651 इस पीड़ा को सहन करने का गहरा महत्व है
1 यह एक प्रत्याशा है जो परमेश्वर पर विश्वास करते समय उनके दिल के भीतर निहित होती है, वो प्रत्याशा यह है कि परमेश्वर का दिन शीघ्र ही आ रहा है जिससे उनका दुख समाप्त हो जाएगा; वो प्रत्याशा यह है कि परमेश्वर रूपांतरित हो जाएगा और उनकी सभी पीड़ा खत्म हो जाएगी। ये विचार तुम सभी के दिलों में गहराई से मौजूद हैं क्योंकि मनुष्य का देह पीड़ा सहने को तैयार नहीं है और जब भी वह दुख से गुज़रता है तो बेहतर दिनों की बाट जोहता है। ये चीजें सही हालातों के बिना प्रकट नहीं की जाएँगी। जब कोई समस्या नहीं होती है, तो हर कोई विशेष रूप से ठीक प्रतीत होता है, विशेष रूप से कद वाला प्रतीत होता है, सच्चाई को काफी अच्छी तरह समझता है, और असाधारण रूप से ऊर्जा से भरा-पूरा लगता है। एक दिन, जब कोई परिस्थिति उत्पन्न होती है, तो ये सभी विचार बाहर आ जाएँगे। तुम्हारा मन संघर्ष करना शुरू कर देगा, और कुछ लोग नीचे लुढ़कना शुरु कर देंगे।
2 कहने का तात्पर्य यह नहीं है कि परमेश्वर तुम्हारे निकलने का कोई मार्ग नहीं खोलता है, या यह कि परमेश्वर तुम्हें उसका अनुग्रह नहीं देता है, और निश्चित रूप से यह तो नहीं कि परमेश्वर तुम्हारी कठिनाइयों के प्रति उपेक्षापूर्ण है। बात यह है कि अभी इस पीड़ा को सह लेना तुम्हारे लिए आशीर्वाद-स्वरुप है, क्योंकि बचाए जाने और जीवित रहने के लिए तुम्हें ऐसे दुखों का सामना करना ही होगा, और यह पूर्वनिर्धारित है। इसलिए इस दुख का तुम्हारे पर आ पड़ना तुम्हारे लिए आशीर्वाद है। ऐसा मत सोचो कि यह कोई सरल चीज़ है; यह सिर्फ़ लोगों से खिलवाड़ करने और उन्हें मुसीबत में डालने की बात नहीं है। इसके पीछे गहरा अर्थ छिपा है और यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। अगर तुम सही मार्ग पर हो और अगर तुम्हारी खोज सही है, तो अंत में तुम्हें जो हासिल होगा वह विभिन्न युगों में सभी संतों को मिले अनुग्रह से कहीं अधिक होगा, जिन वादों की विरासत तुम्हारे पास होगी वे अधिक बड़े होंगे।
— "मसीह की बातचीतों के अभिलेख" में "पवित्र आत्मा के कार्य को गँवा चुके अधिकांश लोग जोखिम में हैं" से रूपांतरित