192 परमेश्वर के दोनों देहधारण उसका प्रतिनिधित्व कर सकते हैं

1

जब यीशु आया, वो एक पुरुष था। पर अब ईश्वर स्त्री बनकर आया है।

ईश्वर ने अपने काम के लिए स्त्री-पुरुष दोनों को बनाया,

वो इनमें भेदभाव नहीं करता।

अपने कर्म को बताने, दो बार देह बना परमेश्वर।

अगर इस चरण में वो देह न बनता,

तो इंसान सदा सोचता, ईश्वर तो है पुरुष, स्त्री नहीं।


ईश-कार्य के हर चरण का व्यवहारिक अर्थ है।

जब ईश्वर देह बने, तो स्त्री हो या पुरुष,

दोनों उसके प्रतिनिधि हो सकें, हो सकें।


2

जब यहोवा ने इंसान को बनाया,

तो उसने स्त्री भी बनाई, पुरुष भी बनाया।

इसलिए जब वो देह बनता है, तो दोनों रूपों में आता है।

ईश्वर के दो देहधारण आधारित हैं,

उसकी सोच पर जब उसने पहली बार इंसान बनाए।

उसने किया दो बार देहधारण स्त्री-पुरुष के

उस रूप में जब वो भ्रष्ट नहीं थे।


ईश-कार्य के हर चरण का व्यवहारिक अर्थ है।

जब ईश्वर देह बने, तो स्त्री हो या पुरुष,

दोनों उसके प्रतिनिधि हो सकें, हो सकें।


3

अतीत में नहीं समझे तुम, क्या अब ईश-कार्य की,

विशेषकर उसके देहधारी शरीर की निंदा कर सकते हो तुम?

ज़बान संभालो अगर इसे नहीं समझते तुम,

नहीं तो बेवकूफ़ी आएगी सामने, तुम्हारी कुरूपता उजागर हो जाएगी।


ईश-कार्य के हर चरण का व्यवहारिक अर्थ है।

जब ईश्वर देह बने, तो स्त्री हो या पुरुष,

दोनों उसके प्रतिनिधि हो सकें, हो सकें।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, दो देहधारण पूरा करते हैं देहधारण के मायने से रूपांतरित

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