137 अनंतकाल तक करूंगा/करूंगी प्रेम परमेश्वर से मैं
हे परमेश्वर! तुम्हारे वचन ले आए हैं वापिस तुम्हारे पास मुझे।
राज्य में दिन और रात के अपने प्रशिक्षण को
करता/करती हूँ मैं स्वीकार।
कितने परीक्षण, कितना दर्द, कितनी कठिनाइयां।
कई बार बहाए आँसू मैंने,
कई बार महूसस की पीड़ा दिल में मैंने,
कई बार शैतान के जाल में फंस गया/गई मैं।
लेकिन तुमने कभी न छोड़ा साथ मेरा।
तुमने कई कठिनाइयों में की है रहनुमाई मेरी।
तुमने कई ख़तरों से बचाया मुझे।
अब मुझे पता है कि प्रेम किया है तुमने मुझे।
हे परमेश्वर! तुम ले आए हो मुझे नए जीवन की ओर।
तुम्हारे वचनों का आनंद लेते हुए,
समझा/समझी हूँ तुम्हारी इच्छा मैं।
तुम्हारे वचन करते हैं मेरा न्याय,
देते हैं मुझे ताड़ना,
स्वच्छ करते हैं मेरा दूषण।
परीक्षणों से गुज़रते हुए,
तुम्हारी आज्ञा मानना सीखा है मैंने।
परमेश्वर के वचन में आगे बढ़ते हुए,
जाना है परमेश्वर को मैंने।
तुम्हारी गवाही और महिमा के लिए
तैयार हूं मैं अपना कर्तव्य पूरा करने के लिए।
मैं हर समय करूंगा/करूंगी तुम्हे प्रेम।
चाहे मुझे आशीष मिले या श्राप,
तुम्हारी दया से मैं रहूंगा/रहूंगी ख़ुश।
दूंगा/दूंगी मैं तुम्हें सच्चा प्रेम,
करने नहीं दूंगा/दूंगी तुम्हें इंतज़ार।
दूंगा/दूंगी मैं तुम्हें शुद्ध प्रेम,
कृपया आनंद लो मेरे प्रेम का।
मैं तुम्हें अपना प्यार दूंगा/दूंगी,
और तुम्हें मेरा प्रेम प्राप्त करने दूंगा/दूंगी।
मैं हर समय करूंगा/करूंगी तुम्हे प्रेम।
तुम्हें संतुष्ट करना है मेरी इच्छा।