289 परमेश्वर ने इंसान पर हमेशा निगाह रखी है
1
हज़ारों साल बीत चुके हैं, तूने लगातार इंसान पर नज़र रखी है।
बरसों की हेर-फेर के बाद भी, इंसान को बचाने का तेरा संकल्प कभी नहीं बदला।
एक बार तेरा उत्पीड़न हुआ था, तुझे सूली पर चढ़ाया गया था, इंसान को बचाने के लिए तेरा ख़ून बहा था।
तूने जान देकर कीमत चुकाई, और इंसान को पाप-मुक्त किया।
तू देहधारण करके अंत के दिनों में, इंसानों के बीच लौटा है।
तूने इंसान के साथ आँधी-तूफ़ान और बारिश को सहा है, रात-रात भर जगा है।
तूने अपना खून-पसीना बहाया है, जी-जान लगाई है, और हजारों वचन व्यक्त किए हैं।
तू इंसान को अनमोल सत्य प्रदान करता है, बहुत से लोगों के दिलों को जीता है।
2
तू हमें ताड़ना देता है और हमारा न्याय करता है, तेरा धार्मिक स्वभाव हमारे दिलों में श्रद्धा पैदा करता है।
तेरे वचन सुकून और हौसला देते हैं, तेरी करुणा और सहिष्णुता हमारे मन में सराहना का सर्वोच्च भाव पैदा करती हैं।
हम शैतान के हाथों बुरी तरह से भ्रष्ट हो चुके हैं, हमारे अहंकारी और विद्रोही स्वभाव तेरे दिल को पीड़ा देते हैं।
हम बहुत पहले ही इंसानियत के गुण गँवा चुके हैं, हम लोग जंगलियों की तरह पाप में डूब चुके हैं।
तेरे वचन हमें उजागर और हमारा न्याय करते हैं, जिससे हम स्वयं को जान पाते हैं।
मुश्किलों, परीक्षणों, और प्रतिकूलताओं ने हमारे शैतानी स्वभावों को शुद्ध कर दिया है।
तेरा न्याय और ताड़ना प्रेम है, ये हमें शुद्ध करते और बचाते हैं।
हमने तेरे प्रेम का बहुत अनुभव किया है, हम तुझे अपने दिल में पूजते हैं।
हे परमेश्वर! तू दिन-रात हमारी चिंता करता है, तू हर समय हमारे साथ रहकर हम पर नज़र रखता है।
तू हमें सत्य और जीवन देता है, हमारा उद्धार करता है।
तेरा प्रेम सबसे सुंदर है, सबसे निर्मल है, यह इंसान की स्तुति के लायक है।
हम अपने दिलों का प्रेम तुझे अर्पित करेंगे, हम सदा तेरी गवाही देंगे।