्या वह बेतुका नहीं होगा? जो लोग मेरी सामान्य मानवता को नहीं जानते, ये वे लोग हैं जो मेरी सामान्य मानवता में किए गए कार्यों को मापने के लिए अपनी अवधारणाओं का उपयोग करते हैं। समर्पण के बजाए, वे अपनी दैहिक आँखों से, छोटी-छोटी बातों में मेरी आलोचना करते हैं। शायद मेरे बोले हुए वचन व्यर्थ हैं? मैंने कहा है कि मेरी सामान्य मानवता मेरे व्यक्तित्व, स्वयं पूर्ण परमेश्वर का एक अपरिहार्य अंग है और यही वह उचित तरीका है जिसमें मेरी सामान्य मानवता और पूर्ण दिव्यता एक-दूसरे के साथ मिलकर कार्य करते हैं : सामान्य मानवता में किए मेरे कार्य इंसानी अवधारणाओं के अनुरूप नहीं होते, तो जो मेरा अनादर करते हैं और जो मेरे अनुरूप नहीं होते, वे उजागर हो जाते हैं। उसके बाद, मेरी पूर्ण दिव्यता मानवता के माध्यम से व्यक्त होती है। इस तरह, मैं कुछ लोगों से निपटा हूँ। यदि जो मैं करता हूँ वह तेरी समझ में नहीं आता है, किन्तु उसके बावजूद तू आज्ञापालन करता है, तो इस तरह के व्यक्ति की मैं निंदा नहीं करता, बल्कि मैं उसे प्रबुद्ध करता हूँ। इसी प्रकार के व्यक्ति को मैं प्रेम करता हूँ और तेरी आज्ञाकारिता की वजह से मैं तुझे प्रबुद्ध करता हूँ। जो लोग मेरी दिव्यता का अनादर करते हैं, उनमें वे लोग शामिल हैं जो मेरे वचनों को नहीं जानते, जो मेरी सामान्य मानवता के अनुरूप नहीं हैं और जो दिव्यता में किए गए मेरे कार्य को नकारते हैं (उदाहरण के लिए, मेरा नाराज होना या कलीसिया का निर्माण करना इत्यादि)। वे सभी मेरी दिव्यता का अनादर करने की अभिव्यक्तियाँ हैं। किन्तु एक बात है जिस पर मैं जोर देता हूँ और तुम सभी को इस पर ध्यान देना चाहिए : जो लोग, आज मैं जो व्यक्ति हूँ, उसके अनुरूप नहीं हैं, वे मेरी दिव्यता का अनादर कर रहे हैं। मैं यह क्यों कहता रहता हूँ कि मैं जो व्यक्ति हूँ वह स्वयं पूर्ण परमेश्वर है? मैं जो व्यक्ति हूँ उसका स्वभाव दिव्य स्वभाव की संपूर्णता है; मुझे मानवीय अवधारणाओं से मत मापो। आज भी, बहुत से लोग कहते हैं कि मुझमें सामान्य मानवता है, इसलिए जिन चीज़ों को मैं करता हूँ वे ज़रूरी नहीं कि सभी सही हों। जब लोग ऐसे होते हैं, तो क्या तू बस मरने की चाहत नहीं कर रहा है? जो मैं कह रहा हूँ वे उसका एक भी वचन नहीं जानते, वे पूरी तरह से अंधे के वंशज हैं, बड़े लाल अजगर के सपोले हैं! मैं एक बार फिर सबसे कहूँगा (उसके बाद मैं यह फिर कभी नहीं कहूँगा, यदि कोई फिर से इसका उल्लंघन करता है, तो उसे निश्चित रूप से शाप दिया जाएगा): मेरे वचन, मेरी हँसी, मेरा खाना, मेरा रहना, मेरा भाषण और मेरा व्यवहार सब मेरे द्वारा, यानी स्वयं परमेश्वर द्वारा ही किए जाते हैं, उसमें मानव का नामोनिशां भी नहीं होता, कुछ नहीं होता! बिलकुल नहीं होता! लोगों को दिमागी खेल खेलना बंद कर देना चाहिए और अपने क्षुद्र हिसाब-किताब बंद कर देने चाहिए। लोग जितना इसे जारी रखेंगे, वे उतने बर्बाद होंगे। मेरी सलाह पर गौर करो!

