51 इंसान और परमेश्वर सहभागी हैं मिलन के आनंद में

1

परमेश्वर ने पूरी कायनात में

अपना काम शुरू कर दिया है;

लोग अचानक जग जाते हैं,

ईश-कार्य के चारों ओर घूमते हैं।

शैतान की पकड़ से बच निकलते हैं,

उसके किए नुकसान से परेशान न होते,

वे इन कष्टों से बच जाते हैं

जब ईश्वर उनके भीतर चलता है।


ईश्वर का दिन आ गया है,

इसलिए लोग खुशी से झूमते हैं;

ईश्वर का दिन आ गया है,

इसलिए उनके दुख मिट जाते हैं;

आसमान में उदासी के बादल अब छंट जाते हैं,

ईश्वर और इंसान साथ होने की खुशी साझा करते हैं।


2

ईश्वर इंसान के कर्मों का रस लेता है,

अब वो व्यथित नहीं है।

जब ईश्वर का दिन आए, तो सभी सजीव चीज़ें

अपने अस्तित्व का आधार फिर पा लें;

सभी सांसारिक चीज़ें फिर से जीवित हो जाएँ,

ईश्वर उनके अस्तित्व का आधार बन जाए,

क्योंकि उसके कारण ही चीज़ें जीवन से भरी हैं,

उसके कारण ही वे चुपके से लुप्त हो जाएँ।

सभी चीज़ें ईश्वर की आज्ञा का इंतज़ार करें,

वे उसके कथनों, कर्मों से खुश हैं।


ईश्वर का दिन आ गया है,

इसलिए लोग खुशी से झूमते हैं;

ईश्वर का दिन आ गया है,

इसलिए उनके दुख मिट जाते हैं;

आसमान में उदासी के बादल अब छंट जाते हैं,

ईश्वर और इंसान साथ होने की खुशी साझा करते हैं।


3

ईश्वर सभी चीज़ों में सबसे ऊँचा है,

फिर भी वो इंसानों के बीच रहता है।

इंसान के कर्मों से वो व्यक्त करे

धरती और स्वर्ग की अपनी सृष्टि।

ईश्वर के सामने जब लोग स्तुति करते,

सभी चीज़ों में ऊपर उसे उठाया जाता,

तो सूरज की किरणों के नीचे,

धरा के फ़ूल और सुंदर बन जाते,

घास और ज्यादा हरी हो जाती,

और आकाश और नीला दिखाई देता।


ईश्वर का दिन आ गया है,

इसलिए लोग खुशी से झूमते हैं;

ईश्वर का दिन आ गया है,

इसलिए उनके दुख मिट जाते हैं;

आसमान में उदासी के बादल अब छंट जाते हैं,

ईश्वर और इंसान साथ होने की खुशी साझा करते हैं।


लोग यहाँ-वहाँ दौड़ते, ईश्वर की वाणी के कारण;

उनके चेहरे खुशी से चमकते,

उनका जीवन विकास करे।

ईश्वर अपने चुने हुओं के बीच काम करे,

बिना इंसानी ख्याल के,

क्योंकि वो ये काम खुद करता है, खुद करता है।

जब ईश्वर अपना काम करे,

स्वर्ग, पृथ्वी, उनमें मौजूद

सभी चीज़ें फिर से नई हो जाएँ।

ईश्वर का काम खत्म होता,

तो इंसान फिर से नया हो जाता,

ईश्वर के अनुरोधों से अब परेशान नहीं होता,

क्योंकि खुशियों की आवाज़ से पूरी धरती गूँजती है,

और इस पल में ईश्वर इंसान को आशीष देता है।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 33 से रूपांतरित

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