513 हर चीज़ में सत्य की खोज करें
1 चाहे आप कुछ भी कर रहे हों, चाहे कोई मामला कितना भी बड़ा हो, और चाहे आप परमेश्वर के परिवार में अपना कर्तव्य पूरा कर रहे हों या नहीं, चाहे वह आपकी निजी बात हो, आपको इस बात पर विचार करना ही चाहिए कि यह मामला परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप है या नहीं, क्या ऐसा काम किसी ऐसे व्यक्ति को करना चाहिए जिसमें मानवता हो, और जो आप कर रहे हैं, वह परमेश्वर को खुश करेगा या नहीं। आपको इन चीज़ों के बारे में सोचने की ज़रूरत है। यदि आप ऐसा करते हैं, तो आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिसे सत्य की तलाश है और जो वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास करता है। यदि आप हर बात और हर सच्चाई से इस तरह से पेश आते हैं, तो आप अपने स्वभाव को बदलने में सक्षम होंगे।
2 कुछ लोगों को लगता है कि वे कुछ निजी कार्य कर रहे हैं, इसलिए वे सत्य की उपेक्षा करते हैं, यह सोचते हुए: यह एक व्यक्तिगत मामला है, और मैं जैसा चाहूँ वैसा करूँ। वे इसे किसी भी तरह से कर डालते हैं जो उन्हें खुशी दे, और जो कुछ भी उनके लिए फायदेमंद हो; वे इस तरफ ज़रा-सा भी ध्यान नहीं देते कि यह कैसे परमेश्वर के परिवार को प्रभावित करता है और वे यह भी नहीं सोचते हैं कि यह संतों के आदेश के अनुसार है या नहीं। अंत में, जब वह मामला समाप्त हो जाता है, तो वे अपने भीतर अस्पष्ट और आकुल हो जाते हैं; वे आकुल तो होते हैं लेकिन उन्हें नहीं पता होता कि यह सब कैसे हुआ। क्या यह एक योग्य प्रतिशोध नहीं है? यदि आप ऐसी चीजें करते हैं जो परमेश्वर द्वारा अनुमोदित नहीं हैं, तो आपने परमेश्वर को नाराज़ किया है। यदि लोगों को सच्चाई में रूचि नहीं है, और अक्सर अपनी इच्छा के आधार पर काम करते हैं, तो वे अक्सर परमेश्वर को रुष्ट या अपमानित करेंगे। इस तरह का व्यक्ति आम तौर पर उसके कर्मों में परमेश्वर द्वारा अनुमोदित नहीं किया जाता और अगर वे वापस नहीं लौट आते हैं, तो वे सज़ा से दूर नहीं होंगे।
— "मसीह की बातचीतों के अभिलेख" में "परमेश्वर की इच्छा को खोजना सत्य के अभ्यास के लिए है" से रूपांतरित