1016 जब राज्य पूरी तरह उतरेगा
जब राज्य धरती पर पूरी तरह उतरेगा,
हर जन अपने मूल स्वरूप को पा लेगा।
1
परमेश्वर अपने सिंहासन से आनंद लेता है,
वह सितारों के बीच रहता है।
स्वर्गदूत उसे नये गीत अर्पित करते हैं,
वे पूरे दिल से नये नृत्य प्रस्तुत करते हैं।
जब राज्य धरती पर पूरी तरह उतरेगा।
अब उनकी अपनी नश्वरता से, आँसू नहीं बहते उनकी आँखों से।
अब परमेश्वर के आगे स्वर्गदूत विलाप नहीं करते।
अब लोग कष्टों की शिकायत नहीं करते।
अब लोग कष्टों की शिकायत नहीं करते।
परमेश्वर जब अपनी सारी महिमा हासिल करता है,
उस दिन इंसान विश्राम का सुख लेता है।
शैतान की गड़बड़ी के कारण इंसान बेवजह दौड़ता नहीं है।
दुनिया का विकास रुक जाता है, इंसान विश्राम में रहता है।
जब राज्य धरती पर पूरी तरह उतरता है।
जब राज्य धरती पर पूरी तरह उतरता है।
2
आकाश में अनगिनत सितारे पूरी तरह नये हो जाते हैं।
स्वर्ग और धरती पर नदियाँ और पहाड़,
सूरज और चाँद, सब बदल जाते हैं।
जब राज्य धरती पर पूरी तरह उतरता है।
इंसान बदल गया, परमेश्वर बदल गया, इसलिये बदलेगी हर चीज़।
परमेश्वर की ये महान योजना सफल होगी।
यही है परम लक्ष्य उसका। यही है परम लक्ष्य उसका।
परमेश्वर जब अपनी सारी महिमा हासिल करता है,
उस दिन इंसान विश्राम का सुख लेता है।
शैतान की गड़बड़ी के कारण इंसान बेवजह दौड़ता नहीं है।
दुनिया का विकास रुक जाता है, इंसान विश्राम में रहता है।
जब राज्य धरती पर पूरी तरह उतरता है।
जब राज्य धरती पर पूरी तरह उतरता है।
जब राज्य धरती पर पूरी तरह उतरता है।
जब राज्य धरती पर पूरी तरह उतरता है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, “संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचनों” के रहस्यों की व्याख्या, अध्याय 20 से रूपांतरित