651 इस दुःख को सहने का गहरा महत्व है
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ईश्वर को मानने वालों की आशा है ईश्वर का दिन जल्द ही आएगा,
होगा उनके दुखों का अंत;
आशा है उनकी रूप बदलेगा ईश्वर,
और उनकी सारी मुसीबतें होंगी ख़तम।
ये खयाल रहता है उनके दिल की गहराई में,
क्योंकि इंसान का शरीर दुख सहना न चाहे
बल्कि अच्छे दिनों की करे चाहत जब गुज़र रहा हो दर्द से।
ये चीज़ें सही हालात बिन सामने नहीं आयेंगी।
जब तक सही हालात न हो, हर कोई ठीक लगे;
अच्छी कद-काठी वाला लगे कि वो सत्य समझता है,
और लगता है ऊर्जा से भरपूर।
एक दिन, हालात सही होने पर, सारे विचार बाहर आ जाएंगे;
उनका मन शुरू कर देगा संघर्ष, कुछ लोगों का होगा शुरू पतन।
ऐसा नहीं कि ईश्वर राह नहीं बनाता या तुम्हें अपना अनुग्रह नहीं देता;
तुम्हारी कठिनाइयों को अनदेखा करे वो ऐसा नहीं है।
ये दर्द जो सहते हो वो है आशीर्वाद,
क्योंकि बचाये जाने और जीवित रहने के लिए ये सहना ही होगा;
ये ईश्वर के द्वारा पहले से निश्चित है।
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ये मुसीबतें जो तुम सहते हो है तुम्हारे लिए आशीर्वाद।
ना सोचो कि साधारण है ये बात;
ये खिलवाड़ नहीं कि लोगों को मुसीबत में डाले।
इसका मतलब गहरा है।
यदि हो सही राह पे तुम, और तुम्हारी खोज भी हो सही,
अंत में तुम सारे युगों के सभी संतों से ज़्यादा पाओगे,
और जिन वादों की विरासत मिलेगी वो और बड़े होंगे।
ये दर्द जो सहते हो वो है आशीर्वाद,
बचाये जाने और जीवित रहने के लिए ये सहना ही होगा;
ये ईश्वर के द्वारा पहले से निश्चित है, ये ईश्वर के द्वारा पहले से निश्चित है।
— "अंत के दिनों के मसीह की बातचीत के अभिलेख" में 'सर्वाधिक जोख़िम उन्हें है जिन्होंने पवित्र आत्मा का कार्य गँवा दिया है' से रूपांतरित