मैं सदा हर किसी के हृदय के अंतर्तम को टटोलता हूँ, हर इंसान के प्रत्येक शब्द और कृत्य की जाँच करता रहता हूँ। मैं उन लोगों को एक-एक करके स्पष्ट रूप से देखता हूँ जिन्हें मैं पसंद करता हूँ और जिन्हें मैं नापसंद करता हूँ। लोग इसकी कल्पना नहीं कर पाते, इसके अलावा, लोग इसका क्रियान्वयन नहीं कर पाते। मैंने बहुत कुछ कहा है और बहुत सारा कार्य किया है; कौन पता लगा पाएगा कि मेरे वचनों का और मेरे कार्य का उद्देश्य क्या है? कोई पता नहीं कर सकता। इसके बाद, मैं और अधिक वचन बोलूँगा; एक ओर यह उन सभी लोगों को बाहर निकाल देगा जिन्हें मैं नापसंद करता हूँ और दूसरी ओर, यह तुम लोगों को इस संबंध में थोड़ा और अधिक पीड़ित करेगा, ताकि तुम लोग एक बार फिर और अधिक कठोरता के साथ मृत से पुनर्जीवन का अनुभव कर सको। इसे लोगों द्वारा निर्धारित नहीं किया जा सकता, न ही कोई इसे होने से बचा सकता है। यदि तुम्हें इस बारे में पता भी चल जाए, तब भी समय आने पर तुम लोग इस तरह की पीड़ा से नहीं बच पाओगे, क्योंकि यही मेरे कार्य करने का तरीका है। मुझे अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए ऐसे ही कार्य करना होगा, तुम लोगों पर मेरी इच्छा पूरी हो सके। यही कारण है कि इसे “अंतिम पीड़ा जिसे तुम लोगों को सहना चाहिए” कहा जाता है। इसके बाद तुम लोगों की देह फिर कभी पीड़ित नहीं होगी, क्योंकि बड़े लाल अजगर को मेरे द्वारा पूर्णतः नष्ट किया जा चुका होगा, वह फिर से कोई उपद्रव करने का साहस नहीं करेगा। शरीर में प्रवेश करने से पहले यह अंतिम कदम है; यह एक परिवर्ती चरण है। किन्तु डरो मत, मैं हर संकट में तुम लोगों की अगुआई करूँगा। विश्वास करो कि मैं स्वयं धार्मिक परमेश्वर हूँ और मैं जो कहता हूँ वह निश्चित रूप से पूरा होकर रहेगा। मैं भरोसेमंद स्वयं परमेश्वर हूँ। सभी देश, सभी राष्ट्र, सभी संप्रदाय मेरे पास लौट रहे हैं और मेरे सिंहासन के पास इकट्ठा हो रहे हैं। यह मेरा महान सामर्थ्य है, मैं विद्रोही के हर एक पुत्र का न्याय करूँगा, उसे बिना किसी अपवाद के आग और गंधक की झील में डाल दूँगा। सभी को पीछे हटना होगा। यह मेरी प्रबंधन योजना का अंतिम चरण है और जब यह पूरा हो जाएगा, तो मैं विश्राम में प्रवेश करूँगा, क्योंकि सब-कुछ किया जा चुका होगा और मेरी प्रबंधन योजना समाप्त हो चुकी होगी।

