109 उद्धार का संपूर्ण कार्य
1 कार्य के तीन चरण परमेश्वर के संपूर्ण कार्य का अभिलेख हैं; ये परमेश्वर द्वारा मानवजाति के उद्धार के अभिलेख हैं, और ये काल्पनिक नहीं हैं। यदि तुम लोग परमेश्वर के संपूर्ण स्वभाव के ज्ञान की वास्तव में खोज करना चाहते हो, तो तुम लोगों को परमेश्वर द्वारा किए गए कार्य के तीनों चरणों को जानना होगा और, साथ ही, तुम लोगों को किसी भी चरण को चूकना नहीं चाहिए। जो लोग परमेश्वर को जानने की खोज में लगे हैं, उन्हें कम से कम इतना तो हासिल कर ही लेना चाहिए। मनुष्य स्वयं परमेश्वर का सच्चा ज्ञान नहीं रच सकता। मनुष्य स्वयं इसकी कल्पना नहीं कर सकता है, न ही यह पवित्र आत्मा द्वारा किसी एक व्यक्ति को दिये गए विशेष अनुग्रह का परिणाम हो सकता है। इसकी बजाय, यह वह ज्ञान है जो तब आता है जब मनुष्य परमेश्वर के कार्य का अनुभव कर लेता है, और यह परमेश्वर का वह ज्ञान है जो केवल परमेश्वर के कार्य के तथ्यों का अनुभव करने के बाद ही आता है। इस प्रकार का ज्ञान यूँ ही हासिल नहीं किया जा सकता, न ही यह कोई ऐसी चीज है जिसे सिखाया जा सकता है। यह पूरी तरह से व्यक्तिगत अनुभव से संबंधित है।
2 इन तीन चरणों के मूल में परमेश्वर द्वारा मनुष्यों का उद्धार निहित है, मगर उद्धार के कार्य के भीतर कार्य करने के कई तरीके और साधन शामिल हैं जिनके माध्यम से परमेश्वर का स्वभाव व्यक्त होता है। मनुष्य के लिए इसे पहचानना बेहद मुश्किल है और यही है जिसे समझना उसके लिए मुश्किल है। युगों का पृथक्करण, परमेश्वर के कार्य में बदलाव, कार्य के स्थान में बदलाव, इस कार्य को ग्रहण करने वाले में बदलाव आदि, ये सभी कार्य के तीन चरणों में समाविष्ट हैं। विशेष रूप से, पवित्र आत्मा के कार्य करने के तरीकों में भिन्नता, और साथ ही परमेश्वर के स्वभाव, छवि, नाम, पहचान में परिवर्तन या अन्य बदलाव, ये सभी कार्य के तीन चरणों के ही भाग हैं। कार्य के तीन चरण मानवजाति को बचाने में परमेश्वर के कार्य की संपूर्णता हैं। मनुष्य को परमेश्वर के कार्य को और उद्धार के कार्य में परमेश्वर के स्वभाव को अवश्य जानना चाहिए; इस तथ्य के बिना, परमेश्वर का तुम्हारा ज्ञान खोखले शब्दों के अलावा कुछ भी नहीं है, यह सैद्धांतिक बातों का दिखावा मात्र है।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में 'परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों को जानना ही परमेश्वर को जानने का मार्ग है' से रूपांतरित