अध्याय 110

जब सब-कुछ प्रकट हो जाएगा तभी वह समय होगा कि मैं आराम करूँगा, इसके अलावा, यह वह समय भी होगा जब सब कुछ व्यवस्थित हो जाएगा। मैं खुद अपना कार्य करता हूँ; मैं स्वयं हर चीज़ का आयोजन और व्यवस्था करता हूँ। जब मैं सिय्योन से बाहर निकलकर, लौटकर अपने ज्येष्ठ पुत्रों को पूर्ण बना दूँगा, तो मेरा विशाल कार्य पूरा हो चुका होगा। लोगों की अवधारणा है कि जो भी कार्य किया जाए, वो देखने और छूने योग्य होना चाहिए। किन्तु जिस तरह से मैं इसे देखता हूँ, जिस समय मैं अपनी योजना बनाता हूँ, तभी सब-कुछ पूरा हो जाता है। सिय्योन वह जगह है जहाँ मैं रहता हूँ और यह मेरा गंतव्य भी है; यहीं पर मैं अपनी सर्वशक्तिमत्ता प्रकट करता हूँ और यहीं पर मेरे ज्येष्ठ पुत्र और मैं अपनी पारिवारिक खुशी को साझा करेंगे। इसी जगह पर मैं अनंत काल तक उनके साथ रहूँगा। सिय्योन एक खूबसूरत जगह; सिय्योन ऐसी जगह जिसके लिए लोग चाहत रखते हैं; युगों-युगों से अनगिनत लोगों ने इसकी कामना की है, किन्तु शुरुआत से ही, एक भी व्यक्ति ने सिय्योन में प्रवेश नहीं किया है। (युगयुगांतर से संतों और नबियों में से भी किसी ने प्रवेश नहीं। किया है; क्योंकि मैं अंत के दिनों में अपने ज्येष्ठ पुत्रों का चयन कर रहा हूँ और वे सभी इस समय पैदा हो रहे हैं; इससे मेरी दया और मेरे अनुग्रह, जिनके बारे में मैंने बोला है, अधिक स्पष्ट हो जाते हैं।) हर एक व्यक्ति जो अब ज्येष्ठ पुत्र है, मेरे साथ सिय्योन में प्रवेश करेगा और उस आशीष का आनंद उठाएगा। मैं अपने ज्येष्ठ पुत्रों को एक निश्चित सीमा तक उठा रहा हूँ क्योंकि उनमें मेरी क्षमता और मेरी महिमामयी छवि है और वे मेरे लिए गवाही देने और मेरी महिमा का गायन करने और मुझे जीने में सक्षम हैं। इसके अलावा, वे शैतान को हराने और बड़े लाल अजगर को अपमानित करने में भी सक्षम हैं। क्योंकि मेरे ज्येष्ठ पुत्र शुद्ध कुँवारियाँ हैं; मैं इन्हीं से प्रेम करता हूँ, मैंने इन्हें ही चुना है और यही मेरे कृपापात्र हैं। मैं इन्हें ही ऊपर उठाता हूँ क्योंकि यही डटे रहकर नम्रतापूर्वक चुपचाप मेरी सेवा कर सकते हैं और मेरे लिए शानदार गवाही दे सकते हैं। मैंने अपनी समस्त ऊर्जा अपने ज्येष्ठ पुत्रों पर व्यय कर दी है, मैंने उनकी सेवा के लिए सभी प्रकार के लोगों, घटनाओं और चीज़ों को सावधानी से व्यवस्थित कर दिया है। अंत में सभी लोग मेरे ज्येष्ठ पुत्रों के माध्यम से मेरी पूरी महिमा को देख पाएँगे और उन्हीं के कारण हर कोई मुझसे आश्वस्त हो जाएगा। मैं किसी शैतान को मजबूर नहीं करूँगा और मैं उनकी उछल-कूद या उनकी उद्दंडता से भी नहीं डरता क्योंकि मेरे पास गवाह हैं, और मेरे हाथों में अधिकार है। सुनो, शैतान जैसे लोगो! मेरे बोले सभी वचन और किए गए हर कार्य मेरे ज्येष्ठ पुत्रों को पूर्ण बनाने के लिए हैं। इसलिए तुम्हें मेरे आदेश को सुनना होगा और मेरे ज्येष्ठ पुत्रों का आज्ञापालन