चूँकि मेरे कार्य की गति बढ़ गई है (हालाँकि मैं बिल्कुल भी चिंतित नहीं हूँ), इसलिए मैं हर दिन तुम लोगों के लिए वचन प्रकट करता हूँ, मैं हर दिन तुम लोगों के लिए अपने रहस्यों का खुलासा करता हूँ, ताकि तुम लोग ध्यानपूर्वक मेरे पदचिह्नों का अनुसरण कर सको। (यह मेरी बुद्धि है; लोगों को पूर्ण बनाने के लिए अपने वचनों का उपयोग करता हूँ, लेकिन लोगों को मारने के लिए भी उनका उपयोग करता हूँ। सभी मेरे वचनों को पढ़ते हैं और मेरे वचनों में मेरी इच्छा के अनुसार कार्य कर पाते हैं। जो नकारात्मक हैं वे नकारात्मक ही रहेंगे और जिन्हें उजागर किया जाना है, वे अपना असली रंग दिखाएँगे; विद्रोही प्रतिरोध करेंगे और जो मुझसे निष्ठापूर्वक प्रेम करते हैं वे और भी अधिक निष्ठावान हो जाएँगे। इस प्रकार, सभी मेरे पदचिह्नों का अनुसरण करेंगे। ये सारी स्थितियाँ जिनका मैंने वर्णन किया है, मेरे कार्य करने का तरीका हैं और लक्ष्य हैं जो मैं प्राप्त करना चाहता हूँ)। अतीत में मैं इस तरह की बात कह चुका हूँ : मैं जैसे भी तुम लोगों की अगुआई करता हूँ, तुम लोगों को उसी तरह आगे बढ़ना चाहिए; मैं जो कुछ भी तुम लोगों से कहूँ, तुम लोगों को वह बात माननी चाहिए। इससे मेरा क्या तात्पर्य है? क्या तुम लोग जानते हो? मेरे वचन का लक्ष्य और महत्ता क्या है? क्या तुम लोग समझते हो? कितने लोग इसे पूरी तरह स्पष्ट रूप से कह सकते हैं? जब मैं कहता हूँ कि “मैं जैसे भी तुम लोगों की अगुआई करता हूँ, तुम लोगों को उसी तरह आगे बढ़ना चाहिए,” मैं केवल उस मार्गदर्शन का उल्लेख नहीं कर रहा हूँ जो मैं उस व्यक्ति के तौर पर प्रदान करता हूँ जो मैं हूँ; बल्कि इसके अलावा मैं उन वचनों का भी उल्लेख कर रहा हूँ जो मैं बोलता हूँ और उस मार्ग का जिस पर मैं चलता हूँ। आज ये वचन सचमुच पूरे हो गए हैं। जैसे ही मैंने अपने वचन बोले, मेरी उपस्थिति के प्रकाश में सभी प्रकार की दुष्टात्माओं के चेहरे उजागर हो गए हैं, ताकि तुम लोग उन सभी को स्पष्ट रूप से देख सको। मेरे ये वचन न केवल शैतान के लिए घोषणा हैं, बल्कि यह तुम सभी लोगों के लिए सुपुर्दगी भी हैं। तुममें से अधिकांश लोग इन वचनों को अपने लिए सुपुर्दगी मानते हुए अनदेखा कर देते हो; लेकिन यह नहीं समझते कि ये न्याय के एक वचन हैं, ऐसे वचन जिनमें अधिकार है। मेरे वचनों का उद्देश्य शैतान को आदेश देना है कि वह मेरे लिए उपयुक्त सेवा प्रदान करे और मेरा पूरी तरह से आज्ञापालन करे। पहले मैं जिन रहस्यों को प्रकट कर चुका हूँ उनमें से अभी भी बहुत से ऐसे हैं जिन्हें तुम लोग समझते नहीं हो। इसलिए भविष्य में मैं तुम लोगों के लिए और अधिक रहस्य प्रकट करूँगा, ताकि तुम लोगों को अधिक स्पष्ट और संपूर्ण समझ प्राप्त हो सके।

जब तबाहियाँ आती हैं, तो हर इंसान डर जाता है। लोग दुःख से चीख़ते हैं और अतीत में किए गए अपने बुरे कामों से नफ़रत करने लगते हैं, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है क्योंकि यह कोप का युग है। यह लोगों को बचाने और अनुग्रह प्रदान करने का समय नहीं है, बल्कि सभी सेवाकर्मियों को हटाकर मेरे पुत्रों को मेरे लिए शासन करने देने का समय है। यह वास्तव में पहले से अलग समय है; यह दुनिया के सृजन के बाद का सबसे अभूतपूर्व समय है। क्योंकि मैंने एक बार ही दुनिया बनाई है, इसलिए मैं दुनिया को एक बार ही नष्ट करूँगा, मैंने जो पूर्वनियत किया है, उसे किसी के द्वारा बदला नहीं जा सकता। इन दो उक्तियों “सामूहिक ईसाई मनुष्य” और “सामूहिक सार्वभौमिक नवीन मनुष्य” का पहले अक्सर उल्लेख किया गया है। उनकी व्याख्या कैसे की जानी चाहिए? क्या “सामूहिक ईसाई मनुष्य” से तात्पर्य ज्येष्ठ पुत्र से है? क्या “सामूहिक सार्वभौमिक नवीन मनुष्य” से भी तात्पर्य ज्येष्ठ पुत्र से है? नहीं; लोगों ने उक्तियों की व्याख्या सही ढंग से नहीं की है। क्योंकि मानव अवधारणाएँ चीज़ों को उन्हें केवल इसी अंश तक समझने में मदद कर सकती हैं, इसलिए मैं तुम लोगों को यहीं और अभी यह स्पष्ट कर दूँगा। सामूहिक ईसाई मनुष्य और सामूहिक सार्वभौमिक नवीन मनुष्य एक ही नहीं हैं; इनके अलग-अलग अर्थ हैं। यद्यपि इन दो उक्तियों की शब्दावली बहुत समान है, इसलिए वे एक ही चीज़ प्रतीत हो सकते हैं, जबकि वास्तविक स्थिति पूरी तरह से विपरीत है। “सामूहिक ईसाई मनुष्य” से वास्तव में क्या तात्पर्य है? या इनका क्या अर्थ है? ईसाई मनुष्यों की बात करते समय, हर कोई सर्वसम्मति से मेरे बारे में ही सोचेगा। ऐसा करके वे बिल्कुल भी गलत नहीं हैं। इसके अलावा, मानवीय धारणाओं में, “मनुष्य” शब्द का तात्पर्य निश्चित रूप से इंसानों से है, एक भी व्यक्ति इसे किसी और चीज़ से संबद्ध नहीं करेगा। “सामूहिक” शब्द की बात करते समय लोग सोचेंगे कि यह कई लोगों का एक समूह है और एक इकाई है, इसलिए उसे “सामूहिक” कहा जाता है। यहाँ यह देखा जा सकता है कि मानव मन बहुत सरल है, और वे लोग मेरा अर्थ बिल्कुल नहीं समझ पाते हैं। अब मैं आधिकारिक रूप से संगति शुरू करूँगा कि सामूहिक ईसाई मनुष्य क्या हैं (लेकिन लोगों को अपनी अवधारणाओं को एक ओर रखना होगा; अन्यथा कोई भी नहीं समझ पाएगा, फिर भले ही मैं इस उक्ति को समझा दूँ, तब भी लोग इस पर विश्वास नहीं करेंगे, न ही इसे समझेंगे): जैसे ही मेरे वचन बोले जाएँगे, मेरे सभी ज्येष्ठ पुत्र मेरी इच्छा के अनुरूप कार्य और मेरी इच्छा को व्यक्त कर पाएँगे, ताकि वे एक मन और एक मुख के हो जाएँ। जब वे सभी राष्ट्रों और लोगों का न्याय कर रहे होंगे, तो वे मेरी धार्मिकता को पूरा करने और मेरे प्रशासनिक आदेशों को कार्यान्वित करने में सक्षम होंगे; वे मेरी अभिव्यक्ति और मेरा प्रकटीकरण