690 बीमारी का प्रहार होने पर परमेश्वर की इच्छा की खोज करनी चाहिए

1 जब तुम पर बीमारी का कष्ट आ पड़ता है, तो तुम्हें उसका अनुभव किस तरह करना चाहिए? तुम्हें प्रार्थना करने के लिए परमेश्वर के सामने आना चाहिए, उसकी इच्छा समझने की कोशिश करनी चाहिए और इस बात की जाँच करनी चाहिए कि तुमने किस तरह के पाप किए हैं या किन भ्रष्टाचारों से अभी तक मुक्ति नहीं पाई है। तुम्हें शारीरिक कष्ट उठाने ही होंगे। केवल कष्ट उठाने के द्वारा ही लोग निरंकुशता छोड़ सकते हैं और हमेशा परमेश्वर के सामने रह सकते हैं। जब लोग परेशानी महसूस करते हैं, तो वे हमेशा प्रार्थना करते हैं और इस बात पर विचार करते हैं कि उन्होंने कुछ ग़लती तो नहीं की या किसी तरह परमेश्वर को नाराज तो नहीं कर दिया। यह उनके लिए फायदेमंद है। जब लोग बहुत दर्द और परीक्षण से गुजरते हैं, तो निश्चित रूप से यह संयोग से नहीं होता।

2 लोगों के बीमार या स्वस्थ होने में परमेश्वर की इच्छा काम करती है। जब वे बीमार होते हैं और परमेश्वर की इच्छा को नहीं जानते, तो वे यह नहीं जान पाएँगे कि अभ्यास कैसे करना है। वे यह सोचेंगे कि यह उनकी मूर्खता का परिणाम है। वे कैसे नहीं जानते कि परमेश्वर के अच्छे इरादे काम कर रहे हैं? जब तुम किसी बड़ी बीमारी से ग्रस्त हो जाते हो, जिससे तुम्हें लगता है कि इससे तो मर जाना अच्छा है, तो यह संयोग से नहीं होता। परमेश्वर द्वारा मानवता के उद्धार के समय क्या केवल पवित्र आत्मा ही लोगों के जीवन के साथ रहता है और उन्हें प्रबुद्ध करता है और उन पर प्रकाश बिखेरता है? परमेश्वर भी लोगों को आज़माएँगे और निखारेंगे। केवल ज्यादा कष्ट उठाने पर ही उन्हें शुद्ध किया जा सकता है और केवल तभी उनके जीवन के स्वभाव को बदला जा सकता है।

3 परमेश्वर लोगों का परीक्षण किस तरह करता है? वह उन्हें दुःख के माध्यम से परिष्कृत करता है। परीक्षण दुःख हैं, और जब भी परीक्षण होते हैं, वे दुःख के साथ आते हैं। यदि परीक्षण नहीं होते, तो लोग दु:खी कैसे होते? और अगर वे दु:खी नहीं, तो वे बदल कैसे पाते ? परीक्षणों के साथ दुःख आते हैं और यही पवित्र आत्मा का कार्य है। मनुष्य बहुत भ्रष्ट हैं, और अगर वे कष्ट नहीं उठाएँगे, तो वे स्वर्ग की ऊँचाइयों और पृथ्वी की गहराइयों से अनजान होंगे। अगर वे कष्ट नहीं उठाएँगे, तो उनके दिलों में परमेश्वर नहीं होगा। केवल सत्य के बारे में सहभागिता करने से लोगों का भ्रष्ट स्वभाव ठीक नहीं किया जा सकता; वह परीक्षणों और परिष्कारों के माध्यम से किया जाना चाहिए।

—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, परमेश्वर पर विश्वास करने में सत्य प्राप्त करना सबसे महत्वपूर्ण है से रूपांतरित

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