239 मुझे परमेश्वर ने ही बचाया है

1 तू देहधारण करके इंसान बना, तूने इतने आँधी-तूफ़ान सहे, तू इंसानों के बीच दीन और अदृश्य बनकर रहता है—तुझे कभी कोई जान नहीं पाया। तू इंसान की गहरी भ्रष्टता का न्याय और खुलासा करता है; तू मेरी अधार्मिकता और विद्रोहीपन को ताड़ना देता है। हालाँकि मैं इस तरह की पीड़ा और शुद्धिकरण से गुज़र चुका हूँ, मेरा भ्रष्ट स्वभाव शुद्ध हो गया है। मैं अहंकारी और आत्माभिमानी था, और तुझसे लेन-देन करता था—यह वास्तव में सचमुच स्वार्थ और नीचता से भरा था, मैं हमेशा अपने प्रयासों और पीड़ाओं के बदले स्वर्ग के राज्य का आशीष प्राप्त करना चाहता था। यह किस तरह का ज़मीर या विवेक है? मुझे लगा कि थोड़े से अच्छे व्यवहार से मैं तेरी इच्छा के अनुरूप हो सकता हूँ, यहां तक कि मैं स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने का सपना भी देख रहा था। मैं बुरी तरह से भ्रष्ट हूँ, और शैतानी स्वभावों से भरा हुआ हूँ। अगर मैंने तेरे न्याय को स्वीकार न किया होता, तो मेरा क्या होता?

2 तेरे न्याय ने मुझे शुद्ध किया है; तेरे कार्य ने मुझे बदल दिया है, जिससे मुझे सच्चा जीवन मिला है। मैं तेरे प्रति तहे-दिल से आभारी कैसे न महसूस करूँ? हालाँकि मेरे अंदर अभी भी बहुत विद्रोह और अधार्मिकता है जिन्हें शुद्ध करने की ज़रूरत है, लेकिन मैंने देखा है कि तेरे अंदर कितनी मनोहरता है। परीक्षण चाहे जितने बड़े हों, मैं कभी तेरा त्याग नहीं करूँगा। पहले मैं सब-कुछ केवल अपने लिए करता था, मैंने तुझसे कभी प्रेम नहीं किया, तुझे आहत और पीड़ित किया, कौन जाने तूने कितने आँसू बहाए। तेरा प्रेम देखकर, मुझे अपने इस भ्रष्ट स्वभाव से और भी अधिक नफ़रत हो गई। मैं तेरे दिल को सुकून देने के लिए सत्य का अनुसरण करना चाहता हूँ! तूने ही मुझे बचाया है। तेरे न्याय के बिना मैं आज यहाँ न होता। मैंने तेरी अविश्वसनीय कृपा का आनंद लिया है—यह वास्तव में तेरा प्रेम और करुणा है। हे परमेश्वर, तूने ही मुझे बचाया है। तेरा धार्मिक स्वभाव देखकर, मैं तुझे तहे-दिल से प्रेम करता हूँ। हे परमेश्वर, तूने ही मुझे बचाया है। मैं तेरे प्रेम के लिये तुझे हमेशा धन्यवाद दूँगा और तेरी स्तुति करूँगा।

पिछला: 238 परमेश्वर का न्याय बहुत मूल्यवान है

अगला: 240 मुझे परमेश्वर के प्रेम ने बचाया

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2024 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

संबंधित सामग्री

775 तुम्हारी पीड़ा जितनी भी हो ज़्यादा, परमेश्वर को प्रेम करने का करो प्रयास

1समझना चाहिये तुम्हें कितना बहुमूल्य है आज कार्य परमेश्वर का।जानते नहीं ये बात ज़्यादातर लोग, सोचते हैं कि पीड़ा है बेकार:अपने विश्वास के...

610 प्रभु यीशु का अनुकरण करो

1पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने, हर इंसान के छुटकारे के काम को,क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की,इसमें न उसका स्वार्थ था, न...

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें