191 परमेश्वर के दोनों देहधारणों का मूल एक ही है

जो यीशु ने किया वो बस देह में ईश-कार्य का एक हिस्सा था,

इंसान को फिर पूरी तरह पाने का काम नहीं, बस छुटकारे का काम था।


1

इसलिए, अंत के दिनों में ईश्वर फिर से बना देह बना इंसान पूरी तरह से।

वो काम करे इंसान के जैसे, जिसके पास ईश्वर की पहचान है।

इंसान उस देह को देखे जो असाधारण नहीं,

जो बोल सके स्वर्ग की वाणी,

कोई चमत्कार, चिन्ह नहीं, बड़ी सभा में

जो धर्म के सत्य को उजागर करे नहीं।


हालाँकि दोनों देहधारियों का काम अलग है,

पर उनका सार, उनके काम का मूल एक है।

दोनों काम करे अलग चरणों में और अलग युग में उदित होते।

चाहे जो हो, ईश्वर के दोनों देहधारियों का मूल और सार एक है।

इस सत्य को कोई नकार न सके, न कोई कह सके, ये अस्पष्ट है।


2

अपने काम के तीन चरणों में, दो बार देहधारण किया उसने।

दोनों ने शुरू किया नया काम और युग

दोनों के काम एक-दूसरे के पूरक हैं

ये नामुमकिन है इंसानी आँखों और दिमाग के लिए

बता पाना, क्या दोनों का मूल एक है।

पर एक सार हैं दोनों में, क्योंकि उनका काम शुरू

होता एक ही आत्मा के मूल से।


हालाँकि दोनों देहधारियों का काम अलग है,

पर उनका सार, उनके काम का मूल एक है।

दोनों काम करे अलग चरणों में और अलग युग में उदित होते।

चाहे जो हो, ईश्वर के दोनों देहधारियों का मूल और सार एक है।

इस सत्य को कोई नकार न सके, न कोई कह सके, ये अस्पष्ट है।


3

क्या दोनों का मूल एक है, ये तय न हो सके युग,

जन्मस्थान से या ऐसी दूसरी बातों से,

ये तय हो सके उनके दिव्य-कार्य से।


हालाँकि दोनों देहधारियों का काम अलग है,

पर उनका सार, उनके काम का मूल एक है।

दोनों काम करे अलग चरणों में और अलग युग में उदित होते।

चाहे जो हो, ईश्वर के दोनों देहधारियों का मूल और सार एक है।

इस सत्य को कोई नकार न सके, न कोई कह सके, ये अस्पष्ट है।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर द्वारा धारण किये गए देह का सार से रूपांतरित

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