52 स्तुति करो परमेश्वर की वह विजेता बनकर लौटा है

1

अपने छह हज़ार वर्षों के कार्य के ज़रिये,

परमेश्वर अपने कई कर्मों को दिखा चुका है

कर्म शैतान को पराजित करने और पूरी मानवता को बचाने के।

परमेश्वर स्वर्ग में, धरती पर, समुद्र में सब कुछ को,

अपने कामों और असीमित सामर्थ्य को देखने का अवसर देता है

सभी प्राणियों को, सभी प्राणियों को।

शैतान की हार से, मनुष्य देखता है परमेश्वर के कर्मों को।

शैतान की हार से, मनुष्य देखता है परमेश्वर के कर्मों को।

इसीलिए वे उसकी करते हैं स्तुति और उसकी बुद्धि का वे करते हैं महिमामंडन।

धरती पर सब कुछ, स्वर्ग में सब कुछ,

समुद्र की गहराई में सब कुछ गाए महिमा उसकी, महिमा उसकी!

सबको स्तुति करने दो, करो स्तुति परमेश्वर के सर्वसामर्थ्य की।

सभी चीजें करें स्तुति उसके सभी कर्मों की,

जयघोष करें उसके पवित्र नाम की,

जयघोष करें परमेश्वर के पवित्र नाम की!


2

ऐसा जयघोष शैतान की हार का साक्ष्य है,

साक्ष्य है कि परमेश्वर ने अपने शत्रु को जीत लिया है।

ऐसे जयघोष साक्ष्य देते हैं कि उसने हर एक को है बचाया,

अपनी बनाई मानवता को बचाया।

सभी सृष्टि करती है स्तुति, उसने अपने शत्रु को हरा दिया।

वह विजयी होकर लौटता है, वह है महान महाराज जो जीतता है!

शैतान की हार से, मनुष्य देखता है परमेश्वर के कर्मों को।

शैतान की हार से, मनुष्य देखता है परमेश्वर के कर्मों को।

इसीलिए वे उसकी करते हैं स्तुति और उसकी बुद्धि का वे करते हैं महिमामंडन।

धरती पर सब कुछ, स्वर्ग में सब कुछ,

समुद्र की गहराई में सब कुछ गाए महिमा उसकी, महिमा उसकी!


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम्हें पता होना चाहिए कि समस्त मानवजाति आज के दिन तक कैसे विकसित हुई से रूपांतरित

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