661 परमेश्वर के सच्चे विश्वासी परीक्षाओं में मजबूती से खड़े रह सकते हैं
1 विजय के समापन के कार्य के बाद मनुष्य को बचाने का कार्य प्राप्त नहीं होता है। यद्यपि विजय का कार्य समाप्ति पर आ गया है, फिर भी मनुष्य को शुद्ध करने का कार्य समाप्ति पर नहीं आया है; ऐसा कार्य केवल तभी समाप्त होगा जब एक बार मनुष्य को पूरी तरह से शुद्ध कर दिया जाएगा, जब एक बार ऐसे लोगों को पूर्ण कर दिया जाएगा जो सचमुच में परमेश्वर के प्रति समर्पण करते हैं, और जब एक बार उन छद्मवेशियों को शुद्ध कर दिया जाएगा जो अपने हृदय में परमेश्वर से रहित हैं। जो लोग सचमुच में परमेश्वर का अनुसरण करते हैं वे अपने कार्य की परीक्षा का सामना करने में समर्थ हैं, जबकि जो लोग सचमुच में परमेश्वर का अनुसरण नहीं करते हैं वे परमेश्वर की किसी भी परीक्षा का सामना करने में अक्षम हैं। देर-सवेर उन्हें निर्वासित कर दिया जाएगा, जबकि विजेता राज्य में बने रहेंगे।
2 मनुष्य परमेश्वर को खोजता है या नहीं इसका निर्धारण उसके कार्य की परीक्षा के द्वारा किया जाता है, अर्थात्, परमेश्वर की परीक्षाओं के द्वारा किया जाता है, और इसका स्वयं मनुष्य के द्वारा लिए गए निर्णय से कोई लेना देना नहीं होता है। परमेश्वर बस यों ही अपनी मर्ज़ी सेकिसी मनुष्य को अस्वीकार नहीं करता है; वह जो सब करता है वो मनुष्य को पूर्णरूप से आश्वस्त कर सकता है। वह ऐसा कुछ भी नहीं करता है जो मनुष्य के लिए अदृश्य हो, या कोई ऐसा कार्य नहीं करता है जो मनुष्य को आश्वस्त न कर सके। मनुष्य का विश्वास सही है या नहीं यह तथ्यों के द्वारा साबित होता है, और इसे मनुष्य के द्वारा तय नहीं किया जा सकता है। कि "गेहूँ को जंगली घासपात नहीं बनाया जा सकता है, और जंगली घासपात को गेहूँ नहीं बनाया जा सकता है" इसमें कोई सन्देह नहीं है। जो सचमुच में परमेश्वर से प्रेम करते हैं वे सभी अंततः राज्य में बने रहेंगे, और परमेश्वर किसी ऐसे के साथ दुर्व्यवहार नहीं करेगा जो वास्तव में उससे प्रेम करता है।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में "परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का अभ्यास" से रूपांतरित