180 परमेश्वर का देहधारण विशेष रूप से उसके वचन को व्यक्त करने के लिए है
I
आज, मानव को व्यावहारिक परमेश्वर और
देहधारण के अर्थ का ज्ञान कम है।
जब बात हो ईश्वर के देह की, उसके कार्य और वचनों के द्वारा
लोग देखते हैं कि ईश्वर का आत्मा सम्पन्न और प्रशस्त है।
पवित्रात्मा के देहधारण का वास्तविक अर्थ है कि
परमेश्वर के साथ मानव जुड़ सकता है,
उस पर आश्रित हो सकता है और ज्ञान प्राप्त कर सकता है ईश्वर का,
ईश्वर का।
II
आज तुम करते हो इस व्यक्ति की आराधना,
पर दरअसल तुम ईश्वर के आत्मा की आराधना कर रहे हो।
ये वो न्यूनतम है जिसका पता लोगों को
देहधारी ईश्वर के बारे में होना चाहिए,
देह के माध्यम से पवित्रात्मा के तत्व को जानना,
देह में किए गये उसके दिव्य और मानवीय कार्य को जानना,
पवित्रात्मा के वचनों को स्वीकारना, और देखना कैसे पवित्रात्मा
देह को निर्देशित करता है, देह में अपनी सामर्थ्य दर्शाता है।
पवित्रात्मा के देहधारण का वास्तविक अर्थ है कि
परमेश्वर के साथ मानव जुड़ सकता है,
उस पर आश्रित हो सकता है और ज्ञान प्राप्त कर सकता है ईश्वर का,
ईश्वर का।
III
ईश्वर आया स्वर्ग से धरती पर ईश्वर के वचनों को देह द्वारा
व्यक्त करने, पूर्ण करने को पवित्रात्मा का कार्य।
देह द्वारा मानव जान पाता है पवित्रात्मा को,
ईश्वर का प्रकटन मानव के बीच,
अज्ञात ईश्वर को उनके विचार से हटाता है।
व्यावहारिक परमेश्वर की आराधना करने लोग लौटते हैं,
ईश्वर के प्रति अपनी आज्ञाकारिता को बढ़ा कर।
और उसके दिव्य और मानवीय कार्य से,
मानव पाता है पालन-पोषण, प्रकाशन और स्वभाव में बदलाव।
पवित्रात्मा के देहधारण का वास्तविक अर्थ है कि
परमेश्वर के साथ मानव जुड़ सकता है,
उस पर आश्रित हो सकता है और ज्ञान प्राप्त कर सकता है ईश्वर का,
ईश्वर का।
"वचन देह में प्रकट होता है" से