603 जब तुम सत्य का अनुसरण नहीं करते तो तुम पौलुस के रास्ते पर चलते हो

1 इन दिनों, अधिकांश लोग इस तरह की स्थिति में हैं : "आशीष प्राप्त करने के लिए मुझे परमेश्वर के लिए खुद को खपाना होगा और परमेश्वर के लिए कीमत चुकानी होगी। आशीष पाने के लिए मुझे परमेश्वर के लिए सब-कुछ त्याग देना चाहिए; मुझे उसके द्वारा सौंपा गया काम पूरा करना चाहिए, और अपना कर्तव्य अच्छे से निभाना चाहिए।" इस पर आशीष प्राप्त करने का इरादा हावी है, जो अपने आपको पूरी तरह से परमेश्वर से पुरस्कार पाने और मुकुट हासिल करने के उद्देश्य से खपाने का उदाहरण है। ऐसे लोगों के दिल में सत्य नहीं होता, और निश्चित रूप से उनकी समझ केवल सिद्धांत के कुछ शब्दों से युक्त होती है, जिसका वे जहाँ भी जाते हैं, वहीं दिखावा करते हैं। उनका रास्ता पौलुस का रास्ता है।

2 ऐसे लोगों का विश्वास निरंतर कठिन परिश्रम का कार्य है, और गहराई में उन्हें लगता है कि वे जितना अधिक करेंगे, परमेश्वर के प्रति उनकी निष्ठा उतनी ही अधिक सिद्ध होगी; वे जितना अधिक करेंगे, वह उनसे उतना ही अधिक संतुष्ट होगा; और जितना अधिक वे करेंगे, वे परमेश्वर के सामने मुकुट पाने के लिए उतने ही अधिक योग्य साबित होंगे, और उसके घर में निश्चित रूप से सबसे बड़ा आशीष प्राप्त करेंगे। वे सोचते हैं कि यदि वे पीड़ा सह सकें, उपदेश दे सकें और मसीह के लिए मर सकें, यदि वे अपने जीवन का त्याग कर सकें, और परमेश्वर द्वारा सौंपे गए सभी कर्तव्य पूरे कर सकें, तो वे परमेश्वर के सबसे धन्य लोगों में से होंगे—जो सबसे बड़ा आशीष प्राप्त करते हैं—और फिर उन्हें यकीनन मुकुट प्राप्त हो जाएगा।

3 ऐसे ही विचार लेकर पौलुस ने परमेश्वर की सेवा करने का काम किया था। इन विचारों और इरादों की उत्पत्ति शैतानी प्रकृति से होती है। जब लोगों की शैतानी प्रकृति इस प्रकार की होगी, तो दुनिया में वे ज्ञान, हैसियत, शिक्षा प्राप्त करने और भीड़ से अलग दिखने की कोशिश करेंगे; परमेश्वर के घर में वे खुद को परमेश्वर के लिए खपाने, वफ़ादार होने और अंततः मुकुट और महान आशीष प्राप्त करने की कोशिश करेंगे। अगर परमेश्वर में विश्वास करने के बाद लोगों में सत्य न हो और वे अपने स्वभाव में बदलाव न लाएँ, तो निश्चित रूप से वे इसी मार्ग पर होंगे। इस वास्तविकता को कोई नहीं नकार सकता।

— "अंत के दिनों के मसीह की बातचीत के अभिलेख" में 'पतरस के मार्ग पर कैसे चलें' से रूपांतरित

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