प्रश्न 4: धार्मिक मंडलियों में सभी पादरी बाइबल से परिचित हैं। वे अक्सर कलीसियाओं में बाइबल की व्याख्या करते हैं और बाइबल को बढ़ावा देते हैं। हमने हमेशा सोचा कि वे ऐसे लोग होने चाहिये जो परमेश्वर को जानते हैं। तो फिर अंत के दिनों के देह-धारी परमेश्वर के कार्य की धार्मिक जगत के अधिकांश पादरियों ने बुरी तरह निंदा क्यों की और इसका विरोध क्यों किया? मेरा मानना है कि धार्मिक समुदाय के ज़्यादातर पादरी और अगुवा जिसकी निंदा करते हैं शायद वो सच्चा मार्ग नहीं हो सकता!

उत्तर: अगर जांच में यह परमेश्वर का कार्य है, तो हमें इसके अनुसार निर्णय नहीं करना चाहिये कि अधिकांश धार्मिक नेताओं ने इसे स्वीकार किया है या नहीं। विगत का सोचें जब प्रभु यीशु अपना कार्य करने के लिए देहधारी हुए। तो वे लोग कौन थे जिन्होंने प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ाया था? क्या ये वो धार्मिक नेता नहीं थे जो बाइबल से अच्छी तरह परिचित थे और अक्सर दूसरों के लिए बाइबल की व्याख्या करते थे? यह सच्चाई हमें क्या बताती है? वह व्यक्ति जो बाइबल से अच्छी तरह परिचित है और बाइबल की व्याख्या कर सकता है, जरूरी नहीं कि वो ऐसा कोई है जो परमेश्वर के कार्य को जानता है, और इसके अलावा वह ऐसा कोई नहीं है जो निश्चित रूप से कह सके कि वह परमेश्वर को जानता है। यहूदियों के मुख्य पादरी, मंत्री और फरीसी, सभी बाइबल से पूरी तरह परिचित थे, और फिर भी ये ही लोग थे जिन्होंने प्रभु यीशु का विरोध और उनकी निंदा की। वे पूरी तरह मसीही-विरोधी थे। क्या यह सच्चाई नहीं है? अगर बाइबल से परिचित कोई व्यक्ति इस सत्य को भी नहीं समझ सकता, तो क्या उसे बाइबल को समझने वालों में गिना जाये? यह परमेश्वर का प्रकटन और कार्य है या नहीं, इस बात के लिए अगर आप अभी भी ज़्यादातर धार्मिक नेताओं के विचारों पर भरोसा करते हैं तो क्या यह पूरी तरह से बेवकूफ़ी नहीं है? यदि आप अभी भी इस मुद्दे पर अधिकांश नेताओं के विचारों पर भरोसा करने पर जोर देते हैं, तो क्या आप भी प्रभु यीशु के प्रकटन और कार्य को नकार नहीं रहे हैं? बेशक, यह आपको उन फरीसियों की तरह बनाता है—जो परमेश्वर का विरोध करते हैं। जब हम सच्चे मार्ग की खोज और जांच करते हैं, तो हमें इसके अनुसार तय करना चाहिए कि क्या यह पवित्र आत्मा का कार्य है और क्या यह सत्य की अभिव्यक्ति है। ज़्यादातर धार्मिक नेताओं के विचारों पर आधारित करना यानी निश्चित रूप से परमेश्वर का विरोध करना है, और आप सबकी निंदा की जायेगी और आप परमेश्वर द्वारा हटा दिए जायेंगे।

