476 किसका अनुसरण करें नौजवान

1

नौजवानों की नज़रें पूर्वाग्रही, कपट से भरी नहीं होनी चाहिये।

न नौजवानों को घृणित और घातक तरीकों से काम करना चाहिये।

उनमें अरमान होने चाहिये, जी जान से आगे बढ़ना चाहिये,

न संभावनाओं को लेकर मायूस होना चाहिये,

ज़िंदगी और भविष्य पर विश्वास होना चाहिये।

नौजवानों को सूझ-बूझ, न्याय की खोज और सत्य में अटल होना चाहिये।

सुंदर चीज़ों का तुम्हें अनुसरण करना चाहिये,

सकारात्मक चीज़ों की वास्तविकता को हासिल करना चाहिये।

ज़िंदगी के प्रति ज़िम्मेदार होना चाहिये।

तुम्हें इसे हल्के में हरगिज़ न लेना चाहिये।


2

सत्य की राह पर नौजवानों को कायम रहना चाहिये।

इस तरह अपनी ज़िंदगी को परमेश्वर के लिये खपाना चाहिये।

सत्य का उनमें अभाव नहीं होना चाहिये,

न उन्हें झूठ और अधर्म को पनाह देनी चाहिये।

उन्हें सही रुख़ अपनाना चाहिये। उन्हें यूँ ही नहीं बह जाना चाहिये।

उनमें बलिदान का, इंसाफ और

सत्य के लिये लड़ने का साहस होना चाहिये।


3

नौजवानों को अंधेरे की शक्तियों के दमन के आगे झुकना नहीं चाहिये।

उनमें ज़िंदगी के मायने बदल देने का हौसला होना चाहिये।

नौजवानों को मुश्किलों के आगे हार नहीं माननी चाहिये।

उन्हें खुला और बेबाक होना चाहिये,

उन्हें साथी विश्वासियों को माफ कर देना चाहिये।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, युवा और वृद्ध लोगों के लिए वचन से रूपांतरित

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