अध्याय 95

लोगों को लगता है कि हर चीज़ बेहद सरल है, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है। हर चीज़ के भीतर रहस्य छिपे होते हैं, मेरी बुद्धि और मेरी व्यवस्था निहित होती है। किसी भी विवरण को अनदेखा नहीं किया जाता, हर चीज़ मेरे द्वारा व्यवस्थित की जाती है। उन सभी को विशेष दिन का न्याय भुगतना पड़ता है जो मुझे ईमानदारी से प्रेम नहीं करते (याद रखो, विशेष दिन के न्याय का लक्ष्य हर वह व्यक्ति है जो इस नाम को प्राप्त करता है) और उन्हें रोना तथा दाँत पीसने पड़ते हैं। विलाप की यह आवाज़ अधोलोक और नरक से आती है; उस दिन लोग नहीं, बल्कि राक्षस रोते हैं। मेरा न्याय उन्हें रुलाता है, लोगों को मेरी प्रबंधन योजना का अंतिम उद्धार प्राप्त होता है। मुझे कुछ लोगों से थोड़ी उम्मीदें थी। लेकिन अभी का नज़ारा देखते हुए, मुझे इन लोगों को एक-एक करके त्यागना होगा, क्योंकि मेरा कार्य इस चरण तक आ गया है और इसे कोई नहीं बदल सकता। जो लोग मेरे ज्येष्ठ पुत्र या मेरे लोग नहीं हैं, उन्हें त्याग दिया जाना चाहिए और यहाँ से निकल जाना चाहिए! तुम लोगों को समझना चाहिए कि चीन में, मेरे ज्येष्ठ पुत्रों और मेरे लोगों के अलावा, अन्य सभी बड़े लाल अजगर की संतान हैं और उन्हें त्याग दिया जाना चाहिए। तुम लोगों को समझना चाहिए कि आखिरकार चीन मेरे द्वारा शापित राष्ट्र है और वहाँ मेरे कुछ लोग हैं जो भविष्य के मेरे कार्य के लिए सेवा प्रदान करने वालों से अधिक कुछ नहीं हैं। इसे दूसरे ढंग से कहें तो, वहाँ मेरे ज्येष्ठ पुत्रों के अलावा और कोई नहीं है—बाकी सब नष्ट होने के लिए हैं। यह मत सोचो कि मैं अपने कर्मों में बहुत अति करता हूँ—यह मेरा प्रशासनिक आदेश है। जो मेरे शाप से पीड़ित होते हैं वे मेरी नफ़रत की वस्तुएँ हैं और यह पत्थर की लकीर है। मैं कोई गलती नहीं करता; यदि मैं किसी ऐसे को देखता हूँ जो मुझे अप्रसन्न करता है तो मैं उसे लात मार कर बाहर निकाल दूँगा और यह पर्याप्त सबूत है कि तू मेरे द्वारा शापित है और बड़े लाल अजगर का वंशज है। मैं तुझे फिर से समझा दूँ कि चीन में केवल मेरे ज्येष्ठ पुत्र हैं (सेवा प्रदान करन वाले मेरे लोगों के अलावा) और यह मेरा प्रशासनिक आदेश है। लेकिन मेरे ज्येष्ठ पुत्र बहुत कम हैं और सभी मेरे द्वारा पूर्वनियत हैं—मुझे पता है कि मैं क्या कर रहा हूँ। मैं तेरी नकारात्मकता से नहीं डरता और मैं इस बात से भी नहीं डरता कि तू पलट कर मुझे काट लेगा, क्योंकि मेरे अपने प्रशासनिक आदेश हैं और मुझमें कोप है। अर्थात्, मेरे हाथ में बड़ी आपदाएँ हैं और मुझे किसी चीज़ का डर नहीं है, क्योंकि मैंने सभी चीज़ों को पहले ही प्राप्त कर लिया गया मानता हूँ और जब वह दिन आएगा तो मैं पूरी तरह से तुझ पर कार्रवाई करूँगा। इंसान किसी को भी मेरा ज्येष्ठ पुत्र बनाने के लिए पूर्ण या शिक्षित नहीं कर सकता, बल्कि यह पूरी तरह से मेरी पूर्वनियति पर निर्भर करता है। जिस किसी को भी मैं कहता हूँ कि वह ज्येष्ठ पुत्र है तो वह ज्येष्ठ पुत्र है; मुझसे स्पर्धा करने या इसे छीनने की कोशिश मत करो। सभी चीजें मुझ सर्वशक्तिमान स्वयं परमेश्वर पर निर्भर करती हैं।

