728 क्या तुम सचमुच परमेश्वर के आयोजनों के प्रति समर्पण कर सकते हो?
1 क्या तुम लोग पृथ्वी पर मेरी आशीषों का आनंद लेना चाहते हो, ऐसी आशीषों का जो स्वर्ग के समान हैं? क्या तुम लोग मेरी समझ को, और मेरे वचनों के आनंद को और मेरे बारे में ज्ञान को, अपने जीवन की सर्वाधिक बहुमूल्य और सार्थक वस्तु मानने के लिये तैयार हो? क्या तुम लोग, अपने भविष्य की संभावनाओं का विचार किए बिना, वास्तव में मेरे प्रति पूरी तरह से समर्पण कर सकते हो? क्या तुम लोग सचमुच अपना जीवन-मरण मेरे अधीन कर के एक भेड़ के समान मेरी अगुआई में चलने देने को राज़ी हो? क्या तुम लोगों में ऐसा कोई है जो यह करने मे समर्थ है? क्या ऐसा हो सकता है कि ऐसे सभी लोग जो मेरे द्वारा स्वीकार किए जाते हैं और मेरी प्रतिज्ञाओं को प्राप्त करते हैं, वे ही ऐसे लोग हैं जो मेरे आशीषों को पाते हैं?
2 क्या तुम लोग इन वचनों से कुछ समझे हो? यदि मैं तुम लोगों की परीक्षा लूँ, तो क्या तुम लोग सचमुच स्वयं को मेरे हवाले कर सकते हो, और, इन परीक्षणों के बीच, मेरे इरादों की खोज और मेरे हृदय को महसूस कर सकते हो? मैं नहीं चाहता कि तुम अधिक मर्मस्पर्शी वचनों को कहने, या बहुत सी रोमांचक कहानियों को कहने लायक बनो; बल्कि, मेरी अपेक्षा है कि तुम मेरी उत्तम गवाही देने में समर्थ बन जाओ, और यह कि तुम पूर्णतः और गहराई से वास्तविकता में प्रवेश कर सको। यदि मैं सीधे तौर पर तुम से न बोलता, तो क्या तुम अपने आसपास की सब चीजों का त्याग कर स्वयं को मुझे उपयोग करने दे सकते थे? क्या यही वह वास्तविकता नहीं जिसकी मैं अपेक्षा करता हूँ? कौन मेरे वचनों के अर्थ को ग्रहण करने में समर्थ है?
3 फिर भी मैं कहता हूँ कि तुम लोग गलतफहमी में अब और न पड़ना, कि तुम लोग अपने प्रवेश में अग्रसक्रिय बनो और मेरे वचनों के सार को ग्रहण करो। ऐसा करना तुम लोगों को मेरे वचनों के मिथ्याबोध और मेरे अर्थ के विषय में अस्पष्ट होने से और इस प्रकार मेरे प्रशासनिक आदेशों के उल्लंघन से बचाएगा। मैं आशा करता हूँ कि तुम लोग मेरे वचनों में तुम्हारे लिए मेरे इरादों को ग्रहण करो। अपनी भविष्य की संभावनाओं का और अधिक विचार न करो, और तुम लोगों ने मेरे सम्मुख सभी चीज़ों में परमेश्वर के आयोजनों के प्रति समर्पित होने का जो संकल्प लिया है ठीक उसी के अनुरूप कार्य करो। वे सभी जो मेरे कुल के भीतर हैं उन्हें जितना अधिक संभव हो उतना करना चाहिए; पृथ्वी पर मेरे कार्य के अंतिम खण्ड में तुम्हें स्वयं का सर्वोत्तम अर्पण करना चाहिए। क्या तुम वास्तव में ऐसी बातों को अभ्यास में लाने के लिए तैयार हो?
— "वचन देह में प्रकट होता है" में संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन के "अध्याय 4" से रूपांतरित