820 गवाही जो इंसान को देनी चाहिए
Ⅰ
गवाही देना यानी बोलना ईश-कार्य के बारे में,
और कैसे वो लोगों को जीतता,
बचाता, बदलता है,
सत्य की वास्तविकता में प्रवेश के लिए
कैसे वो उन्हें राह दिखाता है,
ताकि वो जीते जा सकें,
पूर्ण बनाए और बचाए जा सकें।
Ⅱ
गवाही देना यानी ईश-कार्य पर बोलना,
यानी अपने सारे अनुभवों पर बोलना।
स्वयं ईश्वर का काम ही उसे दर्शा सके,
सबके सामने उसे प्रकट कर सके।
ये उसकी गवाही दे, उसके वचनों के साथ,
सीधे आत्मा को दर्शाए।
ये चीज़ें देहधारी ईश्वर द्वारा व्यक्त होती हैं,
ये असल में आत्मा का प्रकाशन हैं।
उसका सारा काम, सारे वचन,
उसके सार को दर्शाएँ।
जब तुम ईश्वर की गवाही दो,
तो उसकी सामान्य मानवता की ही नहीं,
बल्कि उसके काम की,
तुम्हें राह दिखाने की, जीतने की,
ख़ुद के पूर्ण बनाए जाने की गवाही दो।
जब तुम ईश्वर की गवाही दो,
तो तुम्हें ये बातें बोलनी चाहिए, चाहिए।
Ⅲ
तुमने न्याय, शुद्धिकरण, परीक्षणों का,
नाकामियों, क्लेशों का अनुभव किया है;
तुम्हें जीता गया है, तुमने अपने स्वार्थ का,
निजी प्रेरणाओं, संभावनाओं का,
देह की इच्छाओं का त्याग किया है।
ईश-वचनों ने तुम्हारा दिल जीत लिया है।
तुम ईश-अपेक्षाओं के मुताबिक
आत्मिक रूप से नहीं बढ़े हो,
पर तुम इन बातों को जानते हो,
उसके काम से आश्वस्त हो।
इसे सच्ची गवाही कह सकते हैं,
ये असली और सच्ची गवाही है।
जब तुम ईश्वर की गवाही दो,
तो उसकी सामान्य मानवता की ही नहीं,
बल्कि उसके काम की,
तुम्हें राह दिखाने की, जीतने की,
ख़ुद के पूर्ण बनाए जाने की गवाही दो।
जब तुम ईश्वर की गवाही दो,
तो तुम्हें ये बातें बोलनी चाहिए।
ईश्वर जो काम करने आया है,
न्याय और ताड़ना का काम,
ये इंसान को जीतने के लिए है,
पर ये समापन का काम भी है।
वो युग का अंत, इंसान को
पाप-मुक्त कर रहा है,
रचे मानव को प्राप्त कर रहा है।
इन सबकी गवाही देनी चाहिए तुम्हें।
जब तुम ईश्वर की गवाही दो,
तो उसकी सामान्य मानवता की ही नहीं,
बल्कि उसके काम की,
तुम्हें राह दिखाने की, जीतने की,
ख़ुद के पूर्ण बनाए जाने की गवाही दो।
जब तुम ईश्वर की गवाही दो,
तो तुम्हें ये बातें बोलनी चाहिए, चाहिए।
भविष्य में जब सुसमाचार फैलेगा,
तो अपने ज्ञान पर बोलना,
जो दिल में पाया, उसकी गवाही देना,
इसमें कोई कसर न छोड़ना।
हर रचे प्राणी को इसे पाना चाहिए।
'वचन देह में प्रकट होता है' से रूपांतरित