554 तुम्हारी बेरूख़ी तुम्हें नष्ट कर देगी
परमेश्वर का एक निष्क्रिय अनुयायी मत बन, और उसका अनुसरण मत कर जो विचित्र है। अत्यधिक शितिल होने से तू अपने ऊपर अधिकार खो देगा और तू जीवन में समय बर्बाद करेगा। तुझे स्वयं को ऐसी शिथिलता और निष्क्रियता से छुड़ाना है, और सकारात्मक चीज़ों का अनुसरण करने और अपनी स्वयं की कमज़ोरियों पर विजय पाने में कुशल बनना है, ताकि तू सत्य को प्राप्त कर सके और सत्य को जी सके। तेरी कमज़ोरियों के विषय में कोई डरने की बात नहीं है, और तेरी कमियां तेरी सबसे बड़ी समस्या नहीं है। तेरी सबसे बड़ी समस्या, और तेरी सबसे बड़ी कमी है कि तू न गर्म है और न ठण्डा है और तुझमें सत्य की खोज की इच्छा की कमी है। तुम लोगों की सबसे बड़ी समस्या है तुम लोगों की डरपोक मानसिकता जिसके द्वारा तुम लोग चीज़ें जैसी हैं वैसी ही रहने से खुश हो, और तुम लोग निष्क्रियता से इन्तज़ार करते हो। यह तुम लोगों की सबसे बड़ी बाधा है, और सत्य का अनुसरण करने में तुम लोगों का सबसे बड़ा शत्रु है।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में "पतरस के अनुभव: ताड़ना और न्याय का उसका ज्ञान" से रूपांतरित