704 अपनी प्रकृति को जानना स्वभाव में परिवर्तन की कुंजी है
1 स्वभाव में परिवर्तन को प्राप्त करने की कुंजी, अपने स्वयं के स्वभाव को जानना है, और यह अवश्य परमेश्वर से प्रकाशनों के अनुसार होना चाहिए। केवल परमेश्वर के वचन में ही कोई व्यक्ति अपने स्वयं के घृणास्पद स्वभाव को जान सकता है, अपने स्वभाव में शैतान के विभिन्न विषों को पहचान सकता है, जान सकता है कि वह मूर्ख और अज्ञानी है, और अपने स्वयं के स्वभाव में कमजोर और नकारात्मक तत्वों को पहचान सकता है। ये पूरी तरह से ज्ञात हो जाने के बाद, और आप वास्तव में स्वयं से पूरी तरह से नफ़रत करने और शरीर से मुँह मोड़ने में सक्षम हो जाएँ, लगातार परमेश्वर के वचन को पूरा करें, और आपमें पूरी तरह से पवित्र आत्मा और परमेश्वर के वचन के लिए समर्पित होने की इच्छा हो जाए, तो आप पतरस के मार्ग पर चलना शुरू कर चुके होंगे। परमेश्वर के अनुग्रह के बिना, यदि पवित्र आत्मा से कोई ज्ञान और मार्गदर्शन नहीं आता है, तो इस मार्ग पर चलना बहुत कठिन होगा, क्योंकि लोगों के पास सच्चाई नहीं है और स्वयं को धोखा देने में असमर्थ हैं।
2 यदि लोगों का स्वयं के बारे में ज्ञान बहुत उथला है, तो समस्याओं को हल करना उनके लिए असंभव होगा, और उसका जीवन स्वभाव नहीं बदलेगा। स्वयं को एक गहरे स्तर पर जानना आवश्यक है—जिसका अर्थ है कि अपनी स्वयं की प्रकृति को जानना—और यह जानना कि उस प्रकृति में कौन से तत्व शामिल हैं, ये कैसे पैदा होते हैं और वे कहाँ से आतेहैं। इसके अलावा, क्या तुम इन चीजों से वास्तव में घृणा कर पाते हो? क्या तुमने अपनी स्वयं की कुरूप आत्मा और अपनी बुरी प्रकृति को देखा है? यदि तुम सच में सही अर्थों में स्वयं के बारे में सत्य को देख पाओगे, तो तुम स्वयं से घृणा करना शुरू कर दोगे। जब तुम स्वयं से घृणा करते हो और फिर परमेश्वर के वचन का अभ्यास करते हो, तो तुम देह को त्यागने में सक्षम हो जाओगे और तुम्हारे पास बिना कठिनाई के सत्य को कार्यान्वित करने की शक्ति होगी।
— "मसीह की बातचीतों के अभिलेख" में "स्वयं को जानना मुख्यतः मानव स्वभाव को जानना है" से रूपांतरित