646 इंसानों के बीच सबसे सुंदर चीज

1 परमेश्वर मानवजाति को प्रबंधित करने, मानवजाति को बचाने, के लिए कार्य करता है और इससे मानवजाति के कर्तव्य उत्पन्न होते हैं; और चाहे इंसान का कर्तव्य जो भी हो, इंसानों के बीच यही सबसे सुंदर और धार्मिक बात होती है। परमेश्वर के सृजित प्राणी परमेश्वर के प्रभुत्व में जीते हैं, वे परमेश्वर द्वारा प्रदान की गई हर चीज को, उस हर चीज को जो परमेश्वर से आती है, स्वीकार करते हैं, इसलिए उन्हें अपनी जिम्मेदारियों और अपने दायित्वों को पूरा करना चाहिए—यह उनका कर्तव्य है। मानवजाति के लिए परमेश्वर के सृजित प्राणी होने के नाते अपना कर्तव्य निभाना, इंसान की इस दुनिया में रहते हुए किए गए किसी भी अन्य काम से कहीं अधिक धार्मिक, सुंदर और भद्र होता है; मानवजाति के बीच कुछ भी इससे अधिक सार्थक या योग्य नहीं होता, और परमेश्वर के एक सृजित प्राणी के कर्तव्य को पूरा करने की तुलना में अन्य कुछ भी परमेश्वर के किसी जीव के जीवन के लिए अधिक अर्थपूर्ण और मूल्यवान नहीं होता है।

2 परमेश्वर के एक जीव के लिए अपने कर्तव्य को निभाने में सक्षम होना, सृष्टिकर्ता को संतुष्ट करने में सक्षम होना, मानवजाति के बीच सबसे अद्भुत चीज होती है, और यह कुछ ऐसा है जिसकी मानवजाति के बीच खुशी मनाई जानी चाहिए। परमेश्वर के जीवों को सृष्टिकर्ता द्वारा सौंपी गई किसी भी वस्तु को नि:शर्त स्वीकार करना चाहिए; मानवजाति के बीच उन लोगों के लिए जो परमेश्वर के सृजित प्राणियों के कर्तव्य को निभाते हों, कुछ भी इससे अधिक धन्य, शानदार या स्मरणीय नहीं होता है—यह एक सकारात्मक चीज है। सृष्टिकर्ता की ओर से, वह इस आदेश को तुम लोगों में से हर एक को सौंपने के लिए तैयार होता है; और सृजित मानवजाति की ओर से, लोगों को इसे अपने जीवन के दायित्व के रूप में और उस मूल्य के रूप में जिसे उन्हें जीकर दिखाना है, इस कर्तव्य को सहर्ष स्वीकार करना चाहिए। यहाँ कोई आदान-प्रदान नहीं होता, यह एक समकक्ष विनिमय नहीं है।

3 यह देखते हुए कि लोगों को सृजित प्राणियों के कर्तव्य को निभाना ही चाहिए, सृष्टिकर्ता ने फिर से मानवजाति के बीच और भी बड़ा कार्य किया है: वह मानवजाति को सत्य प्रदान करता है, जिससे उन्हें अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए परमेश्वर से सत्य हासिल करने, और इस प्रकार अपने भ्रष्ट स्वभावों को दूर करने और शुद्ध होने का अवसर मिलता है। इस प्रकार, वे परमेश्वर की इच्छा को संतुष्ट कर पाते हैं और जीवन में सही मार्ग अपना पाते हैं, और अंततः, वे परमेश्वर का भय मानने और बुराई से दूर रहने, पूर्ण उद्धार प्राप्त करने, और शैतान के दुखों के अधीन न रहने में सक्षम हो जाते हैं। यही वह मुख्य प्रभाव है जो परमेश्वर चाहता है कि अपने कर्तव्य का पालन करके मानवजाति अंततः प्राप्त करे। इसलिए, जब मानवजाति अपना कर्तव्य निभाती है, तो लोग केवल उस मूल्य और महत्व का आनंद ही नहीं लेते हैं जो एक सृजित प्राणी के रूप में अपने कर्तव्य को निभाने से मानव जीवन में आते हैं; वे शुद्ध हो जाते हैं और बचा लिए जाते हैं, और अंततः, वे सृष्टिकर्ता के मुखमंडल के प्रकाश में रहने लगते हैं।

—वचन, खंड 4, मसीह-विरोधियों को उजागर करना, मद नौ : वे अपना कर्तव्य केवल खुद को अलग दिखाने और अपने हितों और महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए निभाते हैं; वे कभी परमेश्वर के घर के हितों की नहीं सोचते, और अपने व्यक्तिगत यश के बदले उन हितों के साथ धोखा तक कर देते हैं (भाग सात) से रूपांतरित

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