220 मैं अपने पुराने रास्तों पर चलकर परमेश्वर को फिर से आहत करना बिल्कुल नहीं चाहता
परमेश्वर का दिवस दिन-ब-दिन करीब आ रहा है।
उसके न्याय से मैंने कितना सत्य वास्तव में हासिल किया है?
मुझे ईमानदारी से आत्म-मंथन करना चाहिये,
ऐसा न हो कि मैं अपने पुराने रास्ते पर लौट जाऊँ और परमेश्वर एक बार फिर दुखी हो जाए।
परमेश्वर अपने वचनों को स्पष्टता से बोलता है।
परमेश्वर को जाने बिना, मैं वास्तव में उससे कैसे प्रेम कर सकता हूँ?
परमेश्वर को दिल में आदर दिए बिना, मैं उसका आज्ञापालन कैसे कर सकता हूँ?
उसके बारे में अज्ञानी और अंधे लोग हमेशा धारणाएँ रखते हैं।
जिनमें काबिलियत की कमी होती है, वे परमेश्वर के दिल को हमेशा गलत समझते हैं।
न्याय और ताड़ना परमेश्वर का प्रेम और आशीष हैं।
मैं परमेश्वर के नेक इरादों को फिर से निराश नहीं कर सकता।
चाहे कितना भी मुश्किल हो, मैं परमेश्वर से प्रेम करने का प्रयास करूँगा।
परमेश्वर ने इंसान की ख़ातिर सभी वचनों को व्यक्त करने के लिए जी-जान लगा दिया है।
परमेश्वर से सच्चे प्रेम का अर्थ है उसकी इच्छा का विचार करना।
जो परमेश्वर के वचनों को नहीं पढ़ता, वह महज़ एक पशु है जो सत्य से प्रेम नहीं करता।
वे विश्वास-योग्य और परमेश्वर के घर में रहने योग्य नहीं हैं।
परमेश्वर का धार्मिक स्वभाव पूरी तरह से इंसान के सामने ज़ाहिर हो चुका है।
जो लोग वास्तव में परमेश्वर से प्रेम करते हैं, वे उसकी गवाही दे रहे हैं।
जिन लोगों में इंसानियत का अभाव है, उन्हें परमेश्वर के द्वारा उजागर कर दिया और हटा दिया गया है।
परमेश्वर का महान कार्य पूरा हो चुका है, उसने गौरव प्राप्त कर लिया है।
जो पश्चाताप नहीं करेंगे वे आपदा में डूब जाएँगे।
परमेश्वर का दिवस दिन-ब-दिन करीब आ रहा है।
उसके न्याय से मैंने कितना सत्य हासिल किया है?
मुझे ईमानदारी से आत्म-मंथन करना चाहिये,
ऐसा न हो कि मैं अपने पुराने रास्ते पर लौट जाऊँ और परमेश्वर एक बार फिर दुखी हो जाए।