448 सामान्य स्थिति जीवन में तीव्र विकास की ओर ले जाती है
इंसान की स्थिति हर चरण में,
इस बात से जुड़ी है,
वो सत्य में कितना प्रवेश करेगा
और कितना पाएगा।
Ⅰ
कुछ गलत स्थिति में हैं;
भले ही वो खोजें, सुनें, पढ़ें,
और संवाद करें,
पर वो सामान्य स्थिति वालों
जितना न पाएँगे।
Ⅱ
अगर इंसान सदा अशुद्ध रहे,
भ्रष्ट प्रकृति दिखाए,
इंसानी धारणाएँ रखे,
तो वो पूरी तरह भ्रमित होगा।
इससे सत्य में उसका
प्रवेश प्रभावित होगा।
साफ़-मन ही सत्य को समझ पाए।
निर्मल-हृदय ही ईश्वर को देख पाए।
ख़ुद को ख़ाली करो और सत्य पाओ।
सामान्य स्थिति में जीवन
तेज़ी से विकसित होता।
इंसान सत्य को समझकर
उसमें प्रवेश कर सके,
ईश-वचनों से उपयोगी चीज़ें जान सके,
दूसरों को पोषण दे सके,
सेवा कर सके।
सामान्य स्थिति में जीवन
तेज़ी से विकसित होता।
Ⅲ
अगर दिल अशांत हो तो
इंसान सत्य को न समझ पाए।
पर उसे अपनी स्थिति को देखने,
अपनी समस्याओं,
अपनी प्रकृति को जानने के लिए,
इसे समझना चाहिए।
सामान्य स्थिति में जीवन
तेज़ी से विकसित होता।
इंसान सत्य को समझकर
उसमें प्रवेश कर सके,
ईश-वचनों से उपयोगी चीज़ें जान सके,
दूसरों को पोषण दे सके,
सेवा कर सके।
सामान्य स्थिति में जीवन
तेज़ी से विकसित होता।
अगर इंसान की स्थिति
सही और सामान्य हो,
तो उसका कद सच्चा होगा।
समस्याएँ आने पर वो अटल रहेगा,
शिकायत न करेगा।
तुम हर चरण में जिस तरह,
जिस स्थिति में खोजते हो,
हैं ऐसी चीज़ें जिन्हें तुम
अनदेखा न कर सको।
वरना मुसीबत में पड़ जाओगे।
सामान्य स्थिति में जीवन
तेज़ी से विकसित होता।
इंसान सत्य को समझकर
उसमें प्रवेश कर सके,
ईश-वचनों से उपयोगी चीज़ें जान सके,
दूसरों को पोषण दे सके,
सेवा कर सके।
सामान्य स्थिति में जीवन
तेज़ी से विकसित होता।
सामान्य स्थिति में तुम सही मार्ग पर चलोगे,
सही काम करोगे और तुरंत
ईश-वचनों में प्रवेश करोगे।
इसी तरह से तुम्हारा जीवन
विकसित हो सके।
इसी तरह से तुम्हारा जीवन
विकसित हो सके।
'मसीह की बातचीत के अभिलेख' से रूपांतरित