एक दिन मैं तुम सभी लोगों को यह देखने दूँगा कि मेरे प्रशासनिक आदेश क्या हैं और मेरा कोप क्या है (सब मेरे सामने घुटने टेकेंगे, मेरी आराधना करेंगे, मुझसे क्षमा माँगेंगे और सभी समर्पण में रहेंगे; अभी मैं केवल अपने ज्येष्ठ पुत्रों को इसका एक हिस्सा देखने देता हूँ)। मैं बड़े लाल अजगर की सभी संतानों को दिखाऊँगा कि मैंने अपने ज्येष्ठ पुत्रों को पूर्ण बनाने के लिए कई लोगों (मेरे ज्येष्ठ पुत्रों को छोड़कर सभी को) को बलिदान देने के लिए चुना है, कि मैंने बड़े लाल अजगर को उसी के कुटिल षड्यंत्र में फँसा दिया है। (मेरी प्रबंधन योजना में, बड़ा लाल अजगर उन लोगों को भेजता है जो मेरे लिए सेवा प्रदान करते हैं—जिसमें मेरे ज्येष्ठ पुत्रों के अलावा सभी शामिल हैं—कि वे मेरी प्रबंधन योजना में गड़बड़ी करें; फिर भी वह अपने ही कुटिल षड्यंत्र में फँस गया है और वे सभी मेरे कार्य के लिए सेवा प्रदान करते हैं। यह मुझे सेवा प्रदान करने के लिए सभी को संगठित करने के वास्तविक अर्थ का एक हिस्सा है)। आज, जब सभी चीजें प्राप्त कर ली गई हैं, तो मैं उन सभी का निपटारा करूँगा, उन्हें अपने पैरों के नीचे कुचल दूँगा, इसके माध्यम से मैं बड़े लाल अजगर को अपमानित करूँगा और उसे पूरी तरह से शर्मिंदा कर दूँगा (वे आशीष प्राप्त करने के लिए धोखाधड़ी का मार्ग अपनाने का प्रयास करते हैं, लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा होगा कि वे मेरे लिए सेवा प्रदान करेंगे)—यह मेरी बुद्धि है। यह सुनकर, लोग सोचते हैं कि मैं भावनाओं या दया से रहित हूँ, मुझमें मानवता नहीं है। मैं वास्तव में शैतान के प्रति भावनाओं या करुणा से रहित हूँ, इसके अलावा मैं स्वयं परमेश्वर हूँ जो मानवता से बढ़ कर है। तू कैसे कह सकता है कि मैं मानवता सहित परमेश्वर हूँ? क्या तू नहीं जानता कि मैं दुनिया का नहीं हूँ? क्या तू नहीं जानता कि मैं सभी चीज़ों से ऊपर हूँ? मेरे ज्येष्ठ पुत्रों के अलावा, मेरे जैसा कोई नहीं है, ऐसा कोई नहीं है जिसका स्वभाव मेरे जैसा हो (मानवीय स्वभाव नहीं बल्कि दिव्य स्वभाव) और ऐसा कोई नहीं है जिसमें मेरे गुण हों।

जब आध्यात्मिक क्षेत्र का द्वार खुलेगा, तो तुम लोग सभी रहस्यों को देखोगे, जिससे तुम लोग एक पूरी तरह से मुक्त क्षेत्र में प्रवेश करने में, मेरे प्रेमपूर्ण आलिंगन में प्रवेश करने में और मेरे अनंत आशीषों में प्रवेश करने में सक्षम बनोगे। मेरे हाथों ने हमेशा मानवजाति को सहारा दिया है। लेकिन मानवजाति का एक हिस्सा ऐसा है जिसे मैं बचाऊँगा और एक हिस्सा ऐसा है जिसे मैं नहीं बचाऊँगा। (मैं “सहारा” कहता हूँ क्योंकि यदि मैंने पूरी दुनिया को सहारा नहीं दिया होता, तो यह बहुत पहले ही अधोलोक में गिर गयी होती।) इसका एहसास करो! यह मेरी प्रबंधन योजना है। और मेरी प्रबंधन योजना क्या है? मैंने मानवजाति को बनाया, किन्तु मैंने कभी भी हर एक व्यक्ति को प्राप्त करने की नहीं, बल्कि केवल मानवजाति के एक छोटे से हिस्से को प्राप्त करने की योजना बनाई थी। तो मैंने इतने सारे लोगों को किसलिए बनाया? मैं पहले कह चुका हूँ कि मेरे साथ, पूरी स्वतंत्रता और मुक्ति है और मैं जो कुछ भी चाहता हूँ वही करता हूँ। जब मैंने मानवजाति का सृजन किया, तो यह केवल इसलिए था कि वह एक सामान्य जीवन जी सके और फिर मानवजाति का एक छोटा सा हिस्सा उठ सके जो मेरे ज्येष्ठ पुत्र, मेरे पुत्र और मेरे लोग होंगे। यह कहा जा सकता है कि मेरे ज्येष्ठ पुत्रों, मेरे लोगों और मेरे पुत्रों के अलावा, सभी लोग, चीज़ें और वस्तुएँ सभी सेवाकर्मी हैं और सभी को नष्ट होना है। इस तरह से मेरी पूरी प्रबंधन योजना का समापन होगा। यह मेरी प्रबंधन योजना है, यह मेरा कार्य है और ये वो चरण हैं जिनके अनुसार मैं कार्य करता हूँ। जब सब कुछ खत्म हो जाएगा तो मैं पूरी तरह आराम करूँगा। उस समय, सब कुछ ठीक होगा; और सब-कुछ शांतिपूर्ण और सुरक्षित होगा।

मेरे कार्य की गति इतनी तेज़ है कि कोई इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता। यह दिन-प्रतिदिन बदलती रहती है और जो गति नहीं बनाए रख सकता, उसे नुकसान होगा; इंसान केवल हर दिन नई रोशनी को कसकर थामे रह सकता है (यद्यपि मेरा प्रशासनिक आदेश, दर्शन और सत्य जिसकी मैं संगति करता हूँ, कभी नहीं बदलते)। मैं हर दिन क्यों बोलता हूँ? मैं लगातार तुझे क्यों प्रबुद्ध करता हूँ? क्या तू सच्चे अर्थ को समझता है? अधिकांश लोग अभी भी हँसी-मज़ाक करते रहते हैं, वे गंभीर नहीं हो पाते। वे मेरे वचनों पर कोई ध्यान नहीं देते, लेकिन जब वे उन्हें सुनते हैं तो बस एक सरसरी उत्कंठा महसूस करते हैं। उसके बाद, मेरे वचनों को शीघ्र ही भूलकर, अपनी पहचान से अनजान और लापरवाह हो जाते हैं। क्या तू जानता है कि तेरी हैसियत क्या है? कोई मेरे लिए सेवा प्रदान करता है या नहीं अथवा उसे मेरे द्वारा पूर्वनियत और चुना जाता है या नहीं, इसे केवल मेरे हाथ तय करते हैं; इसे कोई इसे बदल नहीं सकता है—यह मुझे ही करना होता है, उन्हें मुझे ही चुनना और पूर्वनियत करना होगा। कौन कहने का साहस करता है कि मैं एक अज्ञानी परमेश्वर हूँ? मेरा बोला हर वचन और हर कार्य मेरी बुद्धि है। कौन एक बार फिर से मेरे प्रबंधन को गड़बड़ी करने