745 अय्यूब की गवाही ने शैतान को हरा दिया

1

जब अय्यूब पहले-पहल गुज़रा परीक्षणों से,

उसकी सारी संपत्ति और उसके बच्चे

छीन लिए गए उससे,

लेकिन इसके कारण वो गिरा नहीं,

परमेश्वर के विरुद्ध एक भी शब्द कहा नहीं।


उसने शैतान के लालचों पर विजय पाई।

अपने बच्चों को खोने और

अपनी संपत्ति के नुकसान से उबर सका,

यानी जब ईश्वर ने चीज़ें ले लीं उससे

तो भी उसने उसकी आज्ञा मानी।


अय्यूब ने ईश्वर की आज्ञा मानी, शुक्रिया किया,

जो किया उसके लिए उसकी स्तुति की।

ये अय्यूब का आचरण था,

पहली परीक्षा में उसकी गवाही थी।


2

जब अय्यूब दूसरे परीक्षण से गुजरा,

शैतान ने अय्यूब को सताया।

अय्यूब ने अपनी सबसे बड़ी पीड़ा सही,

फिर भी उसकी गवाही ने लोगों को चौंका दिया।


अपनी दृढ़ता और आस्था से,

ईश्वर के लिए आज्ञाकारिता और भय से,

उसने शैतान को फिर से हराया।

उसके बर्ताव और गवाही ने

फिर से पाई ईश्वर की स्वीकृति।


और इस परीक्षण में,

अय्यूब ने अपने बर्ताव से शैतान को बताया,

देह की पीड़ा कभी नहीं बदल सकती

ईश्वर के प्रति उसकी आस्था, आज्ञाकारिता।


3

दर्द खत्म नहीं कर सका उसके समर्पण,

ईश्वर के प्रति उसके भय और आज्ञाकारिता को।

मौत के समाने भी वो ईश्वर को न त्यागेगा,

अपनी पूर्णता को या अपने गुणों को नहीं छोड़ेगा।


अय्यूब के दृढ़ निश्चय से शैतान कायर बन गया।

उसकी आस्था से शैतान कांप गया।

जिस प्रबलता से लड़ा वो,

उससे शैतान नफरत से भर गया।


अय्यूब की पूर्णता और ईमानदारी से

शैतान उसके सामने असहाय हो गया।

उसने बंद कर दिए अपने हमले,

अपने आरोप त्याग दिए

जो ईश्वर के सामने अय्यूब पर लगाए थे, लगाए थे।


अय्यूब ने जीता संसार, उसने जीता देह को,

जीता शैतान से, जीता मौत से।

वो पूरी तरह था ईश्वर का, वो पूरी तरह था ईश्वर का।


इन परीक्षणों द्वारा अय्यूब ने गवाही दी,

अपनी पूर्णता को सच में जिया

और जी अपनी ईमानदारी,

ईश्वर का भय मानने, बुराई से दूर रहने के

जीने के सिद्धांतों का दायरा बढ़ाया।


—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर II से रूपांतरित

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