705 केवल स्वभावगत बदलाव ही सच्चे बदलाव हैं

1

शैतान ने इंसान को ज़हर दिया, उसे कुचला।

इंसान का भ्रष्ट स्वभाव वहीं से उपजता है।

नैतिकता, सोच, अंतर्दृष्टि और समझ जैसी

उसकी बुनियादी चीज़ें भ्रष्ट हो गई हैं।

इंसान अब न रहा वैसा जैसा ईश्वर ने बनाया था :

वो सत्य समझ न सके, ईश्वर का विरोध करे।

इंसान के स्वभाव के बदलाव

शुरू होने चाहिए उसकी सोच,

समझ और अंतर्दृष्टि में बदलाव से,

ताकि ईश्वर और सत्य के

बारे में उसका ज्ञान बदल सके।

इंसान के स्वभाव में बदलाव आना

शुरू होता है अपने सार का विस्तृत ज्ञान पाने से,

अपनी सोच, प्रकृति, दृष्टिकोण को बदलने से।

तभी मूलभूत बदलाव हो सकेंगे।


2

शैतान के भ्रष्ट करने से पहले इंसान

ईश्वर का अनुसरण, उसके वचनों का पालन करता था;

उसमें अच्छी समझ, ज़मीर, मानवता थी।

लेकिन शैतान के भ्रष्ट करने के बाद

मानवता, समझ, ज़मीर मंद हो गए।

उसने ईश्वर के प्रति प्रेम, आज्ञाकारिता खो दी है।

इंसान की समझ भटक गई है, उसका स्वभाव

जानवर जैसा, उसके विद्रोह और गंभीर हो गए हैं;

लेकिन उसे इसका कुछ पता नहीं,

वो आँखें मूँदे ईश्वर का विरोध और विद्रोह करे।

इंसान के स्वभाव में बदलाव आना

शुरू होता है अपने सार का विस्तृत ज्ञान पाने से,

अपनी सोच, प्रकृति, दृष्टिकोण को बदलने से।

तभी मूलभूत बदलाव हो सकेंगे।


3

इंसान का स्वभाव उजागर होता

उसकी समझ, अंतर्दृष्टि, ज़मीर से

जो मंद और बीमार हो गए हैं।

इस तरह उसका स्वभाव ईश्वर

के प्रति विद्रोही हो गया है।

अगर उसकी समझ, अंतर्दृष्टि नहीं बदल सकती,

तो न बदलेगा उसका स्वभाव,

न होगा वो ईश-इच्छा के अनुरूप कभी।

इंसान के स्वभाव में बदलाव आना

शुरू होता है अपने सार का विस्तृत ज्ञान पाने से,

अपनी सोच, प्रकृति, दृष्टिकोण को बदलने से।

तभी मूलभूत बदलाव हो सकेंगे।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, अपरिवर्तित स्वभाव होना परमेश्वर के साथ शत्रुता रखना है से रूपांतरित

पिछला: 704 अपनी प्रकृति को जानना स्वभाव में परिवर्तन की कुंजी है

अगला: 706 परमेश्वर लोगों के स्वभावों में बदलाव को कैसे मापता है

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2024 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

संबंधित सामग्री

775 तुम्हारी पीड़ा जितनी भी हो ज़्यादा, परमेश्वर को प्रेम करने का करो प्रयास

1समझना चाहिये तुम्हें कितना बहुमूल्य है आज कार्य परमेश्वर का।जानते नहीं ये बात ज़्यादातर लोग, सोचते हैं कि पीड़ा है बेकार:अपने विश्वास के...

610 प्रभु यीशु का अनुकरण करो

1पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने, हर इंसान के छुटकारे के काम को,क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की,इसमें न उसका स्वार्थ था, न...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें