238 परमेश्वर का न्याय बहुत मूल्यवान है

1 परमेश्वर में इतने वर्षों तक आस्था रखकर और बहुत-से आध्यात्मिक सिद्धांतों का उपदेश देकर, मुझे लगता था कि मुझमें सत्य की समझ आ गई है और मैंने सत्य की वास्तविकता प्राप्त कर ली है। मुझे अपने कर्तव्यों के निर्वहन में थोड़ी-बहुत सफलता मिल गई थी, इसलिए मैं इसका दिखावा करने लगी और इतराने लगी। मैं पूरे मनोयोग से हैसियत और प्रतिष्ठा के पीछे भाग रही थी और अक्सर दूसरों से अपनी तुलना किया करती थी। हालांकि मैंने त्याग किए थे, खुद को खपाया था, काम किया था और कष्ट उठाए थे, लेकिन मैंने यह सब आशीष और मुकुट पाने के लिए किया था। मैंने अपमान सहा और भारी बोझ भी उठाया, लेकिन मैंने यह सब अपनी प्रतिष्ठा और हैसियत की खातिर किया था, फिर भी मैं अपने-आपको परमेश्वर के प्रति निष्ठावान मानती थी। ऊपर से देखने पर मैं सुशील और शांत थी, लेकिन मेरी प्रकृति असाधारण रूप से अहंकारी और आत्म-तुष्ट व्यक्ति की थी। आज परमेश्वर के न्याय और ताड़ना का अनुभव करने के बाद ही मैं इस तथ्य के प्रति जागृत हुई कि वर्षों परमेश्वर में आस्था रखने के बावजूद मेरा स्वभाव नहीं बदला है और मैं अभी भी शैतान के प्रभाव में हूँ।

2 परीक्षणों से उजागर होने के बाद, मुझे यह अहसास हुआ कि मेरी भ्रष्टता कितनी गहरी है : मेरे लिए हैसियत और अधिकार बहुत कीमती थे, परमेश्वर का विरोध करने के लिए मैं पौलुस का अनुसरण कर रही थी, जब दूसरे मेरी सराहना करते, मेरा अनुमोदन करते तो मुझे खुशी होती, मैं हमेशा ऐसी अगुआ बनना चाहती थी जो दूसरों पर अपना प्रभुत्व रखे—मैं कितनी अहंकारी और मूर्ख थी। परमेश्वर के वचनों ने मेरी शैतानी प्रकृति को किसी दुधारी तलवार की तरह चीर कर रख दिया। अगर मेरे मन में एक राजा की सत्ता पाने की और दूसरों पर नियंत्रण रखने की कामना थी, तो मैं शैतान से भिन्न कहां हुई? परमेश्वर का स्वभाव धार्मिक और पवित्र है, और वह किसी इंसान द्वारा अपमानित नहीं किया जा सकता। मैं भय से काँपती हुई परमेश्वर के आगे झुक गई और मैंने प्रायश्चित करते हुए अपने पापों को स्वीकार कर लिया। परमेश्वर के न्याय ने मुझे शुद्ध किया और मुझे बचाया। मैंने इस बात का अनुभव किया कि परमेश्वर का प्रेम कितना सच्चा है।

3 न्याय का अनुभव करने के बाद ही मैंने यह समझा कि परमेश्वर में विश्वास रखने और सत्य को प्राप्त करने से अधिक सार्थक और कुछ भी नहीं है। हैसियत और प्रतिष्ठा खोखली चीजें हैं, और सिर्फ इंसान को और नीचे गिरा सकती हैं। परमेश्वर के न्याय और ताड़ना ने मेरे दुष्ट कदमों को रोक दिया; मैंने परमेश्वर के वचनों के प्रकाश और न्याय को प्राप्त कर लिया है और मुझे अपनी गहरी भ्रष्टता से घृणा हो गई है। मैं इस बात को समझ गई हूँ कि मेरे लिए परमेश्वर के न्याय से बढ़कर और कोई प्रेम और सुरक्षा नहीं है। मैंने देख लिया है कि सत्य कितना मूल्यवान है; यह मनुष्य को शुद्ध और पूर्ण कर सकता है, अगर मुझे भयंकर कष्ट और शुद्धिकरण से भी गुजरना पड़े तो भी मैं अंत तक मसीह का अनुसरण करूंगी। कष्ट कितने भी भयानक हों, मैं आखिरी सांस तक अपने कर्तव्य का निर्वहन करूँगी और परमेश्वर को महिमामंडित करूँगी। केवल परमेश्वर का प्रेम ही वास्तविक है और मैं सदा परमेश्वर का धन्यवाद करूँगी और उसकी स्तुति करूँगी।

पिछला: 237 परमेश्वर की मनोहरता सदा मेरे मन में रहती है

अगला: 239 मुझे परमेश्वर ने ही बचाया है

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2024 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

संबंधित सामग्री

610 प्रभु यीशु का अनुकरण करो

1पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने, हर इंसान के छुटकारे के काम को,क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की,इसमें न उसका स्वार्थ था, न...

775 तुम्हारी पीड़ा जितनी भी हो ज़्यादा, परमेश्वर को प्रेम करने का करो प्रयास

1समझना चाहिये तुम्हें कितना बहुमूल्य है आज कार्य परमेश्वर का।जानते नहीं ये बात ज़्यादातर लोग, सोचते हैं कि पीड़ा है बेकार:अपने विश्वास के...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें