412 अपने विश्वास को गंभीरता से न लेने का परिणाम

1

ईश्वर में विश्वास में सफलता इंसान के कामों से मिले।

इसमें असफल भी वे अपने कामों से ही होते।

तुम ऐसी चीज पाने के लिए कुछ भी करोगे,

जो ईश्वर में विश्वास से ज्यादा

मुश्किल और कष्टदायी है।


तुम उसे गंभीरता से, बिना किसी त्रुटि के करोगे।

अपने जीवन में तुम ऐसे प्रयास करते हो।


जिन चीजों के लिए समर्पित हो,

उनके लिए कुछ भी करोगे,

पर ईश्वर में अपनी आस्था के लिए

तुम वैसा नहीं करोगे।

जिनके पास ईमानदार दिल नहीं,

वे अपनी आस्था में असफल होते हैं।

क्या तुम्हारे बीच कई असफल लोग नहीं?


2

अपने प्रिय को नहीं पर ईश्वर की देह को धोखा दोगे।

तुम इन्हीं सिद्धांतों से जीते हो।

तुम्हें सत्य, जीवन, अपने आचरण के नियमों

या ईश्वर के श्रमसाध्य काम की नहीं,

देह से जुड़ी चीजों की जरूरत है।


ईश-कार्य को अनदेखा करते,

उसके वचन नहीं सुनते तुम।

ईश्वर देखता है, अपनी आस्था को

कितने हल्के में लेते हो तुम।


जिन चीजों के लिए समर्पित हो,

उनके लिए कुछ भी करोगे,

पर ईश्वर में अपनी आस्था के लिए

तुम वैसा नहीं करोगे।

जिनके पास ईमानदार दिल नहीं,

वे अपनी आस्था में असफल होते हैं।

क्या तुम्हारे बीच कई असफल लोग नहीं?


3

ईश्वर आशा करे

तुम अपनी मंजिल के लिए प्रयास करोगे,

बेहतर होगा कि तुम धोखेबाज ना हो,

नहीं तो ईश्वर को बड़ी निराशा होगी।

और इससे क्या होगा?

क्या तुम खुद को मूर्ख नहीं बना रहे?


जो अपने मंजिल की सोचते रहते,

फिर भी उसे बरबाद कर देते,

वे बचाए जाने में सबसे असमर्थ हैं।

वे कितने भी परेशान हों, उन पर तरस कौन खाएगा?

ईश्वर आशा करे कि तुम आपदा में न पड़ो

और तुम्हारी मंजिल अच्छी हो।


जिन चीजों के लिए समर्पित हो,

उनके लिए कुछ भी करोगे,

पर ईश्वर में अपनी आस्था के लिए

तुम वैसा नहीं करोगे।

जिनके पास ईमानदार दिल नहीं,

वे अपनी आस्था में असफल होते हैं।

क्या तुम्हारे बीच कई असफल लोग नहीं?


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, गंतव्य के बारे में से रूपांतरित

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