करना होगा; अन्यथा मैं तुमसे निपटूँगा और तुम्हें आसन्न विनाश की यातना में डाल दूंगा! मेरे ज्येष्ठ पुत्रों ने पहले ही मेरे प्रशासनिक आदेशों को पूरा करना शुरू कर दिया है, क्योंकि मात्र वही मेरे सिंहासन को सँभालने के योग्य हैं; मैंने उन्हें पहले ही अभिषिक्त कर दिया है। जो कोई भी मेरे ज्येष्ठ पुत्रों का आज्ञापालन नहीं करता है वह निश्चित रूप से अच्छा नहीं है, मेरी प्रबंधन योजना को अस्त-व्यस्त करने के लिए उन्हें निस्संदेह बड़े लाल अजगर द्वारा भेजा गया है। और इस प्रकार के नीच लोगों को तुरंत मेरे घर से बाहर धकेल दिया जाएगा। मैं नहीं चाहता कि इस तरह के लोग मेरी सेवा में हों; वे अनन्त विनाश झेलेंगे—और उन्हें इसे शीघ्र ही झेलना पड़ेगा! जो लोग मेरी सेवा में हैं उन्हें निश्चय ही पहले से मेरा अनुमोदन प्राप्त है; उन्हें उस कीमत की चिंता किए बिना आज्ञाकारी होना चाहिए जो उन्हें चुकानी पड़ सकती है। यदि वे विद्रोही हैं तो वे मेरे लिए सेवा प्रदान करने के योग्य नहीं हैं और मुझे इस तरह के प्राणियों की आवश्यकता नहीं है। वे तुरंत यहां से चले जाएं; मैं उन्हें ज़रा भी नहीं चाहता! तुम्हें इस बारे में अब स्पष्ट हो जाना चाहिए! जो लोग मेरे लिए सेवा करते हैं उन्हें यह सेवा अच्छी तरह से करनी चाहिए और कोई समस्या पैदा नहीं करनी चाहिए। यदि तुम्हें लगता है कि तुम्हारे लिए कोई आशा नहीं है और तुम समस्याएँ पैदा करना शुरू कर देते हो, तो मैं तुम्हें तुरंत ही समाप्त कर दूँगा! तुझमें में से जो मेरी सेवा में हैं, क्या वो इस बारे में स्पष्ट है? यह मेरा प्रशासनिक आदेश है।

मेरे लिए गवाही देना मेरे ज्येष्ठ पुत्रों का कर्तव्य है, इसलिए तुम लोगों को मेरे लिए कुछ भी करने की आवश्यकता नहीं है; मैं केवल इतना ही चाहता हूँ कि तुम लोग अपने कर्तव्यों को सही तरीके से करो और उन आशीषों का आनंद लो जिन्हें मैं तुम लोगों को प्रदान करता हूँ। जब मैंने पूरे ब्रह्मांड में और धरती के छोरों तक यात्रा की, तो मैंने अपने ज्येष्ठ पुत्रों को चुन लिया और उन्हें पूर्ण बना दिया। यह कार्य मैंने दुनिया को बनाने से पहले पूरा कर लिया था; इस बात को कोई नहीं जानता, मैंने इस काम को चुपचाप पूरा किया। यह तथ्य मानव अवधारणाओं के अनुरूप नहीं है! किन्तु तथ्य तो तथ्य हैं और उन्हें कोई नहीं बदल सकता। छोटे-बड़े दोनों तरह के राक्षसों ने अपने मिथ्याभिमानों से अपना असली रूप प्रकट कर दिया है और उन्हें मेरी अलग-अलग तरह की ताड़नाओं से गुज़रना पड़ा है। मेरे कार्य के चरण हैं और मेरे वचनों में बुद्धि है। क्या मेरे वचनों और कार्यों से तुम लोगों ने कुछ देखा है? क्या मैं केवल कहता और करता हूँ? क्या मेरे वचन सिर्फ़ कठोर, न्याय करने वाले, या मात्र सांत्वना देने वाले होते हैं? यह कहना बहुत आसान है, लेकिन इंसान के लिए इसे समझना बिल्कुल भी आसान नहीं है। मेरे वचनों में न केवल बुद्धि, न्याय, धार्मिकता, प्रताप और सांत्वना है, बल्कि इनमें मेरा स्वरूप भी है। मेरा हर एक वचन एक रहस्य है जिसे इंसान उजागर नहीं कर सकता; मेरे वचन पूरी तरह से गूढ़ हैं, हालाँकि रहस्य प्रकट किए गए हैं, फिर भी इंसान की योग्यताओं के आधार पर वे अभी भी उनकी कल्पना और समझ के दायरे से बाहर हैं। जो बात समझने में मेरे लिए सबसे आसान है वही लोगों के लिए समझने में सबसे कठिन है, इसलिए मेरे और मनुष्य के बीच का अंतर स्वर्ग और पृथ्वी के बीच का अंतर है। इसीलिए मैं अपने ज्येष्ठ पुत्रों के रूप को पूरी तरह से बदलना चाहता हूँ और उन्हें पूरी तरह से शरीर में प्रवेश करवाना चाहता हूँ। भविष्य में, वे न केवल देह से शरीर में प्रवेश करेंगे, बल्कि वे शरीर के भीतर रहते हुए अलग-अलग स्तर पर अपने रूप बदलेंगे। यही मेरी योजना है। यह कार्य मनुष्य नहीं कर सकता; उसके पास इस कार्य को करने का कोई तरीका नहीं है—इसलिए अगर मैं तुम लोगों को विस्तार से बता भी दूँ, तो भी ये तुम लोगों की समझ में नहीं आएगा; तुम लोग केवल अलौकिक की भावना में प्रवेश कर सकते हो। क्योंकि मैं बुद्धिमान स्वयं परमेश्वर हूँ।

जब तुम लोग रहस्यों को देखते हो तो तुम सभी लोगों में किसी न किसी रूप में प्रतिक्रिया होती है। भले ही तुम लोग उन्हें स्वीकार नहीं करते हो या मानते नहीं हो, फिर भी तुम लोग उन्हें ज़बानी तौर पर स्वीकार कर लेते हो। इस तरह के लोग धोख़ेबाज होते हैं और जब मैं रहस्य प्रकट करूँगा, तो मैं उन्हें एक-एक करके बाहर निकालकर त्याग दूँगा। किन्तु मैं जो कुछ भी करता हूँ वह चरणबद्ध तरीके से किया जाता है। मैं न तो जल्दबाजी में कोई कार्य करता हूँ और न ही आँख बंद करके किसी निष्कर्ष पर पहुँचता हूँ; क्योंकि मेरा स्वभाव दिव्य है। लोग साफ तौर पर यह नहीं देख पाते कि फिलहाल मैं क्या कर रहा हूँ, या मैं अपने अगले चरण में क्या करूँगा। जब मैं एक चरण के बारे में बोलता हूँ तो उसी समय, जिस तरह से मैं कार्य करता हूँ वह भी मेरे साथ एक कदम आगे बढ़ जाता है। सब-कुछ मेरे वचनों के भीतर होता है, सब-कुछ मेरे वचनों के भीतर प्रकट होता है, इसलिए किसी को भी अधीर नहीं होना चाहिए; ठीक से मेरी सेवा करना ही पर्याप्त है। युगों पहले मैंने अंजीर के पेड़ के बारे में भविष्यवाणी की थी, किन्तु युगों के दौरान किसी ने भी अंजीर का पेड़ नहीं देखा और कोई भी इसे नहीं समझा सकता था, हालाँकि इन वचनों का उल्लेख पहले की स्तुतियों में किया गया था, लेकिन कोई भी इसका असली अर्थ नहीं बता पाया। इन वचनों ने लोगों को उसी तरह भ्रमित कर दिया जैसे “भयानक आपदा” वाले वाक्यांश ने किया था और यह एक रहस्य था जिसे मैंने मानवजाति के आगे कभी बेपर्दा नहीं किया। लोग सोचते थे कि अंजीर का पेड़ संभवतः एक अच्छे फल वाला पेड़ है, या शायद एक कदम आगे बढ़कर कहें तो यह शायद इसका तात्पर्य संतों से है, किन्तु वे फिर भी सही अर्थ से बहुत दूर थे। जब मैं अंत के दिनों में अपनी सूचीपत्र खोलूँगा तब मैं तुम लोगों को बताऊँगा। (“सूचीपत्र” से तात्पर्य उन सभी वचनों से है जो मैंने बोले हैं, जो मैंने अंत के दिनों में बोले हैं—इसमें वे सभी वचन हैं।) “अंजीर का पेड़” का तात्पर्य मेरे सभी प्रशासनिक आदेशों है। किन्तु यह इसके अर्थ का सिर्फ एक हिस्सा है। अंजीर के पेड़ का अंकुरित होने का तात्पर्य मेरे कार्य आरंभ करने और देह में बोलने से है, किन्तु मेरे प्रशासनिक आदेशों को अभी भी ज़ाहिर नहीं किया गया था (क्योंकि उस समय तक, मेरे नाम का कोई भी गवाह जन्मा नहीं था और कोई भी मेरे प्रशासनिक आदेशों को नहीं जानता था)। जब मेरे नाम की गवाही दी जाएगी और यह फैलेगा, जब सभी लोगों द्वारा इसकी स्तुति की जाएगी, जब मेरे प्रशासनिक आदेश सफल होंगे, तो यही अंजीर के पेड़ पर फल लगने का समय होगा। यही पूर्ण व्याख्या है जिसमें कुछ भी छोड़ा नहीं गया है; यहां सब-कुछ प्रकट कर दिया गया है। (मैं ऐसा इसलिए कहता हूँ क्योंकि मेरे पिछले वचनों में, एक हिस्सा ऐसा था जिसे मैंने अभी तक पूरी तरह से प्रकट नहीं किया था; इसलिए तुम लोगों को धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करने और तलाश करने की आवश्यकता थी।)

जब मैं ज्येष्ठ पुत्रों को पूर्ण बनाऊँगा, तो मैं ब्रह्मांड के आगे अपनी संपूर्ण महिमा को और समस्त स्वरूपों को प्रकट करूँगा। यह शरीर में होगा और यह सभी लोगों से ऊपर, मेरे अपने व्यक्तित्व में होगा; यह मेरे सिय्योन पर्वत पर और मेरी महिमा में होगा और खासतौर से, यह स्तुति के कोलाहल के बीच किया जाएगा। इसके अलावा, मेरे आस-पास जितने भी दुश्मन हैं, वो पीछे हट जाएँगे, वो अथाह गड्ढे, आग और गंधक की झील में जा पड़ेंगे। आज लोगों की कल्पना बहुत ही सीमित दायरे में है और वह मेरे मूल इरादों के अनुरूप भी नहीं है; यही कारण है कि जब मैं हर दिन बोलता हूँ तो लोगों की अवधारणाओं और विचारों को निशाना बनाता हूँ। एक दिन आएगा (शरीर में प्रवेश करने का दिन) जब जो मैं कहूँगा तो वह तुम लोगों के लिए पूरी तरह से उपयुक्त होगा और तुम्हारी तरफ से कोई भी प्रतिरोध नहीं होगा, उस समय तुम लोगों में कोई विचार नहीं होंगे और तब मैं भी नहीं बोलूँगा। क्योंकि तुम लोगों की अपनी कोई सोच नहीं होगी, इसलिए मैं तुम लोगों को सीधे प्रबुद्ध कर दूँगा—ज्येष्ठ पुत्रों को इसी आशीष का आनंद प्राप्त होगा, और यह तब होगा जब वे राजाओं के रूप में मेरे साथ शासन करेंगे। मनुष्य जिन चीज़ों की कल्पना नहीं कर पाता, वह उन पर विश्वास भी नहीं करता, अगर कुछ लोग इस पर विश्वास करते भी हैं, तो मेरी विशेष प्रबुद्धता के कारण ही करते है। वरना कोई विश्वास नहीं करेगा, इसका अनुभव सबको करना चाहिए। (इस चरण से गुज़रे बिना, मेरी महान शक्ति को इसके माध्यम से प्रकट नहीं किया जा सकता, इसका अर्थ है कि मैं मात्र अपने वचनों से लोगों को उनकी अवधारणाओं से छुटकारा दिलाता हूँ। दूसरा कोई इस कार्य को नहीं कर सकता और कोई मेरी जगह नहीं ले सकता। केवल मैं ही इसे पूरा कर सकता हूँ; हालाँकि, यह पूर्ण नहीं है। मुझे यह कार्य लोगों के ज़रिए करना चाहिए।) मेरे वचनों को सुनकर लोग उत्साहित हो जाते हैं, लेकिन अंत में सभी पीछे हट जाते हैं। उनके पास ऐसा करने के अलावा और कोई चारा नहीं होता। ऐसे रहस्य होते हैं जिन्हें लोग समझ नहीं पाते। कोई सोच भी नहीं सकता कि क्या होगा और मैं जो प्रकट करूँगा, उसमें तुम लोगों को इसे दिखाऊँगा। उसके माध्यम से मेरे इन वचनों के अर्थ स्पष्ट हो जाएँगे : “मैं उन सभी को उखाड़ कर फेंक दूँगा जो मेरे उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं हैं।” मेरे ज्येष्ठ पुत्रों में मेरे शत्रुओं की तरह ही कई प्रकार की अभिव्यक्तियाँ हैं हैं। एक-एक करके वे सब तुम लोगों के लिए प्रकट की जाएँगी। याद रखना! ज्येष्ठ पुत्रों के अतिरिक्त कोई भी व्यक्ति हो उसमें दुष्ट आत्माओं का कार्य होता है। वे सभी शैतान के अनुचर हैं। (उन्हें शीघ्र ही, एक-एक करके प्रकट किया जाएगा, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें अंत तक सेवा करनी पड़ती है और कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें केवल कुछ समय तक ही सेवा करने की आवश्यकता होती है।) मेरे वचनों के कार्य के अधीन, सभी अपने असली चेहरे दिखाएँगे।

हर देश, हर स्थान और हर संप्रदाय मेरे नाम की समृद्धियों का आनंद ले रहे हैं। चूँकि इस समय आपदा मंडरा रही है और मेरी मुट्ठी में है, मैं इसे धीरे-धीरे नीचे भेजने की तैयारी कर रहा हूँ, इसलिए हर व्यक्ति तत्परता से सत्य के मार्ग की खोज कर रहा है, जिसकी तलाश अवश्य की जानी चाहिए भले ही इसकी कीमत सब कुछ गंवाकर चुकानी पड़े। सभी चीज़ों में मेरा अपना समय है। जब कभी भी मैं कहता हूँ कि यह पूरा हो जाएगा, तो यह तभी पूरा हो जाएगा, ठीक उसी पल, उसी क्षण। कोई भी इसे बाधित नहीं कर सकता या इसे रोक नहीं सकता। आखिरकार, बड़ा लाल अजगर मेरा परास्त किया हुआ शत्रु ही तो है; वह मेरे लिए एक सेवाकर्मी है और मैं उसे जो कुछ भी करने के लिए कहता हूँ, वह उसे बिना किसी प्रतिरोध के करता है। यह वास्तव में मेरा बोझ ढोने वाला जानवर है। जब मेरा कार्य पूरा हो जाएगा, तो मैं इसे अथाह गड्ढे, आग और गंधक की झील में डाल दूँगा (मैं उन लोगों का जिक्र कर रहा हूं जो नष्ट हो चुके हैं)। नष्ट किए गए लोग न केवल मृत्यु का स्वाद चखेंगे, बल्कि उन्हें मेरा उत्पीड़न करने के कारण भयंकर दंड भी दिया जाएगा। मैं इस कार्य को सेवाकर्मियों के माध्यम से करता रहूँगा। मैं शैतान को उसी के हाथों मरवाऊँगा और नष्ट करवाऊँगा और बड़े लाल अजगर के वंशजों को पूरी तरह से मिटा दूँगा। यह मेरे कार्य का एक हिस्सा है; और उसके बाद, मैं अन्यजाति राष्ट्रों की ओर मुड़ जाऊँगा। ये मेरे कार्य के चरण हैं।

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