ज्यादातर विश्वासियों का विचार है कि सभी पादरी बाइबल से अच्छी तरह परिचित हैं और अक्सर बाइबल की व्याख्या करते हैं और बाइबल को बढ़ावा देते हैं, इसका मतलब ये वे लोग होने चाहिये जो परमेश्वर को जानते हैं। हालाँकि, जब परमेश्वर अपने अंत के दिनों का कार्य करने के लिए एक बार फिर देहधारी बनते हैं, क्यों ये बाइबल से परिचित धार्मिक पादरी परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की बुरी तरह निंदा और विरोध करते हैं? यह बात बहुत से लोगों को उलझन में डालती है। वास्तव में इसे समझना मुश्किल नहीं है। उस समय, सारे फरीसी बाइबल से पूरी तरह परिचित थे और अक्सर सभाओं में बाइबल की व्याख्या करते और बाइबल को बढ़ावा देते थे। लेकिन जब प्रभु यीशु आये, उन्होंने प्रभु का बड़ा विरोध और उन पर अत्याचार किया, और प्रभु यीशु को ज़िंदा सूली पर चढ़ा दिया। यह तथ्य साबित करने के लिए काफ़ी है कि वे लोग जो अक्सर बाइबल की व्याख्या करते हैं और बाइबल को बढ़ावा देते हैं, ज़रूरी नहीं कि ये वे ही लोग हैं जो परमेश्वर को जानते हैं। फरीसी पूरी तरह बाइबल की व्याख्या कर सकते थे। तो ऐसा क्यों है कि, जब वे जानते थे कि प्रभु यीशु द्वारा व्यक्त सब कुछ सत्य था, वे तब भी उनकी निंदा और विरोध करते रहे? क्योंकि वे परमेश्वर की आवाज़ पहचानने के बिल्कुल भी योग्य नहीं थे, तो वे कैसे परमेश्वर के स्वभाव और सार को जान सकते हैं? वे तब भी उनकी निंदा और विरोध करते रहे? हालांकि वे बाइबल से परिचित हैं, वे सभी थोड़े बाइबल ज्ञान और धार्मिक सिद्धांतों का प्रचार करते हैं, साथ ही साथ बाइबल के पात्र और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को समझाते हैं। वे किसी भी अनुभव या परमेश्वर के वचन की गवाही के अभ्यास, या परमेश्वर के सच्चे ज्ञान का कोई भी संवाद करने में असमर्थ हैं। यह दर्शाने के लिए काफ़ी है कि ये वे लोग नहीं हैं जो परमेश्वर के कार्य का अनुभव करते हैं और परमेश्वर के कार्य का अभ्यास करते हैं। ये सम्भवतः वे लोग कैसे हो सकते हैं जो परमेश्वर को जानते हैं? परमेश्वर के बारे में उनका दृष्टिकोण धारणाओं और कल्पनाओं से भरा है। वे परमेश्वर के स्वभाव और मानवजाति को बचाने के उनके इरादे के बारे में बिल्कुल भी नहीं जानते, इसलिए जब परमेश्वर अंत के दिनों में अपना कार्य करने के लिए प्रकट होते हैं, परमेश्वर के वचन और कार्य को परिभाषित करने के लिए वे बाइबल के सुसज्जित ज्ञान और सिद्धांतों का उपयोग करते हैं, और अंत में फरीसियों की भूमिका निभाते हैं, जिन्होंने परमेश्वर में विश्वास किया मगर उनका विरोध किया। चलिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन के अंश पर एक नज़र डालें: "मनुष्य स्वयं परमेश्वर का सच्चा ज्ञान नहीं रच सकता। मनुष्य स्वयं इसकी कल्पना नहीं कर सकता है, न ही यह पवित्र आत्मा द्वारा किसी एक व्यक्ति को दिये गए विशेष अनुग्रह का परिणाम हो सकता है। इसकी बजाय, यह वह ज्ञान है जो तब आता है जब मनुष्य परमेश्वर के कार्य का अनुभव कर लेता है, और यह परमेश्वर का वह ज्ञान है जो केवल परमेश्वर के कार्य के तथ्यों का अनुभव करने के बाद ही आता है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों को जानना ही परमेश्वर को जानने का मार्ग है)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर इसे पूरी तरह स्पष्ट करते हैं। परमेश्वर का ज्ञान परमेश्वर के कार्य के व्यवहारिक अनुभव और परमेश्वर के वचन के अभ्यास से आता है, और पवित्र आत्मा के कार्य को ग्रहण करने के माध्यम से प्राप्त किया जाता है। यह बाइबल के साथ स्वयं के परिचित भर होने से नहीं मिल जाता है। हजारों वर्षों से, किसी ने भी बाइबल पढ़कर परमेश्वर का सच्चा ज्ञान प्राप्त नहीं किया है। इसके अलावा, ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसे बाइबल से परिचित होने की वजह से परमेश्वर की शुद्धि और स्वीकृति प्राप्त हुई है।

उन सभी लोगों में से, जिन्हें पूरे इतिहास में परमेश्वर की स्वीकृति प्राप्त हुई, किसी को भी बाइबल पढ़ने से परमेश्वर का ज्ञान नहीं मिला। परमेश्वर के वचन के अभ्यास और परमेश्वर के कार्य का पालन करने के दौरान उन्हें धीरे-धीरे परमेश्वर का सच्चा ज्ञान और भय प्राप्त हुआ। उदाहरण के लिए अब्राहम और अय्यूब को ही लीजिये। उन दोनों ने परमेश्वर का गुणगान किया और उनके दिल में परमेश्वर के प्रति श्रद्धा थी। उन्हें अपने अनुभव से सब पर प्रभुत्व रखने वाले सर्वशक्तिमान और परमेश्वर की बुद्धि का ज्ञान हुआ। उन्होंने देखा कि मनुष्य के पास सबकुछ परमेश्वर के आशीर्वाद और अनुग्रह के कारण है, इसने परमेश्वर पर उनका सच्चा विश्वास पैदा किया। यही कारण है कि वे सुन्दर और शानदार गवाहियाँ बनाने के लिए परीक्षणों के बीच भी परमेश्वर के पवित्र नाम का गुणगान कर सके, और नतीजे के रूप में परमेश्वर का आशीर्वाद प्राप्त किया। पतरस ने पहचान लिया कि प्रभु यीशु मसीहा हैं, जीवित परमेश्वर के पुत्र, ऐसा स्वयं के पुराने नियमों के साथ परिचित होने के कारण नहीं, बल्कि सत्य का अनुसरण करते हुए, और प्रभु यीशु के वचन और कार्य का व्यवहारिक पालन करके, पवित्र आत्मा के कार्य को प्राप्त करके, धीरे-धीरे परमेश्वर की सुन्दरता और उनके स्वभाव को और उनका स्वरूप क्या है और वह जो हैं, को जानकार संभव हुआ। अंत में, वह परमेश्वर के लिए परम प्रेम प्राप्त करने और मृत्यु तक आज्ञापालन करने, परमेश्वर के लिए सुन्दर और शानदार गवाही तैयार करने में सफल रहे। साथ ही, प्रभु यीशु के कार्य करने के समय के दौरान, जिन्होंने उनका अनुसरण किया, सभी उनके कथन के अनुसार उनके वचन के अधिकार और शक्ति को समझ पाए। उन्होंने पहचान लिया कि ये परमेश्वर की आवाज़ है और प्रभु यीशु का अनुसरण करने का फैसला किया। उन्होंने प्रभु यीशु के सुसमाचार फैलाते हुए सुन्दर और सशक्त गवाहियाँ भी बनाई। जब परमेश्वर देह में लौटते हैं और अंत के दिनों के कार्य करने के लिए प्रकट होते हैं, तो बहुत सारे लोग हैं जिन्होंने प्रभु यीशु पर कभी विश्वास नहीं किया और कभी बाइबल नहीं पढ़ी लेकिन उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन के न्याय का पालन करके और उसे स्वीकार करके पवित्र आत्मा के कार्य को प्राप्त किया। उन्होंने धीरे-धीरे परमेश्वर के प्रति सच्चे ज्ञान और आज्ञापालन को विकसित किया, और सीसीपी के शासन-काल के क्रूर उत्पीड़न के बीच जीत हासिल करने वाली गवाहियाँ तैयार की। यह सभी के देखने लायक सच्चाई है। सिर्फ उनलोगों को, जिन्होंने परमेश्वर के कार्य का अनुभव किया और आखिरकार परमेश्वर के लिए सुन्दर और शानदार गवाहियाँ तैयार की, कह सकते हैं कि वे लोग हैं जो परमेश्वर को वास्तव में जानते हैं और परमेश्वर की आज्ञा मानते हैं। जो लोग केवल बाइबल की व्याख्या करते हैं लेकिन वास्तव में जो गवाही नहीं दे सकते, धार्मिक कपटी कहलाए जाने योग्य हैं। उन धार्मिक फरीसियों और पादरियों को सत्य से घृणा और नफरत है। वे बाइबल की जानकारी हासिल करते हैं और बाइबल की व्याख्या करते हैं, इसलिए नहीं कि वे परमेश्वर के ज्ञान और सत्य का अनुसरण करते हैं। बल्कि वो ये सब दिखावा करने, लोगों को धोखा देने और फंसाने के लिए करते हैं। जब परमेश्वर देहधारी बन जाते हैं और अपने कार्य करने के लिए प्रकट होते हैं, यहाँ तक कि वे सत्य-व्यक्त करने वाले मसीहा को दुश्मन के रूप में देखते हैं, खासकर फिर से सूली पर चढने वाले परमेश्वर के रूप में देखते हैं और इसलिए परमेश्वर से शापित होते हैं, जो उनके सत्य से घृणा करने वाले, परमेश्वर विरोधी, मसीही विरोधी सार को पूरी तरह उजागर करता है। देहधारी परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य ने पूरी मानवजाति को उजागर किया है, लोगों को उनके प्रकार के अनुसार वर्गीकृत किया है। परमेश्वर का कार्य वास्तव में सर्वशक्तिमान और ज्ञानपूर्ण है!

