36 पूरी कायनात में गढ़ा है परमेश्वर ने नया कार्य

1

अपने कार्य के प्रतीकों से भरेगा परमेश्वर नभ के क्षेत्र को,

ताकि उसके सर्वोच्च सामर्थ्य के सामने सब दंडवत हों।

पूरी दुनिया को एक करने की योजना पूरी होगी,

न भटकेंगे दुनिया में लोग, उन्हें जाने को सही जगह मिलेगी।


जैसे ऊपर वैसे नीचे, परमेश्वर ने गढ़ा है अपना नया कार्य;

सभी हैं अचरज में, स्तब्ध हैं उसके अचानक प्रकटन से।

जैसे ऊपर वैसे नीचे, उनकी सीमाएं बढ़ती हैं, पहले नहीं बढ़ीं जैसे।

आज तो है बिल्कुल ऐसा ही।


2

हर तरह से सोचता है परमेश्वर मानव के लिए,

जिससे आयेंगे सभी रहने जल्दी, ऐसी जगह जहाँ है ख़ुशी और शांति,

जहाँ उन्हें न होगा गम कोई, धरा पर होगी उसकी योजना पूरी।

दुनिया में ही है मानव का बसेरा, वहीं बनाएगा परमेश्वर राष्ट्र अपने,

क्योंकि उसकी महिमा का एक हिस्सा होता प्रकट वहीं।


जैसे ऊपर वैसे नीचे, परमेश्वर ने गढ़ा है अपना नया कार्य;

सभी हैं अचरज में, स्तब्ध हैं उसके अचानक प्रकटन से।

जैसे ऊपर वैसे नीचे, उनकी सीमाएं बढ़ती हैं, पहले नहीं बढ़ीं जैसे।

आज तो है बिल्कुल ऐसा ही।


3

स्वर्गिक शहरों को वो करेगा सही, सभी चीज़ों को करेगा नया,

जो हैं ऊपर और नीचे, स्वर्ग में, धरा पे, सबको एक करेगा।

ये है उसकी आखिरी योजना जिसे अंतिम युग में वो पूरा करेगा।

उसके कार्य में बाधा न डाले कोई।


परमेश्वर झुकाएगा मानव को अपने सिंहासन के आगे।

वो न्याय करेगा, बांटेगा उन्हें उनके परिवारों में छांटेगा।

इस तरह बंद करेंगे वे उसकी अवज्ञा करना,

फ़िर उसके क्रम में वे सजेंगे, वे अपने मन से नहीं चलेंगे।


जैसे ऊपर वैसे नीचे, परमेश्वर ने गढ़ा है अपना नया कार्य;

सभी हैं अचरज में, स्तब्ध हैं उसके अचानक प्रकटन से।

जैसे ऊपर वैसे नीचे, उनकी सीमाएं बढ़ती हैं, पहले नहीं बढ़ीं जैसे।

आज तो है बिल्कुल ऐसा ही।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 43 से रूपांतरित

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