593 अच्छे और बुरे को मापने के लिए परमेश्वर का मानक
1 वह मानक क्या है जिसके द्वारा किसी व्यक्ति के कर्मों का न्याय अच्छे या बुरे के रूप में किया जाता है? यह इस बात पर निर्भर करता है कि अपने विचारों, अभिव्यक्तियों और कार्यों में तुममें सत्य को व्यवहार में लाने और सत्य-वास्तविकता को जीने की गवाही है या नहीं। यदि तुम्हारे पास यह वास्तविकता नहीं है या तुम इसे नहीं जीते, तो इसमें कोई शक नहीं कि तुम कुकर्मी हो। तुम्हारे विचार और बाहरी कर्म परमेश्वर की गवाही नहीं देते, न ही वे शैतान को शर्मिंदा करते या उसे हरा पाते हैं; बल्कि वे परमेश्वर को शर्मिंदा करते हैं और ऐसे निशानों से भरे पड़े हैं जिनसे परमेश्वर शर्मिंदा होता है। तुम परमेश्वर के लिए गवाही नहीं दे रहे, न ही तुम परमेश्वर के लिये अपने आपको खपा रहे हो, तुम परमेश्वर के प्रति अपनी जिम्मेदारियों और दायित्वों को भी पूरा नहीं कर रहे; बल्कि तुम अपने फ़ायदे के लिये काम कर रहे हो। "अपने फ़ायदे के लिए" से क्या अभिप्राय है? शैतान के लिये काम करना।
2 इसलिये, अंत में परमेश्वर यही कहेगा, "हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ।" परमेश्वर की नज़र में तुमने अच्छे कर्म नहीं किये हैं, बल्कि तुम्हारा व्यवहार दुष्टों वाला हो गया है। तुम्हें पुरस्कार नहीं दिया जाएगा और परमेश्वर तुम्हें याद नहीं रखेगा। क्या यह पूरी तरह से व्यर्थ नहीं है? अपने कर्तव्य को निभाने वालो, चाहे तुम सत्य को कितनी भी गहराई से क्यों न समझो, यदि तुम सत्य-वास्तविकता में प्रवेश करना चाहते हो, तो अभ्यास का सबसे सरल तरीका यह है कि तुम जो भी काम करो, उसमें परमेश्वर के घर के हित के बारे में सोचो, अपनी स्वार्थी इच्छाओं, व्यक्तिगत अभिलाषाओं, इरादों, सम्मान और हैसियत को त्याग दो। परमेश्वर के घर के हितों को सबसे आगे रखो—तुम्हें कम से कम यह तो करना ही चाहिए। अपना कर्तव्य निभाने वाला कोई व्यक्ति अगर इतना भी नहीं कर सकता, तो उस व्यक्ति को कर्तव्य करने वाला कैसे कहा जा सकता है? यह अपने कर्तव्य को पूरा करना नहीं है।
— "मसीह की बातचीत के अभिलेख" में 'अपना सच्चा हृदय परमेश्वर को दो, और तुम सत्य को प्राप्त कर सकते हो' से रूपांतरित