703 तुम्हारे स्वभाव में बदलाव की शुरुआत तुम्हारी प्रकृति को समझने से होती है
1 तुम्हारे स्वभाव में बदलाव की शुरूआत तुम्हारी अपनी प्रकृति को समझने से होती है। यही कुँजी है। तब तुम इसे कैसे समझ पाते हो? अपनी प्रकृति को समझने का वास्तविक अर्थ है अपनी आत्मा की गहराई का विश्लेषण करना; इसमें वह शामिल है जो तुम्हारे जीवन में है। यही शैतान का तर्क और शैतान के दृष्टिकोण हैं जिनके अनुसार तुम जीते आ रहे हो। केवल अपने आत्मा के गहरे हिस्सों को निकाल करके ही तुम अपनी प्रकृति को समझ सकते हो। उदाहरण के लिए, चीज़ों पर लोगों के दृष्टिकोण, लोगों के तरीके और जीवन के लक्ष्य, लोगों के जीवन के मूल्य और जीवन पर दृष्टिकोण, साथ ही सच्चाई से संबंधित सभी चीजों पर उनकी राय। ये सभी चीजें लोगों की आत्मा के भीतर गहरी समाई हुई हैं और स्वभाव में परिवर्तन के साथ उनका एक सीधा संबंध है।
2 भ्रष्ट मनुष्य का जीवन दृष्टिकोण यह है : " हर व्यक्ति अपनी सोचे बाकियों को शैतान ले जाये।" सभी लोग अपने लिए जीते हैं, अपने देहसुख के लिए जीते हैं। इस तरह जीने का कोई मूल्य नहीं है, उसका कोई अर्थ होने की तो बात ही छोड़ दो। व्यक्ति के जीवन का दृष्टिकोण इस बारे में होता है कि दुनिया में जीने के लिए तुम किस पर भरोसा करते हो, तुम किसके लिए जीते हो, और किस तरह जीते हो—और इन सभी चीज़ों का मानव-प्रकृति के सार से लेना-देना है। लोगों की प्रकृति का विश्लेषण करके तुम देखोगे कि सभी लोग परमेश्वर का विरोध कर रहे हैं। वे सभी शैतान हैं और वास्तव में कोई भी अच्छा व्यक्ति नहीं है। केवल लोगों की प्रकृति का विश्लेषण करके ही तुम वास्तव में मनुष्य के सार और उसकी भ्रष्टता को जान सकते हो और समझ सकते हो कि लोग वास्तव में किससे संबंध रखते हैं, उनमें वास्तव में क्या कमी है, और उन्हें मानवीय सदृशता को जीने के लिए सत्य का अनुसरण कैसे करना चाहिए। इस सत्य को तुम्हें समझना चाहिए।
— "अंत के दिनों के मसीह की बातचीत के अभिलेख" में 'स्वभाव बदलने के बारे में क्या जानना चाहिए' से रूपांतरित