595 केवल अपना फ़र्ज़ निभाना संतुष्ट कर सकता है परमेश्वर को

1

नकरात्मक बातों पर ध्यान न दो।

निराश करने वाली बातों को दरकिनार करो, पीछे छोड़ो,

सब बातों में, सब समय बनाये रखो एक ऐसा दिल,

परमेश्वर का खोजी हो, उसे समर्पित हो जो,

परमेश्वर का खोजी हो, उसे समर्पित हो जो।

2

गर अपनी कमज़ोरी जान कर भी, उसके वश में न रहो,

और अपना फ़र्ज़ निभाते रहो, तो यह सकारात्मक कदम है।

बड़े बुज़ुर्गों की तो हैं धार्मिक धारणाएं,

पर तुम प्रार्थना कर सकते हो, परमेश्वर के वचन पढ़ सकते हो,

गीत गा सकते हो, पालन कर सकते हो।

3

चाहे कोई भी कार्य करो तुम, अपना सब कुछ लगा दो उसमें तुम।

सारी शक्ति लगा दो, हाथ पर हाथ धरे इंतज़ार न करो।

परमेश्वर को सब कुछ दे दो, हाँ उसे सब कुछ दे दो।

चाहे कोई भी कार्य करो तुम, अपना सब कुछ लगा दो उसमें तुम।

सारी शक्ति लगा दो, हाथ पर हाथ धरे इंतज़ार न करो।

परमेश्वर को सब कुछ दे दो, हाँ उसे सब कुछ दे दो।

पहला कदम है अपना फ़र्ज़ निभाना यों, कि परमेश्वर संतुष्ट हो।

जब तुम सत्य समझने लगो, तो उसके वचनों की वास्तविकता में प्रवेश करो,

तब होगे पूर्ण तुम, तब होगे पूर्ण तुम, तब होगे पूर्ण तुम, तब होगे पूर्ण तुम।

— "वचन देह में प्रकट होता है" में 'सभी के द्वारा अपना कार्य करने के बारे में' से रूपांतरित

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