193 परमेश्वर सभी को अपना धार्मिक स्वभाव दिखाता है
1 देहधारी बना परमेश्वर स्वयं को केवल कुछ लोगों पर ही अभिव्यक्त करता है जो इस अवधि के दौरान उसका अनुसरण करते हैं जब वह व्यक्तिगत रूप से अपना कार्य करता है, और सभी प्राणियों पर प्रकट नहीं करता है। वह अपने कार्य के केवल एक चरण को पूरा करने के लिए देह बना, मनुष्य को अपनी छवि दिखाने के वास्ते नहीं। जो कुछ वह भीड़ पर प्रकट करता है वह केवल उसका धार्मिक स्वभाव और उसके समस्त कर्म हैं, और उसकी देह की छवि नहीं है जब वह दूसरी बार देहधारण करता है, क्योंकि परमेश्वर की छवि को केवल उसके स्वभाव के माध्यम से ही प्रदर्शित किया जा सकता है, और उसे उसके देहधारी देह की छवि के द्वारा बदला नहीं जा सकता है। उसके देह की छवि केवल लोगों की एक सीमित संख्या को, केवल उन्हें ही दिखाई जाती है जो उसका अनुसरण करते हैं जब वह देह में कार्य करता है। इसीलिए जो कार्य अब किया जा रहा है उसे इस तरह गुप्त रूप में किया जाता है।
2 जब से परमेश्वर दो बार देह बना है वह अपने आपको उस छवि में जनसमूह के सामने खुलकर प्रकट नहीं करेगा। जिस कार्य को वह मनुष्यजाति के बीच करता है वह उन्हें उसके स्वभाव को समझने देने के लिए है। यह सब कुछ भिन्न-भिन्न युगों के कार्य के माध्यम से मनुष्य को दिखाया जाता है; यह यीशु की अभिव्यक्ति के माध्यम के बजाय, उस स्वभाव के माध्यम से जो उसने ज्ञात करवाया है और उस कार्य के माध्यम से जो उसने किया है, सम्पन्न किया जाता है। अर्थात्, परमेश्वर की छवि को देहधारी छवि के माध्यम से नहीं, बल्कि देहधारी परमेश्वर के द्वारा, जिसके पास छवि और आकार दोनों हैं, कार्यान्वित किए गए कार्य के माध्यम से, मनुष्य को ज्ञात करवाया जाता है; और उसके कार्य के माध्यम से, उसकी छवि को दिखाया जाता है और उसके स्वभाव को ज्ञात करवाया जाता है। यही उस कार्य का महत्व है जिसे वह देह में करने की इच्छा करता है।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में "देहधारण का रहस्य (2)" से रूपांतरित