184 देह-धारण किया परमेश्वर ने, शैतान को हराने और इंसान को बचाने
1
इस देहधारण के दौरान धरती पर,
इंसानों में अपना काम करता परमेश्वर।
इन सारे कामों का मकसद, है शैतान की हार।
जीतकर इंसान को, बनाकर पूरा तुम लोगों को,
हराएगा परमेश्वर शैतान को।
दोगे जब तुम मज़बूत गवाही, तो इससे भी साबित होगी शैतान की हार।
देह-धारण किया परमेश्वर ने, शैतान को हराने,
इंसान को बचाने, इंसान को बचाने।
2
पहले जीता जाता, फिर पूरा किया जाता इंसान, ताकी परास्त हो शैतान।
मगर सार ये है, शैतान को हराकर,
इंसान को दर्दों की दुनिया से बचाता है परमेश्वर।
चीन में हो या पूरी दुनिया में हो ये काम,
मकसद शैतान को हराना, इंसान को बचाना।
ताकि इंसान करे प्रवेश वहां, जहां मिले उसे आराम।
देह-धारण किया परमेश्वर ने, शैतान को हराने,
इंसान को बचाने, इंसान को बचाने।
देह-धारण किया परमेश्वर ने, शैतान को हराने,
इंसान को बचाने, इंसान को बचाने।
3
मामूली देह में परमेश्वर का आना,
मकसद बस उसका है शैतान को हराना।
परमेश्वर को प्यार जो करते इस धरती पर,
देहधारी परमेश्वर का काम है उनको बचाना।
ये जीतने की ख़ातिर है इंसान को, ये हराने की ख़ातिर है शैतान को।
परमेश्वर के काम का मूल, मानव के उद्धार के लिये,
शैतान की पराजय से, अलग हो नहीं सकता।
देह-धारण किया परमेश्वर ने, शैतान को हराने,
इंसान को बचाने, इंसान को बचाने।
देह-धारण किया परमेश्वर ने, शैतान को हराने,
इंसान को बचाने, इंसान को बचाने।
— "वचन देह में प्रकट होता है" में 'मनुष्य के सामान्य जीवन को बहाल करना और उसे एक अद्भुत मंज़िल पर ले जाना' से रूपांतरित