हैं। इसलिए, यह कहा जा सकता है कि सामूहिक ईसाई मनुष्य मेरे प्रशासनिक आदेशों को कार्यान्वित करने वाले ज्येष्ठ पुत्रों के तथ्य हैं; वे ज्येष्ठ पुत्रों के हाथों का अधिकार हैं। यह सब मसीह से संबंधित है, इसलिए “ईसाई मनुष्य” का उपयोग किया गया है। इसके अलावा, सभी ज्येष्ठ पुत्र मेरी इच्छा के अनुसार कार्य कर सकते हैं, इसलिए मैं “सामूहिक” उक्ति का प्रयोग करता हूँ। “सामूहिक सार्वभौमिक नवीन मनुष्य” का अर्थ है मेरे नाम में सभी जन; यानी मेरे ज्येष्ठ पुत्र, मेरे पुत्र और मेरे जन। “नवीन” शब्द मेरे नाम के संदर्भ में है। क्योंकि वे मेरे नाम में हैं (मेरे नाम में सब-कुछ है और यह सदा नया रहता है, कभी पुराना नहीं होता; यह मनुष्य द्वारा अपरिवर्तनीय है) और क्योंकि वे भविष्य में सदा जीवित रहेंगे, इसलिए वे सार्वभौमिक नवीन मनुष्य हैं। यहाँ “सामूहिक” शब्द लोगों की संख्या के संबंध में है, पूर्ववर्ती मामले के समान नहीं है। जब मेरा वचन बोला जाए, तो सभी को इसमें विश्वास करना चाहिए। संदेह मत करो। अपनी मानवीय अवधारणाओं और मानवीय विचारों को हटा दो। रहस्यों को प्रकट करने की मेरी वर्तमान प्रक्रिया वास्तव में मानव अवधारणाओं और विचारों को हटाने की प्रक्रिया है (क्योंकि लोग मुझे और जो मैं कहता हूँ उसे मापने के लिए अपनी अवधारणाओं का उपयोग करते हैं, इसलिए मैं मानवीय अवधारणाओं और मानवीय विचारों को हटाने के लिए अपने द्वारा प्रकट किए गए रहस्यों का उपयोग करता हूँ)। यह कार्य शीघ्र ही पूरा हो जाएगा। जब मेरे रहस्य एक निश्चित स्तर तक प्रकट हो जाएँगे, तो लोगों के पास मेरे वचनों के लिए लगभग कोई विचार प्रक्रिया नहीं होगी और वे मुझे अपनी मानवीय अवधारणाओं से मापना बंद कर देंगे। वे हर दिन जो सोचेंगे, मैं उसे प्रकट कर दूँगा और जवाबी प्रहार करूँगा। एक निश्चित स्तर पर लोग सोचना बंद कर देंगे; उनका मस्तिष्क विचार-शन्य हो जाएगा और वे पूरी तरह से मेरे वचनों को समर्पित हो जाएँगे। उसी समय तुम लोग आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रवेश करोगे। इससे पहले कि मैं तुम लोगों को आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति दूँ, मेरे कार्य में यह चरण पहले आएगा। इससे पहले कि तुम लोग पवित्र और निर्दोष बनाए जा सको और आध्यात्मिक क्षेत्र में प्रवेश कर सको, तुम्हें अपने आपको मानवीय अवधारणाओं से मुक्त करना होगा। और यही “मैं एक पवित्र आध्यात्मिक शरीर हूँ” का मूल अर्थ है। किन्तु तुम लोगों को मेरे कदमों के अनुसार कार्य करना होगा और इससे पहले कि तुम लोग समझ सको, मेरा समय आ जाएगा।

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