559 स्वयं को समझने के लिए अपनी वास्तविक मनोदशा को समझें
1 यदि लोगों को खुद को समझना हो, तो उन्हें अपनी वास्तविक स्थिति को समझना होगा। अपनी स्थिति को समझने का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है अपने विचारों और अभिप्रायों की समझ होना। हर कालावधि में, लोगों के विचार एक प्रमुख चीज़ द्वारा नियंत्रित होते रहे हैं। यदि तुम अपने विचारों पर नियंत्रण पा सकते हो, तो तुम उनके पीछे की चीज़ों पर भी नियंत्रण पा सकते हो। लोग अपने विचारों और अभिप्रायों को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं लेकिन उन्हें यह जानने की आवश्यकता है कि ये विचार और अभिप्राय कहाँ से आते हैं, उनके पीछे क्या इरादे हैं, ये विचार और अभिप्राय कैसे उत्पन्न होते हैं, वे किसके द्वारा नियंत्रित होते हैं, और उनकी प्रकृति क्या है?
2 तुम्हारे स्वभाव में रूपांतरण होने के बाद, तुम्हारे विचार और अभिप्राय, वे इच्छाएँ जिनका पीछा तुम्हारा हृदय करता है, और उन चीज़ों पर तुम्हारा दृष्टिकोण जिनका तुम अनुसरण करते हो—जो तुम्हारे रूपांतरित हिस्सों से पैदा हुए हैं—अलग होंगे। जो विचार और अभिप्राय उन चीजों से उत्पन्न होते हैं जो परिवर्तित नहीं हुए हैं, जिन चीजों को तुम स्पष्ट रूप से नहीं समझते हो, और जिन चीज़ों को तुमने सत्य के अनुभवों से नहीं बदला है—वे सब गंदी, मैली और बदसूरत होते हैं। आजकल जिन लोगों ने कई वर्षों से परमेश्वर के कार्य का अनुभव किया है, उनमें इन मामलों की कुछ समझ और भान होता है। जिन्होंने थोड़े ही समय के लिए परमेश्वर के कार्य का अनुभव किया है वे अभी तक इन मामलों को नहीं समझते हैं। वे नहीं जानते कि उनका दुर्बल स्थान कहाँ है या किस क्षेत्र में वे आसानी से गिर सकते हैं!
3 आप लोग अभी नहीं जानते कि आप किस तरह के व्यक्ति हैं, और भले ही अन्य लोग कुछ हद तक इसे देख पाते हैं कि आप किस तरह के व्यक्ति हैं, पर इसे आप लोग नहीं भांप सकते। आप लोग अपने सामान्य विचारों या इरादों को स्पष्ट रूप से अलग नहीं कर सकते, और आप लोगों मेंइन मामलों के सार की स्पष्ट समझ नहीं है। किसी पहलू को तुम जितना अधिक समझते हो, उस पहलू में तुम उतना ही अधिक रूपांतरित होते हो; अपने आप में, जिन चीज़ों को तुम करते हो वे सत्य के अनुरूप होंगी, तुम परमेश्वर परमेश्वर की अपेक्षाओं को पूरा कर पाओगे, और तुम परमेश्वर की इच्छा के निकट होगे। केवल इस तरह से खोज करके ही तुम परिणामों को प्राप्त कर सकते हो।
— "मसीह की बातचीतों के अभिलेख" में "जिन लोगों की परमेश्वर से हमेशा अपेक्षाएँ होती हैं, वे सबसे कम विवेकी होते हैं" से रूपांतरित