411 परमेश्वर में विश्वास तो करना लेकिन सत्य को नहीं मानना एक अविश्वासी होना है
1 कुछ लोग सत्य का आनन्द नहीं लेते हैं, न्याय का तो बिल्कुल भी नहीं। बल्कि वे शक्ति और सम्पत्तियों में आनन्दित होते हैं; इस प्रकार के लोग दंभी समझे जाते हैं। ये लोग अनन्य रूप से दुनिया के प्रभावशाली सम्प्रदायों तथा सेमिनरी से आने वाले पादरियों और शिक्षकों को खोजते हैं। सत्य के मार्ग को स्वीकार करने के बावजूद, वे संशय में रहते हैं और अपने आप को पूरी तरह से समर्पित करने में असमर्थ होते हैं। वे परमेश्वर के लिए बलिदान करने की बात करते हैं, किन्तु उनकी नज़रें बड़े पादरियों और शिक्षकों पर केन्द्रित रहती हैं, और मसीह को एक ओर कर दिया जाता है। उनके हृदयों में प्रसिद्धि, वैभव और महिमा भरी रहती हैं। उन्हें बिल्कुल विश्वास नहीं होता है कि ऐसा मामूली सा आदमी बहुत से लोगों पर विजय प्राप्त कर सकता है, यह कि एक इतना साधारण व्यक्ति लोगों को पूर्ण बनाने में सक्षम है। उन्हें बिल्कुल विश्वास नहीं होता है कि ये धूल और घूरे में पड़े नाचीज़ परमेश्वर के द्वारा चुने गए लोग हैं।
2 वे मानते हैं कि यदि ऐसे लोग परमेश्वर के उद्धार की योजना के लक्ष्य रहे होते, तो स्वर्ग और पृथ्वी उलट-पुलट हो जाते और सभी लोग ठहाके लगाकर हँसते। उनका मानना है कि यदि परमेश्वर ने ऐसे नाचीज़ों को पूर्ण बनाने के लिए चुना होता, तो वे सभी बड़े लोग स्वयं परमेश्वर बन जाते। उनके दृष्टिकोण अविश्वास से दूषित हैं; दरअसल, अविश्वास से दूर, वे हास्यास्पद जानवर हैं। क्योंकि वे केवल पद, प्रतिष्ठा और सत्ता को महत्व देते हैं; वे विशाल समूहों और सम्प्रदायों को ऊँचा सम्मान देते हैं। उनमें उनके लिए बिल्कुल भी सम्मान नहीं है जिनकी अगुवाई मसीह करते हैं; वे मात्र विश्वसघाती हैं जिन्होंने मसीह से, सत्य से और जीवन से अपना मुँह मोड़ लिया है।
3 मैं कहता हूँ कि जो लोग सत्य का सम्मान नहीं करते हैं वे सभी अविश्वासी और सत्य के गद्दार हैं। ऐसे लोगों को कभी भी मसीह का अनुमोदन प्राप्त नहीं होगा। क्या अब आपने पहचान लिया है कि आपके भीतर कितना अधिक अविश्वास है? और मसीह के बारे में कितना विश्वासघात है? मैं आपको इस तरह से प्रोत्साहित करता हूँ: चूँकि आपने सत्य का मार्ग चुना है, तो आपको सम्पूर्ण हृदय से अपने आप को समर्पित कर देना चाहिए; कभी भी उभयमुखी या अधूरे मन से कार्य करने वाला न बनें। आपको समझना चाहिए कि परमेश्वर इस संसार से या किसी एक व्यक्ति से संबंधित नहीं है, बल्कि उन सबसे संबंधित है जो उस पर सचमुच विश्वास करते हैं, उन सबसे संबंधित है जो उसकी आराधना करते हैं, और उन सबसे संबंधित है जो उसके प्रति समर्पित और निष्ठावान हैं।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में "क्या आप परमेश्वर के एक सच्चे विश्वासी हैं?" से रूपांतरित