83 अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य की अंदरूनी कहानी
1 तुम सबों को परमेश्वर की इच्छा को समझना और देखना चाहिये कि परमेश्वर का कार्य आकाश और पृथ्वी के सृजन और अन्य सब वस्तुओं के सृजन के समान आसान नहीं हैं। आज का कार्य उन लोगों का परिवर्तन करना है जो भ्रष्ट हो चुके हैं, और अत्यधिक सुन्न हो चुके हैं, और उन्हें शुद्ध करना है जो सृजन के बाद शैतान के मार्ग पर चल पड़े हैं, यह आदम और हव्वा का सृजन करना नहीं, प्रकाश की सृष्टि या अन्य सभी पेड़ पौधों और पशुओं के सृजन की तो बात ही दूर है। अब उसका काम उन सबको शुद्ध करना है जिन्हें शैतान ने भ्रष्ट कर दिया है ताकि उनको फिर से हासिल किया जा सके और वे उसकी संपत्ति और उसकी महिमा बनें। यह कार्य उतना आसान नहीं जितना मनुष्य आकाश और पृथ्वी के सृजन और अन्य वस्तुओं के सृजन के संबंध में कल्पना करता है, और न ही यह शैतान को शाप देकर अथाह कुंड में डालने के समान है जैसा कि मनुष्य कल्पना करता है। बल्कि, यह तो मनुष्य को परिवर्तित करने के लिए है, वह जो नकारात्मक है उसे सकारात्मक बनाने के लिए है, यह उन सबको अपने अधिकार में लाने के लिए है जो परमेश्वर के नहीं हैं।
2 तुम सबों को परमेश्वर की इच्छा को समझना और देखना चाहिये कि परमेश्वर का कार्य आकाश और पृथ्वी के सृजन और अन्य सब वस्तुओं के सृजन के समान आसान नहीं हैं। बल्कि, यह तो मनुष्य को परिवर्तित करने के लिए है, वह जो नकारात्मक है उसे सकारात्मक बनाने के लिए है, यह उन सबको अपने अधिकार में लाने के लिए है जो परमेश्वर के नहीं हैं। परमेश्वर के कार्य के इस चरण की अंदरूनी कहानी यही है। तुमको यह एहसास होना चाहिये, और मामलों को अतिसरल नहीं समझना चाहिये। परमेश्वर का कार्य किसी साधारण कार्य के समान नहीं है, मनुष्य का मन उसके अद्भुत स्वरूप को आत्मसात नहीं कर सकता, और न उसमें निहित बुद्धि को प्राप्त कर सकता है। अपने कार्य के इस चरण के दौरान, परमेश्वर सब चीजों का सृजन नहीं कर रहा, और न ही विनाश कर रहा है। बल्कि, वह अपनी समस्त सृष्टि को बदल रहा है और शैतान के द्वारा अशुद्ध की गई सब चीजों को शुद्ध कर रहा है। इसलिये, परमेश्वर महान परिमाण का काम शुरू करेगा, और यही परमेश्वर के कार्य का पूरा महत्व है।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में "क्या परमेश्वर का कार्य उतना सरल है, जितना मनुष्य कल्पना करता है?" से रूपांतरित