795 परमेश्वर की सत्ता को जानकर छुटकारा पाया जा सकता है
1 यदि लोग वास्तव में इस तथ्य को पहचान नहीं सकते हैं कि सृजनकर्ता की मनुष्य के भाग्य और मनुष्य की सभी स्थितियों पर संप्रभुता है, यदि वे सही मायनों में सृजनकर्ता के प्रभुत्व के प्रति समर्पण नहीं कर सकते हैं, तो उनके लिए "किसी का भाग्य उसके अपने हाथों में होता है," इस अवधारणा द्वारा प्रेरित न होना, और इसे न मानने को विवश न होना कठिन होगा। उनके लिए भाग्य और सृजनकर्ता के अधिकार के विरुद्ध अपने तीव्र संघर्ष की पीड़ा से छुटकारा पाना कठिन होगा, और कहने की आवश्यकता नहीं कि उनके लिए सच में बंधनमुक्त और स्वतंत्र होना, और ऐसा व्यक्ति बनना कठिन होगा जो परमेश्वर की आराधना करते हैं।
2 अपने आपको इस स्थिति से मुक्त करने का एक बहुत ही आसान तरीका है जो है जीवन जीने के अपने पुराने तरीके को विदा कहना; जीवन में अपने पुराने लक्ष्यों को अलविदा कहना; अपनी पुरानी जीवनशैली, जीवन को देखने के दृष्टिकोण, लक्ष्यों, इच्छाओं एवं आदर्शों को सारांशित करना, उनका विश्लेषण करना, और उसके बाद मनुष्य के लिए परमेश्वर की इच्छा और माँग के साथ उनकी तुलना करना, और देखना कि उनमें से कोई परमेश्वर की इच्छा और माँग के अनुकूल है या नहीं, उनमें से कोई जीवन के सही मूल्य प्रदान करता है या नहीं, यह व्यक्ति को सत्य को अच्छी तरह से समझने की दिशा में ले जाता है या नहीं, और उसे मानवता और मनुष्य की सदृशता के साथ जीवन जीने देता है या नहीं।
3 जब तुम जीवन के उन विभिन्न लक्ष्यों की, जिनकी लोग खोज करते हैं और जीवन जीने के उनके अनेक अलग-अलग तरीकों की बार-बार जाँच-पड़ताल करोगे और सावधानीपूर्वक उनका विश्लेषण करोगे, तो तुम यह पाओगे कि उनमें से एक भी सृजनकर्ता के उस मूल इरादे के अनुरूप नहीं है जिसके साथ उसने मानवजाति का सृजन किया था। वे सभी, लोगों को सृजनकर्ता की संप्रभुता और उसकी देखभाल से दूर करते हैं; ये सभी ऐसे जाल हैं जो लोगों को भ्रष्ट बनने पर मजबूर करते हैं, और जो उन्हें नरक की ओर ले जाते हैं। जब तुम इस बात को समझ लेते हो, उसके पश्चात्, तुम्हारा काम है जीवन के अपने पुराने दृष्टिकोण को अपने से अलग करना, अलग-अलग तरह के जालों से दूर रहना, परमेश्वर को तुम्हारे जीवन को अपने हाथ में लेने देना और तुम्हारे लिए व्यवस्थाएं करने देना; तुम्हारा काम है केवल परमेश्वर के आयोजनों और मार्गदर्शन के प्रति समर्पण करने का प्रयास करना, अपनी कोई निजी पसंद मत रखना, और एक ऐसा इंसान बनना जो परमेश्वर की आराधना करता है।
—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है III से रूपांतरित