जो लोग परमेश्वर में विश्वास रखते हैं अगर सत्य से प्यार नहीं करते और परमेश्वर के वचन के अभ्यास पर ध्यान नहीं देते हैं, तो वे वास्तव में परमेश्वर के कार्य का अनुभव नहीं कर रहे हैं। अगर लोग दिखावे के लिए केवल स्वयं को बाइबल के ज्ञान और धार्मिक सिद्धांतों से सुसज्जित करने की परवाह करते हैं, अपनी खुद की प्रतिष्ठा को बढ़ाने के लिए ताकि लोग उनकी आराधना और अनुसरण कर सकें, तो वे स्वभाविक रूप से पाखंडी फरीसी बन जायेंगे। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं: "जो सिर्फ़ बाइबल के वचनों पर ही ध्यान देते हैं और न तो सत्य में दिलचस्पी रखते हैं और न मेरे पदचिह्न खोजने में—वे मेरे विरुद्ध हैं, क्योंकि वे मुझे बाइबल के अनुसार सीमित कर देते हैं, मुझे बाइबल में ही कैद कर देते हैं, और इसलिए वे मेरे परम निंदक हैं। ऐसे लोग मेरे सामने कैसे आ सकते हैं? वे मेरे कर्मों या मेरी इच्छा या सत्य पर कोई ध्यान नहीं देते, बल्कि वचनों से ग्रस्त हो जाते हैं—वचन जो मार देते हैं। ऐसे लोग मेरे अनुकूल कैसे हो सकते हैं?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम्हें मसीह के साथ अनुकूलता का तरीका खोजना चाहिए)

"ऐसे भी लोग हैं जो बड़ी-बड़ी कलीसियाओं में दिन-भर बाइबल पढ़ते रहते हैं, फिर भी उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य को समझता हो। उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर को जान पाता हो; उनमें से परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप तो एक भी नहीं होता। वे सबके सब निकम्मे और अधम लोग हैं, जिनमें से प्रत्येक परमेश्वर को सिखाने के लिए ऊँचे पायदान पर खड़ा रहता है। वे लोग परमेश्वर के नाम का झंडा उठाकर, जानबूझकर उसका विरोध करते हैं। वे परमेश्वर में विश्वास रखने का दावा करते हैं, फिर भी मनुष्यों का माँस खाते और रक्त पीते हैं। ऐसे सभी मनुष्य शैतान हैं जो मनुष्यों की आत्माओं को निगल जाते हैं, ऐसे मुख्य राक्षस हैं जो जानबूझकर उन्हें विचलित करते हैं जो सही मार्ग पर कदम बढ़ाने का प्रयास करते हैं और ऐसी बाधाएँ हैं जो परमेश्वर को खोजने वालों के मार्ग में रुकावट पैदा करते हैं। वे 'मज़बूत देह' वाले दिख सकते हैं, किंतु उसके अनुयायियों को कैसे पता चलेगा कि वे मसीह-विरोधी हैं जो लोगों से परमेश्वर का विरोध करवाते हैं? अनुयायी कैसे जानेंगे कि वे जीवित शैतान हैं जो इंसानी आत्माओं को निगलने को तैयार बैठे हैं? जो लोग परमेश्वर के सामने अपने आपको बड़ा मूल्य देते हैं, वे सबसे अधिक अधम लोग हैं, जबकि जो स्वयं को दीन और विनम्र बनाए रखते हैं, वे सबसे अधिक आदरणीय हैं। जो लोग यह सोचते हैं कि वे परमेश्वर के कार्य को जानते हैं, और दूसरों के आगे परमेश्वर के कार्य की धूमधाम से उद्घोषणा करते हैं, जबकि वे सीधे परमेश्वर को देखते हैं—ऐसे लोग बेहद अज्ञानी होते हैं। ऐसे लोगों में परमेश्वर की गवाही नहीं होती, वे अभिमानी और अत्यंत दंभी होते हैं" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर को न जानने वाले सभी लोग परमेश्वर का विरोध करते हैं)

