611 परमेश्वर की सेवा करने के लिए तुम्हें उसे अपना हृदय अर्पित करना चाहिए
1 मैं ऐसा कहता हूँ ताकि तुम लोग जान लो कि परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप में सेवा करने के लिए कौन सी शर्तों को पूरा अवश्य करना चाहिए। यदि तुम लोग अपना हृदय परमेश्वर को नहीं देते हो, यदि तुम लोग यीशु की तरह परमेश्वर की इच्छा की पूरी परवाह नहीं करते हो, तो तुम लोगों पर परमेश्वर के द्वारा भरोसा नहीं किया जा सकता है, और अंतत: परमेश्वर द्वारा तुम्हारा न्याय किया जायेगा। शायद आज, परमेश्वर के प्रति तुम्हारी सेवा में, तुम हमेशा से परमेश्वर को धोखा देने के इरादे को आश्रय देते हो—किन्तु परमेश्वर तब भी तुम्हें ध्यान में रखेगा। संक्षेप में, इन सभी बातों की परवाह किए बिना, यदि तुम परमेश्वर को धोखा देते हो तो तुम्हारे ऊपर न्याय का निर्मम डंडा पड़ेगा। तुम लोगों को परमेश्वर की सेवा के सही मार्ग पर अभी-अभी प्रवेश करने का लाभ सबसे पहले परमेश्वर को अपने हृदय, अखंड वफादारी के बिना, देने के लिए उठाना चाहिए। इस बात की परवाह किए बिना कि तुम परमेश्वर के सामने हो, या लोगों के सामने हो, तुम्हारे हृदय को हमेशा परमेश्वर के सम्मुख होना चाहिए, और तुम्हारा यीशु के समान परमेश्वर से प्रेम करने का संकल्प होना चाहिए। इस तरीके से, परमेश्वर तुम्हें पूर्ण बनाएगा, ताकि तुम परमेश्वर के ऐसे सेवक बन जाओ जो उसके हृदय के अनुकूल हो।
2 यदि तुम परमेश्वर के द्वारा वास्तव में पूर्ण बनाए जाना, और अपनी सेवा को उसकी इच्छा के अनुरूप बनाना चाहते हो, तो परमेश्वर के प्रति विश्वास के बारे में तुम्हें अपने पूर्व दृष्टिकोण को बदलना चाहिए, और जिस तरीके से तुम परमेश्वर की सेवा किया करते थे उसे बदलना चाहिए, ताकि परमेश्वर द्वारा तुम्हें अधिक से अधिक पूर्ण बनाया जाए; इस तरीके से, परमेश्वर तुम्हें नहीं त्यागेगा, और पतरस के समान, तुम उन लोगों की पंक्ति में सबसे आगे होगे जो परमेश्वर से प्रेम करते हैं। यदि तुम पश्चाताप नहीं करते हो, तो तुम्हारा अंत यहूदा के समान होगा। इसे उन सभी लोगों को समझ लेना चाहिए जो परमेश्वर में विश्वास करते हैं। तुम लोगों को परमेश्वर की सेवा के सही मार्ग पर अभी-अभी प्रवेश करने का लाभ सबसे पहले परमेश्वर को अपने हृदय, अखंड वफादारी के बिना, देने के लिए उठाना चाहिए। इस बात की परवाह किए बिना कि तुम परमेश्वर के सामने हो, या लोगों के सामने हो, तुम्हारे हृदय को हमेशा परमेश्वर के सम्मुख होना चाहिए, और तुम्हारा यीशु के समान परमेश्वर से प्रेम करने का संकल्प होना चाहिए। इस तरीके से, परमेश्वर तुम्हें पूर्ण बनाएगा, ताकि तुम परमेश्वर के ऐसे सेवक बन जाओ जो उसके हृदय के अनुकूल हो।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में "परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप सेवा कैसे करें" से रूपांतरित