1030 जब मनुष्य शाश्वत मंजिल में प्रवेश करेगा
1 जब मनुष्य शाश्वत मंज़िल में प्रवेश करेगा, तो मनुष्य सृजनकर्ता की आराधना करेगा, और क्योंकि मनुष्य ने उद्धार प्राप्त कर लिया है और शाश्वतता में प्रवेश कर लिया है, इसलिए मनुष्य किसी उद्देश्य की खोज नहीं करेगा, इसके अतिरिक्त, न ही उसे इस बात की चिंता करने की आवश्यकता होगी कि शैतान के द्वारा उसकी घेराबंदी की जाती है। इस समय, मनुष्य अपने स्थान को जानेगा, और अपने कर्तव्य को निभाएगा, और भले ही उन्हें ताड़ना नहीं दी जाती है या उनका न्याय नहीं किया जाता है, तब भी प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्य को निभाएगा। उस समय, मनुष्य पहचान और हैसियत दोनों में एक प्राणी होगा। ऊँच और नीच का अब और भेद नहीं होगा; प्रत्येक व्यक्ति बस एक भिन्न कार्य करेगा। मगर मनुष्य तब भी मनुष्यजाति की एक व्यवस्थित और उपयुक्त मंज़िल में जीवन बिताएगा, मनुष्य सृजनकर्ता की आराधना करने के वास्ते अपना कर्तव्य निभाएगा, और इस प्रकार की मनुष्यजाति ही शाश्वतता की मनुष्यजाति होगी।
2 उस समय, मनुष्य ने परमेश्वर के द्वारा रोशन किए गए जीवन को प्राप्त कर लिया होगा, ऐसा जीवन जो परमेश्वर की देखरेख और संरक्षण के अधीन है, और ऐसा जीवन जो परमेश्वर के साथ है। मनुष्यजाति पृथ्वी पर एक सामान्य जीवन जीयेगी, और सम्पूर्ण मनुष्यजाति सही मार्ग में प्रवेश करेगी। 6,000-वर्षीय प्रबंधन योजना ने शैतान को पूरी तरह से पराजित कर दिया होगा, जिसका अर्थ है कि परमेश्वर ने मनुष्य के सृजन के बाद उसकी मूल छवि को पुनः प्राप्त कर लिया होगा, और अपने आप में, परमेश्वर का मूल इरादा पूरा हो गया होगा। जब परमेश्वर का 6,000-वर्षीय कार्य समाप्ति पर पहुँचेगा केवल तभी पृथ्वी पर सम्पूर्ण मनुष्यजाति का जीवन आधिकारिक रूप से आरम्भ होगा, केवल तभी मनुष्य का एक अद्भुत जीवन होगा, और परमेश्वर आरम्भ में मनुष्य के सृजन के प्रयोजन को और साथ ही मनुष्य की मूल सदृशता को पुनः प्राप्त करेगा।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में "मनुष्य के सामान्य जीवन को पुनःस्थापित करना और उसे एक अद्भुत मंज़िल पर ले जाना" से रूपांतरित