308 कहाँ है तुम्हारा सच्चा विश्वास?

1

जब नीनवे के लोगों ने सुने,

यहोवा के क्रोध भरे वचन,

टाट पहन, राख लगा, किया पछतावा तुरंत।

उसके वचनों पर था उन्हें विश्वास,

इसलिए वे भयभीत हुए, पछताए।

पर आज के लोगों के साथ ऐसा नहीं।


भले ही तुम विश्वास करते ईश-वचनों पर

यहोवा फिर आ गया इस पर,

लेकिन तुममें उसके प्रति श्रद्धा नहीं,

मानो देख रहे हो बरसों पहले के यीशु को।


ईश्वर तुम्हारे दिल के भीतर के कपट को समझे।

ज़्यादातर लोग जिज्ञासा, खालीपन

की वजह से अनुसरण करें।

जब शांति की तुम्हारी इच्छा चूर-चूर हो जाए,

तो तुम्हारी जिज्ञासा भी ख़त्म हो जाए;

तुम्हारा कपट उजागर हो जाए

तुम्हारे वचनों और कर्मों से।

तुममें जिज्ञासा है पर ईश्वर का भय नहीं,

न अपने कर्मों पर अंकुश है, न जीभ पर काबू।

क्या तुम इसे कह सकते सच्ची आस्था?


2

जब ऊब जाते हो या चिंता करते हो

तो अपने जीवन का खालीपन भरने

ईश-वचनों का इस्तेमाल करते हो।

किसके पास है सच्ची आस्था,

कौन ईश-वचनों पर अमल करे?

तुम कहते ईश्वर लोगों के दिलों

की गहराई देखे।


पर तुम जिस ईश्वर का नाम चिल्लाते,

वो सच्चे ईश्वर से कैसे संगत है?

क्यों तुम ऐसे काम करते?

क्या यही प्यार तुम ईश्वर को प्रतिफल में दोगे?


ईश्वर तुम्हारे दिल के भीतर के कपट को समझे।

ज़्यादातर लोग जिज्ञासा, खालीपन

की वजह से अनुसरण करें।

जब शांति की तुम्हारी इच्छा चूर-चूर हो जाए,

तो तुम्हारी जिज्ञासा भी ख़त्म हो जाए;

तुम्हारा कपट उजागर हो जाए

तुम्हारे वचनों और कर्मों से।

तुममें जिज्ञासा है पर ईश्वर का भय नहीं,

न अपने कर्मों पर अंकुश है, न जीभ पर काबू।

क्या तुम इसे कह सकते सच्ची आस्था?


तुम भक्ति का दावा करते हो हमेशा,

लेकिन तुम्हारे अच्छे कर्म और त्याग हैं कहाँ?

अगर तुम्हारे शब्द ईश्वर के कानों तक न पहुँचते,

तो वो कैसे करता तुमसे इतनी नफ़रत?


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, युवा और वृद्ध लोगों के लिए वचन से रूपांतरित

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