716 जिनके पास सत्य है सिर्फ़ वही एक वास्तविक जीवन जी सकते हैं

1 यदि लोगों को परमेश्वर के स्वभाव की वास्तविक समझ होती है, और वे उसकी पवित्रता और धार्मिकता की हृदयस्पर्शी प्रार्थना दे सकते हैं, तो इसका मतलब है कि वे सच में उसे जानते और सत्य को धारण करते हैं, और केवल तभी वे प्रकाश में जीते हैं। केवल जब दुनिया और जीवन के बारे में एक व्यक्ति का दृष्टिकोण बदलता है, तभी उसमें आधारभूत रूपान्तरण होता है। जब किसी का कोई जीवन लक्ष्य होता है और वह सत्य के अनुसार आचरण करता है, जब वह पूरी तरह से खुद को परमेश्वर के प्रति समर्पण कर देता है और उसके वचनों के अनुसार जीता है, जब वह अपनी आत्मा में गहराई से शान्त महसूस करता है और रोशन हो उठता है, जब उसका दिल अंधकार से मुक्त होता है, और जब वह पूरी तरह से स्वतंत्र और बाधा मुक्त होकर परमेश्वर की उपस्थिति में जी पाता है, केवल तभी वह एक सच्चा मानव जीवन व्यतीत करता है और सत्य धारण करने वाला व्यक्ति बन जाता है।

2 जो भी सत्य तुम्हारे पास हैं वह परमेश्वर के वचनों से आए हैं और स्वयं परमेश्वर से आए है। समस्त ब्रह्मांड और सभी चीज़ों का शासक—परमेश्वर जो सबसे ऊँचा है—तुम्हें वास्तविक मानव जीवन जी रहे एक वास्तविक मनुष्य के रूप में अनुमोदित करता है। परमेश्वर के अनुमोदन से अधिक सार्थक और क्या हो सकता है? सत्य धारण करने का अर्थ यही है। सिर्फ़ परमेश्वर ही सत्य है। परमेश्वर स्वर्ग, पृथ्वी और उसके अंदर मौजूद सभी चीज़ों को नियंत्रित करता है और सभी चीज़ों पर उसका प्रभुत्व है। परमेश्वर पर विश्वास नहीं करना और परमेश्वर के प्रति समर्पित नहीं होना, सत्य हो हासिल करने में असमर्थ होना है। अगर तुम परमेश्वर के वचनों के अनुसार जीवन जीते हो, तो तुम्हारे मस्तिष्क में स्पष्टता होगी और तुम सहज महसूस करोगे। साथ ही, तुम्हारे दिल की गहराइयों में अतुलनीय मिठास होगी; तब तुमने सचमुच जीवन को हासिल कर लिया होगा।

—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, मनुष्य का स्वभाव कैसे जानें से रूपांतरित

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