547 परमेश्वर उसी को बचाता है जो सत्य से प्रेम करता है

1 प्रतिदिन होने वाली सभी चीज़ें, चाहे वे बड़ी हों या छोटी, जो तुम्हारे संकल्प को डगमगा सकती हैं, तुम्हारे दिल पर कब्ज़ा कर सकती हैं, या कर्तव्य-पालन की तुम्हारी क्षमता और आगे की प्रगति को सीमित कर सकती हैं, परिश्रमयुक्त उपचार माँगती हैं; तुम्हें सावधानीपूर्वक उनकी जाँच करनी चाहिए और सत्य की खोज करनी चाहिए। ये सभी वे चीजें हैं, जो अनुभव के क्षेत्र में घटित होती हैं। कुछ लोगों पर जब नकारात्मकता आ पड़ती है, तो वे अपने कर्तव्यों को त्याग देते हैं, और प्रत्येक नाकामयाबी के बाद वे घिसटकर वापस अपने पैरों पर उठ खड़े होने में असमर्थ होते हैं। ये सभी लोग मूर्ख हैं, जो सत्य से प्रेम नहीं करते, और वे जीवन भर के विश्वास के बाद भी उसे हासिल नहीं करेंगे। ऐसे मूर्ख अंत तक अनुसरण कैसे कर सकते थे?

2 दक्ष और सच्ची योग्यता वाले लोग, जो आध्यात्मिक मामलों को समझते हैं, सत्य के अन्वेषक होते हैं; यदि उनके साथ कुछ दस बार घटित होता है, तो शायद उनमें से आठ मामलों में वे कुछ प्रेरणा प्राप्त करने, कुछ सबक सीखने, कुछ प्रबोधन हासिल करने, और कुछ प्रगति कर पाने में समर्थ होंगे। जब आध्यात्मिक मामलों को न समझने वाला कोई मूर्ख व्यक्ति दस बार असफल हो जाता है और लड़खड़ा जाता है, तो इसका अर्थ है कि वो अभी जागा नहीं है, न ही वह समस्या के मूल को जानने के लिए सत्य की खोज कर रहा है। ऐसा व्यक्ति चाहे जितने उपदेश सुन ले, वह कभी भी सत्य नहीं समझ पाएगा – उसमें सफलता की कोई उम्मीद नहीं बचती। वह जब भी लड़खड़ाएगा, उसे किसी न किसी की सहायता, सहारे और दिलासा की आवश्यकता होगी। ऐसे लोग किसी काम के नहीं होते, परमेश्वर उन्हें नहीं बचाता।

3 परमेश्वर द्वारा मानवजाति का उद्धार उन लोगों का उद्धार है, जो सत्य से प्रेम करते हैं, उनका उद्धार है, जिनमें इच्छा-शक्ति और संकल्प है, जिनमें सत्य और धार्मिकता के लिए तड़प है। संकल्प-युक्त व्यक्ति के दिल में धार्मिकता, भलाई और सत्य के लिए तड़प होती है, और वह विवेक से युक्त होता है। परमेश्वर इन लोगों कार्य करता है, ताकि वे सत्य को समझ सकें और हासिल कर सकें, ताकि उनकी भ्रष्टता परिमार्जित हो सके, और उनका जीवन-स्वभाव रूपांतरित किया जा सके। अगर लोगों के अंदर सत्य के लिए प्रेम नहीं है या धार्मिकता और प्रकाश के लिए आकांक्षा नहीं है, तो फिर उन्हें बचाने का कोई तरीका नहीं है।

—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, भाग तीन से रूपांतरित

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