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों से सत्य से घृणा और सत्य से नफरत की प्रकृति और प्रवृति रखने वाले धार्मिक फरीसी, पादरी और नेता पूरी तरह से उजागर हो गए हैं। वे सिर्फ इसलिए बाइबल से खुद को परिचित करवाते हैं और पूरी बाइबल की व्याख्या करते हैं ताकि वे सभी विशिष्ट बनें और दिखावा कर सकें, वे इसका उपयोग लोगों को धोखा देने, कैद करने, खुद की प्रतिष्ठा और आजीविका की रक्षा के लिए कर सकते हैं। ये सत्य को फैलाने वाले और परमेश्वर का गुणगान करने वाले, परमेश्वर की गवाही देने वाले, और लोगों को परमेश्वर के सम्मुख लाने वाले तो बिल्कुल भी नहीं हैं। वे बाहर से तो परमेश्वरवादी होने का ढोंग करते हैं, लेकिन वास्तव में उनके दिलों में परमेश्वर के लिए बिल्कुल भी श्रद्धा नहीं है। जब सर्वशक्तिमान परमेश्वर सत्य व्यक्त करते हैं और अंत के दिनों का अपना न्याय का कार्य करते हैं, अपनी खुद की प्रतिष्ठा और आजीविका को बचाने के लिए, वे वह सब कुछ करते हैं जो वे कर सकते हैं, वे अफवाह फैला सकते हैं और परमेश्वर को सीमित करने के लिए भ्रम फैला सकते हैं और परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की निंदा कर सकते हैं, ऐसी बातें कहकर जैसे "परमेश्वर का वचन और कार्य पूरी तरह बाइबल में ही है, बाइबल से बाहर कोई भी बात पाखंड है," और "परमेश्वर में विश्वास करना बाइबल में विश्वास करना है, बाइबल परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करती है," और वगैरह-वगैरह, और वे लोगों को धोखा देने और उन्हें सच्चे मार्ग की खोज और जाँच करने से रोकने के लिए सभी तरह के भ्रम फैला रहे हैं। यह दर्शाता है कि जब धार्मिक पादरियों ने बाइबल की व्याख्या के लिए अपने अवसरों का उपयोग किया तो परमेश्वर को सीमित करने और परमेश्वर का विरोध करने के लिए बाइबल की झूठी और सन्दर्भ से बाहर व्याख्या की, यह पूरी तरह से उनकी सत्य से घृणा और परमेश्वर विरोधी शैतानी प्रकृति के कारण है। पूरे इतिहास के दौरान, धार्मिक संसार पर पाखंडी फरीसियों और मसीही-विरोधियों का वर्चस्व रहा है। वे बाइबल की आराधना करते हैं और बाइबल को बढ़ावा देते हैं ताकि वे परमेश्वर द्वारा चुने हुए लोगों को धोखा दे सकें और उनको नियंत्रित कर सकें, साथ ही अपनी खुद की प्रतिष्ठा और आजीविका को मजबूत कर सकें। यह परमेश्वर के गुणगान के लिए और परमेश्वर की गवाही के लिए, या लोगों का सत्य की वास्तविकता में मार्गदर्शन करने और उन्हें परमेश्वर के सम्मुख लाने के लिए तो बिल्कुल भी नहीं है। इसलिए, जब सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों का अपना कार्य करने के लिए आते हैं, सत्य से घृणा करने वाले, परमेश्वर-विरोधी, मसीह-विरोधी प्रकृति के धार्मिक पादरी और नेता पूरी तरह से उजागर होते हैं। "सच्चे मार्ग से बचाव और झुण्ड की सुरक्षा" की आड़ में वे अंत के दिनों के मसीहा, सर्वशक्तिमान परमेश्वर का विरोध करने में, परमेश्वर के खिलाफ धार्मिक समुदाय को विपक्ष का एक कट्टर गढ़ बनाने में माहिर होते हैं। क्या अभी भी आप इस सच्चाई को साफ़-साफ़ नही देख पा रहे हैं?

