861 मानव के लिए परमेश्वर का प्रेम
1
जब ईश्वर आया धरा पर, नहीं था वो इस दुनिया का।
वो दुनिया का आनंद लेने नही आया था।
वो जन्मा वहाँ जहाँ काम करना सबसे सार्थक हो,
और उसके स्वभाव को उजागर करे।
चाहे जगह हो पावन या मैली, वो जहाँ भी काम करे, पवित्र रहे।
दुनिया बनाई उसने, हो गयी ये भ्रष्ट भले,
लेकिन सभी चीज़ें अभी भी हैं उसके हाथ में।
गंदी जगह पैदा होकर भी ईश्वर हीन नहीं है।
ये उसकी महानता और प्रेम दर्शाता है।
जितना वो ऐसे कार्य करता है उतना ही मानव के प्रति,
उसका शुद्ध और दोषरहित प्रेम प्रकट होता है।
2
परमेश्वर एक गंदे देश में कार्य करने आया,
वो अपनी पवित्रता प्रकट करने आया।
अपने कार्य करने और इस देश में लोगों को बचाने के लिए,
वो घोर अपमान सहता है।
गवाही और पूरी मानवता के लिए, वो ऐसा करता है।
ईश-कार्य से सब उसकी धार्मिकता और सर्वोच्चता देखते हैं।
कुछ नीच लोगों के समूह के उद्धार के द्वारा
उसकी महानता और ईमानदारी दिखती है।
गंदी जगह पैदा होकर भी ईश्वर हीन नहीं है।
ये उसकी महानता और प्रेम दर्शाता है।
जितना वो ऐसे कार्य करता है उतना ही मानव के प्रति,
उसका शुद्ध और दोषरहित प्रेम प्रकट होता है।
3
ईश्वर पवित्र, धर्मी है, चाहे पैदा हुआ गंदी भूमि पर,
गंदे लोगों के साथ रहता, जैसे यीशु पापियों के साथ रहा।
क्या उसका सारा कार्य मनुष्य के अस्तित्व के लिए नहीं?
क्या ये सब कुछ मानवजाति के उद्धार के लिए नहीं?
गंदी जगह पैदा होकर भी ईश्वर हीन नहीं है।
ये उसकी महानता और प्रेम दर्शाता है।
जितना वो ऐसे कार्य करता है उतना ही मानव के प्रति,
उसका शुद्ध और दोषरहित प्रेम प्रकट होता है।
गंदी जगह पैदा होकर भी ईश्वर हीन नहीं है।
ये उसकी महानता और प्रेम दर्शाता है।
जितना वो ऐसे कार्य करता है उतना ही मानव के प्रति,
उसका शुद्ध और दोषरहित प्रेम प्रकट होता है।
उसका शुद्ध और दोषरहित प्रेम प्रकट होता है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, मोआब के वंशजों को बचाने का अर्थ से रूपांतरित