746 अय्यूब के धार्मिक कार्यों ने शैतान को हरा दिया
1 इन दोनों परीक्षाओं से गुज़रने के पश्चात्, अय्यूब के भीतर एक समृद्ध अनुभव उत्पन्न हुआ, और इस अनुभव ने उसे और भी अधिक परिपक्व तथा तपा हुआ बना दिया, इसने उसे और मज़बूत, और दृढ़ निश्चय वाला बना दिया था, और इसने उसे सत्यनिष्ठा की सच्चाई और योग्यता के बारे में अधिक आत्मविश्वासी बना दिया जिसके प्रति वह दृढ़ता से स्थिर रहा। यहोवा परमेश्वर के द्वारा अय्यूब की परीक्षाओं ने उसे मनुष्य के लिए परमेश्वर की चिंता की एक गहरी समझ और बोध प्रदान किया, और उसे परमेश्वर के प्रेम की बहुमूल्यता को समझने दिया, जहाँ से परमेश्वर के लिए उसके भय में परमेश्वर के प्रति सोच-विचार और प्रेम को जोड़ दिया गया था। यहोवा परमेश्वर की परीक्षाओं ने न केवल अय्यूब को उससे दूर नहीं किया, बल्कि वे उसके हृदय को परमेश्वर के और निकट ले आयीं।
2 जब अय्यूब के द्वारा सही गई दैहिक पीड़ा अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच गई, तो वह चिंता जो उसने परमेश्वर यहोवा की ओर से महसूस की थी उसने उसे अपने जन्म के दिन को कोसने के अलावा और कोई विकल्प नहीं दिया। ऐसे आचरण की योजना बहुत पहले से नहीं बनाई गई थी, बल्कि यह उसके हृदय के भीतर से परमेश्वर के लिए उसके सोच-विचार और प्रेम का एक स्वाभाविक प्रकाशन था, यह एक स्वाभाविक प्रकाशन था जो परमेश्वर के लिए उसके सोच-विचार और प्रेम से आया था। कहने का तात्पर्य है कि, क्योंकि उसने स्वयं से घृणा की थी, और वह परमेश्वर को यंत्रणा देने के लिए तैयार नहीं था, और वह परमेश्वर को कष्ट देना सहन नहीं कर सकता था, इसलिए उसका सोच-विचार और प्रेम निःस्वार्थता के स्तर तक पहुँच गया था।
3 उसके धार्मिक कार्यों ने उसे शैतान पर विजय प्राप्त करने दी, और परमेश्वर की उसकी गवाही में उसे डटे रहने दिया। इसलिए, उसके धार्मिक कार्यों ने भी उसे सिद्ध बनाया, और उसके जीवन के मूल्य को ऊँचा किए जाने दिया, और किसी भी समय की तुलना में बढ़ कर होने दिया, और उसे शैतान के द्वारा उस पर हमला न किए जाने तथा और परीक्षा न लिए जाने वाला सबसे पहला मनुष्य बनने दिया। क्योंकि अय्यूब धार्मिक था, इसलिए शैतान के द्वारा उस पर आरोप लगाया गया था और उसे प्रलोभित किया गया था; क्योंकि अय्यूब धार्मिक था, इसलिए उसे शैतान को सौंपा गया था; क्योंकि अय्यूब धार्मिक था, इसलिए उसने शैतान पर विजय प्राप्त की और उसे हराया था, और वह अपनी गवाही में डटा रहा। अब से, अय्यूब एक ऐसा पहला व्यक्ति बन गया था जिसे फिर कभी शैतान को नहीं सौंपा जाएगा, वह सचमुच में परमेश्वर के सिंहासन के सामने आया, और उसने, शैतान की जासूसी या तबाही के बिना, परमेश्वर की आशीषों के अधीन प्रकाश में जीवन बिताया।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में "परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर II" से रूपांतरित