या मेरी योजनाओं को नष्ट करने का साहस करता है? मैं निश्चित रूप से उन्हें माफ नहीं करूँगा! समय मेरे हाथों में रहता है और मुझे किसी विलंब का भय नहीं है; क्या मैं ही एकमात्र वह नहीं हूँ जो अपनी प्रबंधन योजना के समाप्त होने का समय तय करता है? क्या यह सब मेरे एक विचार पर निर्भर नहीं करता? जब मैं कहता हूँ कि यह पूरा हो गया, तो यह पूरा हो गया और जब मैं कहता हूँ कि यह समाप्त हो गया तो समाप्त हो गया। मुझे कोई जल्दबाजी नहीं है और मैं उचित व्यवस्थाएँ करूँगा। मनुष्य को मेरे कार्य में अपनी टाँग नहीं अड़ानी चाहिए और उसे मेरे लिए कार्य वैसे नहीं करना चाहिए जैसा वह चाहे। जो कोई भी अपनी टाँग अड़ाता है मैं उसे शाप देता हूँ—यह मेरे प्रशासनिक आदेशों में से एक है। मैं अपना कार्य स्वयं करता हूँ, मुझे किसी अन्य की आवश्यकता नहीं है (मैं उन सेवाकर्मियों को कार्य करने की अनुमति देता हूँ, अन्यथा वे उतावलेपन से या बिना देखे कार्य करने की हिम्मत नहीं करते)। समस्त कार्य मेरे द्वारा व्यवस्थित किया जाता है, मेरे द्वारा तय किया जाता है, क्योंकि मैं ही एकमात्र स्वयं परमेश्वर हूँ।

दुनिया के सभी राष्ट्र एक-दूसरे के साथ ताकत और लाभ के लिए होड़ करते हैं, जमीन के लिए लड़ाई करते हैं, लेकिन चिंतित न हों, क्योंकि ये सभी चीज़ें मेरी सेवा में हैं। मैं क्यों कहता हूँ कि वे मेरी सेवा में हैं? मैं अँगुली उठाए बिना ही कार्य करता हूँ। शैतानों का न्याय करने के लिए मैं सबसे पहले उनमें आपस में विवाद करवाता हूँ और अंत में उनका ध्वंस कर देता हूँ और उन्हें उनके ही कुटिल षड्यंत्रों में फँसा देता हूँ (वे ताकत के लिए मेरे साथ होड़ करना चाहते हैं, लेकिन अंत में वे मेरे लिए सेवा प्रदान करने लगते हैं)। मैं केवल बोलता हूँ और आदेश देता हूँ और हर कोई वही करता है जो मैं कहता हूँ, अन्यथा मैं उसे तुरंत नष्ट कर देता हूँ। ये सारी चीज़ें मेरे न्याय का हिस्सा हैं, क्योंकि मैं सभी चीज़ों को नियंत्रित करता हूँ, सभी चीज़ें मेरे द्वारा नियत की जाती हैं। जो कोई भी कुछ भी करता है तो वह ऐसा अनजाने में करता है, मेरी ही व्यवस्था के अनुसार ऐसा कर रहा होता है, मुझे आशा है कि तुम लोग शीघ्र ही घटने वाली घटनाओं में मेरी बुद्धि से भरपूर हो सकते हो। इसके प्रति लापरवाही का रवैया न अपनाओ, बल्कि जब तुम लोगों पर मुसीबत आए तो मेरे और करीब आ जाओ; मेरी ताड़ना को अपमानित करने और शैतान के कुटिल षड्यंत्रों में फँसने से बचने के लिए हर बात में अधिक सावधान और सतर्क रहो। तुम लोगों को मेरे वचनों से अंतर्दृष्टि प्राप्त करनी चाहिए, जानना चाहिए कि मैं कौन हूँ, देखना चाहिए कि मेरे पास क्या है। तुम लोगों को मेरे सार्थक रूप के अनुसार कार्य करना चाहिए, लापरवाही से कार्य नहीं करना चाहिए। वह