436 क्या तुम्हारा दिल ईश्वर की ओर मुड़ा है?
1
जो दिल ईश्वर की ओर मुड़ा है, वो सदा ईश्वर पर निर्भर हो सके,
वो दिल त्याग सके देह-सुख, वो दिल सोचे बस ईश्वर को।
अपने आचरण और वाणी में, अपने हर एक व्यवहार में,
वो कर सकते खुश अपने प्यारे ईश्वर को,
उनके दिल उठाते हैं भार ईश्वर-इच्छा का।
होते ना सही जब सोच और विचार तुम्हारे तो तुम त्यागकर इरादे अपने,
कर सकते कार्य ईश-इच्छा के अनुसार।
जितना तुम इस तरह अनुभव करोगे,
उतना ही तुम्हारा दिल ईश्वर की ओर मुड़ेगा,
उतना ही कर पाओगे तुम खुश और प्यार ईश्वर को।
2
चाहे तुम झेलो कैद या बीमारी, उड़े उपहास या हो बदनामी,
या कोई राह न सूझे, तो भी ईश्वर से प्रेम कर पाओ।
परीक्षण आने पर भी ईश्वर से प्रेम कर पाओ।
इसका मतलब होगा कि हृदय तुम्हारा ईश्वर की ओर मुड़ गया है।
होते ना सही जब सोच और विचार तुम्हारे तो तुम त्यागकर इरादे अपने,
कर सकते कार्य ईश-इच्छा के अनुसार।
जितना तुम इस तरह अनुभव करोगे,
उतना ही तुम्हारा दिल ईश्वर की ओर मुड़ेगा,
उतना ही कर पाओगे तुम खुश और प्यार ईश्वर को।
—परमेश्वर की संगति से रूपांतरित