137 अनंतकाल तक करूंगा प्रेम परमेश्वर से मैं
1
हे परमेश्वर! तुम्हारे वचन मुझे वापिस तुम्हारे पास बुलाते हैं।
राज्य में दिन और रात के अपने प्रशिक्षण को करती हूँ मैं स्वीकार।
कितनी ही बार, मैं कमजोर और नकारात्मक था, और तुम्हारे वचनों ने मुझे शांत किया, समर्थन दिया।
कितनी ही बार, मैं प्रलोभन में पड़ गया, और तुमने मुझे बचाया और मुझे अद्भुत ढंग से राह दिखाई।
और कई बार, सीसीपी द्वारा मेरा पीछा किया गया और सताया गया।
यह तुम ही थे जिसने हमेशा गुप्त रूप से मेरी रक्षा की, राह दिखाई।
तुमने कई कठिनाइयों और खतरों में मेरी अगुआई की है । तुमने पीड़ा और क्लेशों के दौरान मेरा साथ दिया है।
केवल अब मैं देखती हूँ कि तुम्हारा प्यार कितना वास्तविक है।
2
न्याय के द्वारा, मैंने तुम्हारा सच्चा प्यार देखा है।
मैंने देखा है कि तुम्हारा धर्मी स्वभाव कितना सुंदर है।
कितनी ही बार, मैंने अपनी हैसियत के लिए काम किया, तुमने मुझे काटा-छांटा और मेरा निपटारा किया।
कितनी ही बार, मैं घमंडी और दंभी था, तो तुमने मुझे अनुशासित किया और मुझ पर प्रहार किया।
परीक्षण और परिशोधन के माध्यम से, मैंने तुम्हारा आज्ञापालन करना सीख लिया है।
तुम्हारे वचन में बढ़ते हुए, मैं मानवीय समानता को जीती हूँ।
मैं हर समय करूंगी तुम्हे प्रेम।
चाहे मुझे आशीष मिले या श्राप, तुम्हारी दया से मैं रहूंगी ख़ुश।
दूंगी मैं तुम्हें सच्चा प्रेम, करने नहीं दूंगी तुम्हें इंतज़ार।
दूंगी मैं तुम्हें शुद्ध प्रेम, कृपया आनंद लो मेरे प्रेम का।
मैं तुम्हें अपना प्यार दूंगी, और तुम्हें मेरा प्रेम प्राप्त करने दूंगी।
मैं हर समय करूंगी तुम्हे प्रेम। तुम्हें संतुष्ट करना है मेरी इच्छा।