करो जो मैं करता हूँ और वह कहो जो मैं कहता हूँ। मैं ये बातें तुम लोगों को पहले ही कह देता हूँ ताकि तुम लोग गलतियाँ करने से बच सको और लालच में न पड़ो। “मेरा अस्तित्व” क्या है? “मेरा स्वरूप” क्या है? क्या तुम लोग वास्तव में जानते हो? जिस पीड़ा को मैं सहन करता हूँ वह मेरे अस्तित्व का हिस्सा है, क्योंकि यह मेरी सामान्य मानवता का हिस्सा है, मेरे अस्तित्व को मेरी पूर्ण दिव्यता में भी पाया जा सकता है—क्या तुम लोग यह जानते हो? मेरा अस्तित्व दो पहलुओं से बना है : एक पहलू मेरी मानवता का है, जबकि दूसरा मेरी पूर्ण दिव्यता का है। ये दो पहलू मिलकर ही पूर्ण स्वयं परमेश्वर बनता है। मेरी पूर्ण दिव्यता में बहुत-सी चीजें शामिल हैं : मैं किसी भी व्यक्ति, पदार्थ या चीज़ से बाधित नहीं होता; मैं सभी वातावरणों से बढ़कर हूँ; मैं समय, स्थान या भूगोल के किसी भी प्रतिबंध से परे हूँ; मैं सभी लोगों, मामलों और चीज़ों को अच्छी तरह जानता हूँ; तब भी मैं हाड़-माँस का हूँ और मूर्त रूप में उपस्थित हूँ; मैं तब भी लोगों की नज़रों में यही व्यक्ति हूँ, लेकिन प्रकृति बदल गई है—यह देह नहीं, शरीर है। ये चीज़ें इसका एक छोटा-सा हिस्सा मात्र हैं। मेरे सभी ज्येष्ठ पुत्र भी भविष्य में इसी तरह के होंगे; इसी मार्ग पर चलना चाहिए, जो अभिशप्त हो गए हैं वे बच नहीं सकते। जब मैं यह कर रहा हूँ, तो उन सभी को जिन्हें पूर्वनियत नहीं किया गया है, निष्कासित कर दिया जाएगा (क्योंकि शैतान यह देखने के लिए मेरा परीक्षण कर रहा है कि मेरे वचन अचूक हैं या नहीं)। जो लोग पूर्वनियत हैं वे इससे बच नहीं सकते हैं, चाहे वे कहीं भी चले जाएँ, फलस्वरूप तुम लोग मेरे इस कार्य के पीछे के सिद्धांतों को देखोगे। “मेरे स्वरूप” का अर्थ है मेरी बुद्धि, मेरा ज्ञान, मेरी साधन-संपन्नता और मेरे द्वारा बोला गया हर वचन। यह मेरी मानवता और मेरी दिव्यता दोनों में है। अर्थात्, वह सब-कुछ जो मेरी मानवता और मेरी दिव्यता द्वारा किया जाता है वही मेरा स्वरूप है; कोई भी इन चीज़ों को न तो दूर कर सकता है और न ही उन्हें हटा सकता है, वे मेरे कब्जे में हैं और उन्हें कोई बदल नहीं सकता। यह मेरा सबसे गंभीर प्रशासनिक आदेश है (क्योंकि मनुष्य की अवधारणाओं में, बहुत सी चीज़ें जो मैं करता हूँ वे उसकी अवधारणाओं के अनुरूप नहीं है और मनुष्य की समझ से परे हैं; हर व्यक्ति इस आदेश का अपमान बड़ी आसानी से कर देता है और यह सबसे कठोर भी है। इसलिए उसमें उनका जीवन नुकसान उठाता है)। मैं फिर से कहूँगा, तुम लोगों को उसके प्रति एक शुद्ध अंतःकरण वाला दृष्टिकोण अपनाना चाहिए जिसे करने के लिए मैं तुम लोगों को उपदेश देता हूँ—तुम लोगों को लापरवाह नहीं होना चाहिए!

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