"बेड़ियों को तोड़ो और भागो" फ़िल्म की स्क्रिप्ट से लिया गया अंश

पिछला: प्रश्न 3: पौलुस ने बाइबल में स्पष्ट रूप से कहा है: "इसलिये अपनी और पूरे झुण्ड की चौकसी करो, जिसमें पवित्र आत्मा ने तुम्हें अध्यक्ष ठहराया है, कि तुम परमेश्‍वर की कलीसिया की रखवाली करो..." (प्रेरितों 20:28)। इससे साबित होता है कि पादरी और एल्डर्स सब पवित्र आत्मा द्वारा अभिषिक्त किये जाते हैं। क्या पवित्र आत्मा द्वारा अभिषिक्त किया जाना परमेश्‍वर द्वारा अभिषिक्त किये जाने का प्रतीक नहीं है? परमेश्‍वर ने पादरियों और एल्डर्स को समुदायों के सर्वेक्षक के रूप में अभिषिक्त किया। यह गलत नहीं हो सकता है।

अगला: प्रश्न 5: ये जानकर कि हमने सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार कर लिया है, पादरी और एल्डर हमें लगातार परेशान कर रहे हैं, हमें लगातार बाइबल समझा रहे हैं। हालांकि हम उनका खंडन करते हैं, उनको ठुकराते हैं, फिर भी वे नहीं छोड़ते। ये नागरिकों का गंभीर उत्पीड़न है। पहले जब कभी हम कमजोर या नकारी होते थे, वे इतनी चिंता नहीं दिखाते थे। अब जैसे ही हमने सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार किया है, वे बहुत ज़्यादा नाराज हो गये हैं, मीठी और कड़वी बातें बोल-बोल कर हमें लगातार गुस्सा दिला हैं। लगता है उनकी ये दुष्टता तब तक ख़त्म नहीं होगी, जब तक वे हमें अपने साथ नरक में नहीं घसीट लेते! मुझे समझ नहीं आता। पादरी और एल्डर, जो प्रभु की सेवा करते हैं, और जो अक्सर बाइबल के बारे में बात करते हैं, उनको यह आभास होना चाहिए कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त सभी वचन सत्य हैं। वे सत्य की खोज क्यों नहीं करते? वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की अंधाधुंध निंदा, विरोध और तिरस्कार करने के बजाय, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की जांच-पड़ताल क्यों नहीं करते? पादरी और एल्डर सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार करने के हमारे रास्ते में रोड़े अटकाने की भरसक कोशिश करते हैं। हमें इस मामले के पीछे की हकीकत जानने में बड़ी मुश्किल हो रही है। कृपया हमारे साथ इस बारे में संगति कीजिए।

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1. प्रभु ने हमसे यह कहते हुए, एक वादा किया, "मैं तुम्हारे लिये जगह तैयार करने जाता हूँ। और यदि मैं जाकर तुम्हारे लिये जगह तैयार करूँ, तो फिर आकर तुम्हें अपने यहाँ ले जाऊँगा कि जहाँ मैं रहूँ वहाँ तुम भी रहो" (यूहन्ना 14:2-3)। प्रभु यीशु पुनर्जीवित हुआ और हमारे लिए एक जगह तैयार करने के लिए स्वर्ग में चढ़ा, और इसलिए यह स्थान स्वर्ग में होना चाहिए। फिर भी आप गवाही देते हैं कि प्रभु यीशु लौट आया है और पृथ्वी पर ईश्वर का राज्य स्थापित कर चुका है। मुझे समझ में नहीं आता: स्वर्ग का राज्य स्वर्ग में है या पृथ्वी पर?

संदर्भ के लिए बाइबल के पद :"हे हमारे पिता, तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए। तेरा राज्य आए। तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी...

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