131 परमेश्वर की दूर जाती आकृति को निहारना

1

तुम्हारी दूर जाती आकृति को निहारकर मेरा हृदय भाव-विभोर हो जाता है।

तुम्हारे साथ बिताए वे सब अद्भुत दिन मेरी आँखों के सामने तैर जाते हैं।

तुम सत्य व्यक्त करते हुए और हमारा भरण-पोषण करते हुए दिन-रात हमारे साथ रहते थे,

और सत्य और जीवन को हमारे दिलों की भूमि में रोपते थे।

कई बार हम कठोर और विद्रोही होते थे, और तब तुमने सख्ती से हमारा न्याय किया, हमें दंडित और अनुशासित किया;

तभी जाकर हमने पश्चात्ताप किया और हम बदले।

कई बार जब हम असफल हुए और गिर पड़े, तो तुमने हमें सांत्वना और प्रेरणा देने के लिए वचनों का इस्तेमाल किया,

हमें फिर से खड़े होने की शक्ति और आस्था प्रदान की।

परीक्षणों और विपत्ति के समय हर पल हम पर दृष्टि रखे हुए तुम हमारे साथ थे।

तुम्हारे वचनों ने हमें गवाही देने के लिए मार्गदर्शित किया।

तुमने हमारे लिए अपने दिल को खपा दिया, हमारे लिए अपने कथन कहने का सर्वोच्च प्रयास किया।

तुम्हारे वचन उष्णता से भरे और सम्मोहक थे, और तुम्हारा प्रेम अत्यधिक ध्यान रखने वाला।

तुम में कितना कुछ मनभावन है, और हम तुम्हारा चले जाना सहन नहीं कर सकते।

तुम्हारा प्रेम, तुम्हारी उपस्थिति—ये मेरे दिल को बार-बार याद आते हैं, और इन्हें भूलना बहुत मुश्किल है।


2

तुम्हारी दूर जाती आकृति को निहारना मेरे दिल को पश्चात्ताप से भर देता है।

मैंने तुम्हारे साथ बिताए समय को कभी नहीं सँजोया।

तुमने मुझे अपना कर्तव्य निभाने के लिए बड़ा किया, लेकिन मैं पद और सम्मान के पीछे भागा।

मौखिक रूप से तो मैंने कहा कि मैं तुमसे प्रेम करता हूँ और तुम्हारा वफादार हूँ, पर अपने मन की गहराई में मैंने केवल अपनी संभावनाओं और अपने भाग्य के बारे में ही सोचा।

मैंने कभी तुम्हें अपनी निष्ठा नहीं दी; मैंने तुम्हारा ऋण केवल यांत्रिक आचरण और धोखाधड़ी से चुकाया।

दैहिक सुखों के प्रलोभन में पड़कर मैंने पूर्ण किए जाने के कई अवसर खो दिए हैं।

और अब तुम जाने को हो, और मैं दुःख और चिंता से ग्रस्त हो गया हूँ।

इतना सुन्न रहने और इतनी देर से जागने के लिए मैं खुद से नफरत करता हूँ।

मैं सत्य की तलाश करने और अपने पिछले ऋण की भरपाई करने का संकल्प लेता हूँ।

अब जो भी समय शेष है, मैं उसे सँजोऊँगा, और अंततः अपनी वफादारी का प्रण करूँगा।

भले ही आगे का मार्ग ऊबड़-खाबड़ और काँटों से भरा हो,

मैं इन कठिनाइयों को गले लगाऊँगा, और बिना किसी शिकायत या अफसोस के तुम्हारा अनुसरण करूँगा।

मैं निष्ठापूर्वक अपना कर्तव्य निभाऊँगा, तुमसे प्रेम करूँगा और तुम्हारी गवाही दूँगा।

अपने शुद्ध प्रेम के चढ़ावे में मैं अपना दिल तुम्हें सौंप दूँगा।

पिछला: 130 परमेश्वर के अनुग्रह की गिनती

अगला: 132 एक भावुकतापूर्ण जुदाई

परमेश्वर का आशीष आपके पास आएगा! हमसे संपर्क करने के लिए बटन पर क्लिक करके, आपको प्रभु की वापसी का शुभ समाचार मिलेगा, और 2024 में उनका स्वागत करने का अवसर मिलेगा।

संबंधित सामग्री

775 तुम्हारी पीड़ा जितनी भी हो ज़्यादा, परमेश्वर को प्रेम करने का करो प्रयास

1समझना चाहिये तुम्हें कितना बहुमूल्य है आज कार्य परमेश्वर का।जानते नहीं ये बात ज़्यादातर लोग, सोचते हैं कि पीड़ा है बेकार:अपने विश्वास के...

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें